चीन ने अमेरिका पर पलटवार किया है। डोनाल्ड ट्रंप के 145% टैरिफ के जवाब में चीन ने अमेरिकी आयात पर टैरिफ को बढ़ाकर 125% कर दिया है। इससे पहले चीन ने अमेरिका पर 84% टैरिफ लगाया था। चीन के वित्त मंत्रालय का कहना है कि अगर अमेरिका चीन के हितों का उल्लंघन करना जारी रखता है, तो चीन दृढ़ता से जवाबी कदम उठाएगा और अंत तक लड़ेगा। बता दें कि अमेरिका ने चीन पर 20% अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की है, जिससे कुल टैरिफ बढ़कर 145% हो गया है।
चीन ने EU का मांगा साथ
अमेरिका को कड़ी चेतावनी देते हुए चीन के वित्त मंत्रालय ने कहा कि अगर अमेरिका चीन के सामान पर अतिरिक्त शुल्क लगाना जारी रखता है, तो चीन इसे अनदेखा कर देगा। वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका से लड़ाई में यूरोपीय यूनियन (EU) का साथ मांगा है। उन्होंने EU से अमेरिका को जवाब देने के लिए बीजिंग के साथ एकजुट मोर्चा बनाने का आह्वान किया है। जिनपिंग ने कहा कि चीन और यूरोप को अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए और अमेरिका के एकतरफा फैसलों का संयुक्त रूप से विरोध करना चाहिए।
लगातार हो रहा है इजाफा
जनवरी में पदभार ग्रहण करने के बाद से ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ में छह बार वृद्धि की है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अमेरिका के पहले टैरिफ के बाद जब चीन ने जवाबी कार्रवाई की, तब दोनों देशों के पास इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाने का मौका था, लेकिन ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाकर सभी संभावनाओं को खत्म कर दिया। अमेरिका के 104% टैरिफ के जवाब में जब चीन ने यूएस इम्पोर्ट पर टैरिफ को 84% किया, तो ट्रंप ने चीन से आने वाले समान पर टैरिफ सीधे 125% कर दिया। इसके बाद ट्रंप ने 20% अतिरिक्त टैरिफ से इसे 145% पर पहुंचा दिया, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिका पर 125% टैरिफ लगा दिया है। अब दोनों देशों के बीच बातचीत की सभी संभावनाएं समाप्त हो गई हैं।
सख्ती को बताया जरूरी
डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ अमेरिकी सख्ती को जरूरी बताया है। उनका कहना है कि दूसरे देश जहां जवाबी कार्रवाई के बजाए आपसी बातचीत से इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। वहीं, चीन टकराव को जन्म दे रहा है। उन्होंने आगे कहा कि चीन ने दुनिया के बाजारों के प्रति सम्मान की जो कमी दिखाई है, उसके आधार पर मैं चीन पर लगाए जाने वाले टैरिफ को बढ़ाया गया है। ट्रंप ने कहा कि उम्मीद है कि निकट भविष्य में चीन को अहसास होगा कि अमेरिका और अन्य देशों को लूटने के दिन अब स्वीकार्य नहीं हैं। वहीं, चीन का कहना है कि वो आखिरी दम तक हार नहीं मानेगा।