Story of GainBitcoin Fraud: क्रिप्टोकरेंसी, खासकर बिटकॉइन की बीते कुछ समय में चढ़ी कीमतों ने सबको आकर्षित किया है। इस आकर्षण में कई बार लोग जालसाजों के जाल में भी फंस जाते हैं। कुछ ऐसा ही आज से करीब 10 साल पहले हुआ, जिसकी जांच अब तक चल रही है। पूरा मामला समझने से पहले ताजा कार्रवाई के बारे में जान लेते हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 25 और 26 फरवरी को देशभर में 60 से अधिक ठिकानों पर कार्रवाई करते हुए 23.94 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी जब्त की है। यह कार्रवाई GainBitcoin घोटाले में हुई है।
क्या मिला सीबीआई को?
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में इस मामले की जांच CBI को सौंपी थी, तब से जांच एजेंसी लगातार इस मामले में कार्रवाई कर रही है। सीबीआई ने दिल्ली, पुणे, नांदेड़, कोल्हापुर, मुंबई, बेंगलुरु, चंडीगढ़, मोहाली, झांसी और हुबली सहित 60 से अधिक स्थानों पर छापे मारे हैं और डिजिटल करेंसी के साथ-साथ दस्तावेज, 34 लैपटॉप और हार्ड डिस्क, 12 मोबाइल फोन आदि जब्त किए हैं। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, ताकि धोखाधड़ी और संभावित अंतरराष्ट्रीय लेनदेन को लेकर बड़ी जानकारी हाथ लग सके।
कब शुरू हुआ खेल?
बिटकॉइन 2009 में लॉन्च हुई थी और इस घोटाले की नींव 2015 में रखी गई। उस समय लोगों को बस यही समझ आता था कि बिटकॉइन से तुरंत बड़ा पैसा बनाया जा सकता है। लोगों की इसी समझ को अमित भारद्वाज और अजय भारद्वाज ने हथियार बनाया। उन्होंने Variable Tech Pvt नाम से कंपनी बनाई और बिटकॉइन में निवेश के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया।
कैसे किया घोटाला?
भारद्वाज भाइयों की GainBitcoin योजना मल्टी-लेवल मार्केटिंग (MLM) पर आधारित थी। MLM के तहत निवेशकों को रेफरल पर कमीशन दिया जाता है। इस मॉडल पर काम करने वालीं कई कंपनियां सफल भी रही हैं। भारद्वाज भाइयों ने 18 महीनों के लिए बिटकॉइन निवेश पर 10% प्रति महीने रिटर्न देने का वादा किया और शुरुआत में बिटकॉइन में भुगतान भी किया गया। MLM में सबकुछ इस पर निर्भर करता है कि नए लोग किस रफ्तार से जुड़ रहे हैं, जब नए निवेशकों की संख्या कम होती गई तो 2017 में यह स्कीम ध्वस्त हो गई।
कहां-कहां हुई ठगी?
इसके बाद भारद्वाज भाइयों ने भुगतान के लिए MCAP नामक इन-हाउस क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल किया, जिसकी कीमत बिटकॉइन से बेहद कम थी। इससे निवेशकों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। इसके बाद धीरे-धीरे घोटाले की खबरें सामने आने लगीं। पुणे पुलिस ने 2018 में अमित भारद्वाज और अजय भारद्वाज सहित कुछ लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 420 और 34 के तहत मामला दर्ज किया। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और कर्नाटक सहित देश भर में कई मामले दर्ज हुए, जिनमें बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया।
कहां है मास्टरमाइंड?
प्रवर्तन निदेशालय की मुंबई इकाई भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच कर रही है। माना जा रहा है कि यह घोटाला 6,606 करोड़ रुपये का हो सकता है। इस मामले के एक मास्टरमाइंड अमित भारद्वाज कार्डिक की अरेस्ट से मौत हो चुकी है। जबकि अजय भारद्वाज अब भी जांच एजेंसियों की पहुंच से बाहर है। ED और CBI को शक है कि वह विदेश में कहीं छिपा बैठा है।