Bank Nominee : जब भी हम कोई बैंक अकाउंट खोलते हैं, किसी स्कीम में रकम इन्वेस्ट करते हैं, शेयर मार्केटिंग के लिए डीमैट अकाउंट खुलवाते हैं तो फॉर्म में एक लाइन होती है जिसमें नॉमिनी का नाम लिखना होता है। यही नहीं, SIP में इन्वेस्टमेंट हो या किसी भी प्रकार का इंश्योरेंस या जॉब करते हैं तो PF अकाउंट में भी नॉमिनी का नाम जरूरी होता है। नॉमिनी वह शख्स होता है जो अकाउंट होल्डर की मृत्यु के बाद उसके अकाउंट में जमा रकम को निकाल सकता है। वैसे भी बैंक या फाइनेंशियल संस्थाएं उसी शख्स को रकम देती हैं जिसका नाम नॉमिनी के रूप में दर्ज होता है। नॉमिनी का नाम न होने पर उस रकम पर क्लेम करने के लिए परिवार में लड़ाई-झगड़ा भी हो सकता है। कई बार मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है।
कौन हो सकता है नॉमिनी
नॉमिनी के रूप में कोई भी शख्स हो सकता है। जरूरी नहीं कि वह परिवार का सदस्य या कोई रिश्तेदार ही हो। कोई भी शख्स नॉमिनी के रूप में किसी भी शख्स का नाम लिखवा सकता है। चाहे वह दोस्त या जानकार ही क्यों न हो। नॉमिनी वाले कॉलम में यह भी लिखना जरूरी होता है कि अकाउंट होल्डर का उस शख्स के साथ क्या रिश्ता है। वह इसलिए कि अकाउंट होल्डर की मृत्यु के बाद नॉमिनी की पहचान उस रिश्ते से ही होती है जिसे आधार कार्ड या किसी दूसरे डॉक्यूमेंट से वेरीफाई किया जाता है। अकाउंट होल्डर की मृत्यु के बाद उसमें जमा या इन्वेस्ट रकम नॉमिनी को ही मिलेगी।
किसे बनाएं नॉमिनी
जब भी नॉमिनी बनाएं तो ध्यान रखें कि नॉमिनी वह शख्स होना चाहिए जो उसका कानूनी वारिस भी हो। हालांकि अगर किसी संपत्ति के एक से ज्यादा कानूनी वारिस हैं तो उस शख्स की भी जिम्मेदारी होगी कि वह उस रकम को खुद के साथ दूसरे कानूनी वारिसों में भी बराबर-बराबर बांटे। मान लीजिए, किसी शख्स की 2 बेटियां और 1 बेटा है। उस शख्स की पत्नी का निधन हो चुका है। ऐसे में उस शख्स की संपत्ति के कानूनी वारिस दोनों बेटियां और बेटा होगा। अगर वह शख्स नॉमिनी में बेटे का नाम लिखवाता है तो इसका मतलब यह नहीं कि बेटा अपने पिता की संपत्ति का मालिक हुआ। बेटे के साथ दोनों बेटियां भी उस रकम की बराबर की हिस्सेदार होंगी। ऐसे में बेटे की जिम्मेदारी होगी कि पिता की मृत्यु के बाद वह उस रकम को निकालकर खुद और दोनों बहनों में बराबर-बराबर बांट ले। अगर आपने किसी शख्स को नॉमिनी बनाया है और बाद में उससे संबंध बिगड़ गए तो नॉमिनी का नाम बदल भी सकते हैं। नाम कभी भी और कई बार बदल सकते हैं।
नॉमिनी नहीं होता मालिक
यहां ध्यान देने वाली बात है कि यह जरूरी नहीं कि नॉमिनी उस संपत्ति का मालिक हो। दरअसल, नॉमिनी अकाउंट होल्डर की रकम का केयरटेकर होता है। उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह अकाउंट होल्डर की मृत्यु के बाद जमा या इन्वेस्ट रकम को वहां से निकालकर मृतक के कानूनी वारिसों में बांट दे। अगर नॉमिनी ऐसा नहीं करता है तो मृतक के वारिस नॉमिनी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं और इसके आधार पर कोर्ट में केस भी दर्ज करवा सकते हैं। बेहतर होगा कि नॉमिनी बनाने के बाद उस संपत्ति की वसीयत भी करवा लें।
यह भी पढ़ें : 5 Mutual Fund दे रहे FD से भी अच्छा रिटर्न, इन्वेस्ट करने के लिए बेस्ट हैं ये ऑप्शन
अगर नॉमिनी नहीं है तो क्या होगा
अगर किसी शख्स का न तो नॉमिनी है और न ही वसीयत तो उस संपत्ति का बंटवारा कानून के अनुसार होता है। इसके कई साल तक का समय लग सकता है। अगर नॉमिनी नहीं है तो बेहतर होगा कि परिवार का कोई ऐसा सदस्य को कानूनी वारिस हो, वह उस बैंक या फाइनेंशियल संस्था जाए जहां मृतक का अकाउंट था और वहां जाकर रकम को निकालने का तरीका पूछे। फिर उसी के अनुसार रकम निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दें। वहीं अगर परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति को लेकर झगड़ा होता है तो कानूनी सलाह लें।