Budget 2023: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी 2023 को सदन में अगला आम अजट पेश करेंगी। यह क्षण मौजूदा सरकार के लिए ऐतिहासिक होता है। आम बजट पर न सिर्फ विपक्ष के नेताओं की निगाह होती है, बल्कि आम जनता भी इससे सरोकार रखती है। इसलिए अक्सर देखा गया है कि वित्त मंत्री अपनी बातों को प्रभावशाली ढंग से रखने के लिए शायर और कवियों की रचनाओं का सहारा लेते हैं। आइए ऐसे ही कुछ भाषणों के दिलचस्प अंश पढ़िए…
‘विश्वास वह चिड़िया है’
बात शुरू करते हैं मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से। तमिलनाडु के मदुरई में जन्मीं निर्मला सीतारमण मोदी सरकार 2.0 में वित्त मंत्री बनी थीं। 2021 में देश कोविड से जूझ रहा था। तब सदन में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने रवींद्र नाथ टैगोर की पंक्तियां पढ़ी थीं। उन्होंने कहा था, ‘विश्वास वह चिड़िया है जो तब रोशनी का अहसास करती है और गीत गुनगुनाती है, जब सुबह से पहले रात का अंधेरा छट रहा होता है।’
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‘भारत जाग चुका है, हम जीतेंगे और मुश्किलों से निजात पाएंगे’
2004 से 2014 तक यूपीए की सरकार में प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह की तरफ से 1991 में पेश बजट काफी ऐतिहासिक था। तब देश के पीएम नरसिम्हा राव थे। उस समय देश आर्थिक संकट से गुजर रहा था। तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने देश को इस संकट से उबारने के लिए निजीकरण (Privatisation) और उदारीकरण (Liberalization) को लागू किया था। उन्होंने अपनी बात को समझाने के लिए फ्रेंच लेखक विक्टर ह्यूगो की पंक्ति का सहारा लिया था।
मनमोहन सिंह ने कहा था, ‘उस विचार को रोका नहीं जा सकता है, जिसका समय आ चुका है।’ उन्होंने कहा, ‘पुरी दुनिया को जान लेना चाहिए कि भारत जाग चुका है। हम जीतेंगे और मुश्किलों से निजात पाएंगे।’
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‘तकाजा है वक्त का कि तूफान से जूझो’
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 2001 में बजट पेश किया था। तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी। यशवंत सिन्हा शायरी पढ़ी, ‘तकाजा है वक्त का कि तूफान से जूझो, कहां तक चलोगे किनारे-किनारे।’
‘कश्ती चलाने वालों ने जब हारकर दी पतवार हमें’
वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली अपनी वाक्पटुता के लिए काफी लोकप्रिय रहे हैं। 2017 में उन्होंने जब सदन में बजट भाषण दिया तो निशाने पर यूपीए सरकार को लिया। उन्होंने कहा, ‘कश्ती चलाने वालों ने जब हारकर दी पतवार हमें, लहर-लहर तूफान मिले और मौज-मौज मझदार मुझे।’
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