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क्या GST के दायरे में आने वाला है Petrol? सिगरेट पर सरकार ले रही बड़ा फैसला!

GST on cigarettes and tobacco India 2025: पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में कब लाया जाएगा, इसे लेकर अभी कुछ भी साफ नहीं है। इस बीच खबर है कि सरकार सिगरेट और तंबाकू पर GST बढ़ाने की तैयारी कर रही है।

Author Edited By : Neeraj Updated: Feb 21, 2025 12:13

GST on Cigarettes: सिगरेट और तंबाकू सेवन करने वालों की जेब ज्यादा ढीली होने वाली है। सरकार इन उत्पादों पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस बीच, यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में कब लाया जाएगा? यदि पेट्रोल और डीजल को GST के तहत लाया जाता है, तो इसकी आसमान पर पहुंच चुकीं कीमतों में कमी आ सकती है।

फ्यूल पर काफी खर्चा

पेट्रोल-डीजल के दाम पहले से ही काफी ज्यादा बने हुए हैं। कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर का आंकड़ा पार कर चुका है और डीजल भी ज्यादा पीछे नहीं है। जनता को उम्मीद थी कि बजट में इस मोर्चे पर कुछ राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लोगों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा ईंधन पर भी खर्च हो जाता है। ऐसे में अगर पेट्रोल को GST के दायरे में लाया जाता है, तो जनता के लिए बड़ी राहत होगी। हालांकि, फिलहाल ऐसी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

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अभी कितना टैक्स?

सरकार की योजना फिलहाल सिगरेट और तंबाकू पर GST बढ़ाकर उसे महंगा करने की है। इन उत्पादों पर GST बढ़ाने की खबर ऐसे समय में आई है, जब इन पर लगने वाला कम्पेसेशन सेस खत्म होने वाला है। मौजूदा वक्त में सिगरेट और तंबाकू पर 28% की दर से जीएसटी वसूला जाता है। इसके अलावा कम्पेनसेशन सेस और अन्य टैक्स को मिलाकर कुल टैक्स 53% तक हो जाता है।

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क्या है मकसद?

ET की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार जीएसटी को बढ़ाकर 40% करने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही अतिरिक्त उत्पाद शुल्क भी लगाया जा सकता है। इससे सिगरेट और तंबाकू का सेवन करने वालों को ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। दरअसल, इस पूरी कवायद का मकसद यह है कि कम्पेनसेशन सेस के समाप्त होने के बाद भी तंबाकू उत्पादों से सरकार को होने वाली कमाई प्रभावित न हो। कम्पेनसेशन सेस 31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाला है।

पेट्रोल पर कहां अटकी बात?

पेट्रोल-डीजल की बात करें, तो सरकार यह साफ कर चुकी है कि इसे GST के दायरे में लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। वहीं, सरकार अपने स्तर पर टैक्स घटाने के मूड में भी नहीं है। इसका मतलब है कि फ्यूल कॉस्ट पर लोगों को हाल-फिलहाल कोई राहत मिलने वाली नहीं। इस महीने की शुरुआत में पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से संसद में बताया गया था कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए जीएसटी काउंसिल की सिफारिश जरूरी है। काउंसिल द्वारा इसे लेकर कोई सुझाव या सिफारिश नहीं की गई है।

राज्यों का दिया हवाला

केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने से जुड़े हर सवाल का बस यही जवाब देकर बचती रही है कि यह फैसला जीएसटी काउंसिल करेगी, जिसमें सभी राज्यों के प्रतिनिधि मौजूद हैं। सरकार ने पहले भी यह स्पष्ट किया है कि तमाम राज्य इस मुद्दे पर सहमत नहीं हैं। इसलिए यह कहना कि केंद्र ऐसा नहीं करना चाहता, पूरी तरह गलत है।

First published on: Feb 21, 2025 12:11 PM

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