Banks increased EMI: ग्राहकों को झटका देते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक सहित कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने फंड-आधारित उधार दरों (MCLR) की सीमांत लागत को 10 आधार अंकों तक बढ़ा दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी नीतिगत दर 6.50 फीसदी पर बरकरार रखी थी, लेकिन बावजूद इसके बैंकों ने ग्राहकों पर बोझ बढ़ा दिया है।
MCLR वह न्यूनतम उधार दर है जो बैंक लोन देते हुए वसूलते हैं। MCLR बढ़ाकर, बैंक उधारकर्ताओं पर ज्यादा बोझ डाल रहे हैं। इससे होम लोन और कार लोन जैसे ऋणों पर ब्याज दरें बढ़ जाएंगी।
RBI के नवीनतम कदम के अनुसार, बैंकों को अब 12 अगस्त, 2023 से अपनी वृद्धिशील जमा का 10% नकद आरक्षित अनुपात (CRR) के रूप में रखना होगा। इससे बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक द्वारा फंड-आधारित उधार दर (MCLR) की सीमांत लागत में 5 आधार अंक की वृद्धि की गई।
दोनों बैंकों के लिए नया एक साल का MCLR 8.70% होगा, जो 12 अगस्त से प्रभावी होगा। इससे उन उधारकर्ताओं की मासिक पेमेंट बढ़ने की संभावना है, जिन्होंने MCLR से जुड़ी ब्याज दरों के साथ ऋण लिया है।
इसे बैंक ने भी MCLR में की बढ़ोतरी
बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने भी अपनी धन-आधारित उधार दर (MCLR) की सीमांत लागत में 10 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है। इसका मतलब है कि एक साल की MCLR, जो अधिकांश ऋणों के लिए बेंचमार्क दर है वह 8.50% से बढ़कर 8.60% हो गई है। बिजनेस स्टैंडर्ड्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, संशोधित दर 10 अगस्त, 2023 से प्रभावी है।
MCLR दर में बढ़ोतरी से क्या पड़ेगा प्रभाव
जिन उधारकर्ताओं ने MCLR-लिंक्ड ब्याज दरों के साथ ऋण लिया है, उन्हें MCLR दरों में बढ़ोतरी के प्रभावों को काफी गंभीरता से लेना चाहिए। इन देनदारों का मासिक भुगतान अधिक हो जाएगा, जो उनके बजट को बिगाड़ सकता है। MCLR दरों में बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने की आशंका है क्योंकि कंपनियों के लिए पैसा उधार लेना अधिक महंगा हो जाएगा।