Bombay High Court Ordered To Bank Return Rupees 76 Lakhs : इन दिनों साइबर फ्रॉड के मामले काफी बढ़ गए हैं। जालसाज तरह-तरह से लोगों की मेहनत की कमाई लूट रहे हैं। जिन लोगों के साथ फ्रॉड होता है, उनमें से कुछ लोगों की रकम वापस ही नहीं आ पाती है। हालांकि जो लोग अलर्ट रहते हैं, वे अपनी रकम वापस पा लेते हैं। ऐसा ही एक मामला साल 2022 में एक कंपनी के साथ हुए 76 लाख रुपये के साइबर फ्रॉड से जुड़ा है। बॉम्बे हाई कोर्ट को इस मामले में बैंक की गलती मिली है और कोर्ट ने बैंक से कहा है कि वह कंपनी को फ्रॉड के 76 लाख रुपये वापस करे। एक नियम के तहत कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया है। इस बारे में सभी लोगों को पता होना चाहिए।
जानें क्या है मामला
यह मामला साल 2022 का है। उस समय फार्मा सर्च आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ 76 लाख रुपये का साइबर फ्रॉड हुआ था। यह कंपनी मुंबई में है और इसका बैंक अकाउंट बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) की वर्ली ब्रांच में है। उस समय कंपनी के डायरेक्टर जयप्रकाश कुलकर्णी थे। दरअसल, बैंक अकाउंट में 2022 में कुछ बेनेफिशिएरी जुड़ गए। 2 अक्टूबर 2022 को ऑनलाइन तरीके से उनके अकाउंट से 76 लाख रुपये कट गए। यह कई ट्रांजेक्शन में कटे। इस फ्रॉड के एक घंटे के अंदर ही जयप्रकाश ने वर्ली स्थिति पुलिस साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। बैंक की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब न मिलने पर पर उन्होंने ऑम्बुड्समैन को शिकायत की। ऑम्बुड्समैन ने उनकी शिकायत यह कहकर खारिज कर दी कि इस ट्रांजेक्शन में बैंक की कोई गलती नहीं पाई गई है। इसके बाद जयप्रकाश कुलकर्णी ने पिछले साल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट ने दिया रिजर्व बैंक के सर्कुलर का हवाला
कोर्ट में सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक के जुलाई 2017 में आए एक सर्कुलर का हवाला दिया। इसमें लिखा था कि अगर किसी शख्स के साथ कोई साइबर फ्रॉड हो जाता है और वह 3 वर्किंग दिनों के अंदर इसकी शिकायत करता है तो उस रकम को वापस किया जाएगा और कस्टमर का बिल्कुल भी नुकसान नहीं होगा। वहीं अगर शिकायत 7 दिन बाद की जाती है तो कस्टमर को कोई रकम वापस नहीं की जाएगी। चूंकि कंपनी के साथ जो साइबर फ्रॉड हुआ, इसमें थर्ड पार्टी शामिल रही। यानी इसमें न तो कंपनी की गलती थी और न ही बैंक की। यह सिस्टम की गलती के कारण हुआ। ऐसे में जिस शख्स के साथ साइबर फ्रॉड हुआ है, उसे पूरी रकम वापस मिलेगी। जयप्रकाश कुलकर्णी ने कोर्ट में बताया कि इस ट्रांजेक्शन से संबंधित कोई भी मैसेज न तो उनके फोन पर आया और न ही ईमेल पर। शुरू में बैंक ने रिजर्व बैंक के इस ऑर्डर को मानने से इंकार कर दिया था और कहा कि इसमें बैंक की कोई गलती नहीं है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ऑम्बुड्समैन की जांच को भी सही नहीं माना और उसके आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऑम्बुड्समैन अपनी जांच में फेल रहे।
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अगर आपके साथ हो जाए ऐसा फ्रॉड तो इन बातों का रखें ध्यान
- नजदीकी पुलिस साइबर सेल में जाकर लिखित रूप से शिकायत दर्ज कराएं। अगर नजदीक में साइबर सेल नहीं है तो नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं और वहां लिखित रूप से शिकायत दर्ज कराएं। पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह उस शिकायत को साइबर सेल में ट्रांसफर कर दे।
- पुलिस में या साइबर सेल में सुनवाई न होने पर डिस्ट्रिक कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
- केंद्र सरकार की वेबसाइट cybercrime.gov.in पर जाकर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
ये हेल्पलाइन हैं भी काम की
- 1930 पर कॉल करें
वेबसाइट cybercrime.gov.in पर जाकर शिकायत दर्ज कराएं। - X हैंडल @Cyberdost पर जाकर भी शिकायत कर सकते हैं।
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