कंपनी एक्ट 2013 (company act 2013) आए हुए 10 साल हो चुके हैं और कई बदलाव कंपनी की पॉलिसी में नजर आए हैं। बैलेंस शीट से लेकर कंपनी के लिए कई स्टैंडर्ड में बदलाव किए हैं। इनमें से एक बदलाव है कंपनी के बोर्ड मेंबर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी। जी हां। कंपनी एक्ट 2013 (company act 2013) में एक कानून बनाया गया था जिसमें कहा था कि निफ्टी-500 में शामिल सभी कंपनियों को अपने बोर्ड में कम से कम 1 महिला को जगह देनी ही होगी। जिसका असर अब देखने को मिल रहा है।
बोर्ड में महिलाओं की संख्या बढ़ी है
कई कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी 50 फीसदी के पार पहुंच गई है। हालांकि कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जहां अभी 5 से 9 फीसदी की हिस्सेदारी है। आंकड़ों की मानें तो अब हर 5 सदस्य के बोर्ड में कम से कम 1 महिला है, वहीं ये संख्या पहले 8 से 9 सदस्य के बीच में हुआ करती थी। और 10 साल पहले तो ये रिकॉर्ड और खराब था। 20 सदस्य में से 1 महिला बोर्ड में हुआ करती थी।
इन कंपनियों ने किया है शानदार बदलाव
नया एक्ट (company act 2013) आने के बाद से अच्छे बदलाव देखने को मिल रहा है। जोमैटो की बात करें तो ये कंपनी सबसे आगे चल रही है। कंपनी के 7 बोर्ड साइज में 4 महिलाएं हैं। यानी हिस्सेदारी 57 फीसदी है। इसके बाद हिंदुस्तान जिंक है, जिसमें 9 में से 5 महिलाएं सदस्य हैं। यानी 55 फीसदी की हिस्सेदापी बनी हुई है। नेस्ले इंडिया ने 8 सदस्य में से 4 महिलाएं बोर्ड मेंबर के रूप में रखीं हैं।
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अभी भी हैं कुछ कंपनियां पीछे
लेकिन कुछ कंपनियां अभी भी बदलाव के लिए देख रहीं हैं। L&T का रिकॉर्ड सबसे खराब है। 19 सदस्य के बोर्ड में सिर्फ 1 ही महिला की हिस्सेदारी है। फीसदी की बात करें तो वो है 5। इसके बाद देश की बड़ी इंश्योरेंस कंपनी का नाम है। यानी LIC में 15 सदस्य में 1 महिला है, यानी 7 फीसीदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा फाइनेंस कंपनी मुथूट फाइनेंस में 14 मेंबर बोर्ड साइज में सिर्फ 1 ही महिला शामिल है। उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में इन आंकड़ों के अंदर बदलाव देखने के लिए मिल सकते हैं।