Identity Proofs: इंसान अपने छोटे से जीवन के लिए अनेकों चीजें सहेज लेता है। किसी भी देश में रहने के लिए उसको कई डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है। आधार, पैन कार्ड , वोटर आईडी, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस ज्यादातर लोगों के पास होते हैं। कभी सोचा है कि अगर उसकी मौत हो जाती है तो फिर उन डॉक्यूमेंट्स का क्या होता है? परिवार उनके साथ क्या करता है, क्या वह कहीं पर जमा कराने होते हैं, या फिर खुद ही कैंसिल हो जाते हैं?
जमा नहीं करने पर क्या होता है?
जिस शख्स की मौत होती है उसके दस्तावेजों को जमा न करने पर कोई कानूनी तौर पर सजा नहीं मिलती है। लेकिन इसकी जानकारी जारी करने वाले अधिकारियों को देना जरूरी होता है। क्योंकि ऐसा नहीं करने से कई बार डॉक्यूमेंट्स का धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। अधिकारियों को अगर इसकी जानकारी होती है तो वह इस तरह की किसी भी धोखाधड़ी से सतर्क रहते हैं।
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आधार कार्ड का क्या होता है?
आधार कार्ड जो की भारतीय नागरिकों के लिए बेहद जरूरी डॉक्यूमेंट में से एक है। आधार कार्ड होल्डर की मौत के बाद परिवार का कई सदस्य यह सुनिश्चित करे कि मृतक के आधार का दुरुपयोग नहीं होगा। इसके लिए मृतक के परिवार वाले UIDAI वेबसाइट पर जाकर बायोमेट्रिक्स को लॉक कर सकते हैं।
वोटर आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस
मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के तहत किसी मृत व्यक्ति की वोटर आईडी रद्द की जा सकती है। मृत व्यक्ति की आईडी रद्द करने के लिए जो उस शख्स के कानूनी उत्तराधिकारी हैं उनको स्थानीय चुनाव कार्यालय में जाना होगा। वहां पर मृत्यु प्रमाण पत्र की एक कॉपी के साथ फॉर्म 7 जमा करना होगा। जिसके बाद यह वोटर आईडी रद्द कर दी जाएगी। इसके अलावा ड्राइविंग लाइसेंस की बात की जाए तो इसको लेकर कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन इसके लिए एक बार आरटीओ में जाकर पता किया जा सकता है
पैन कार्ड और पासपोर्ट
पैन कार्ड होल्डर की मौत के बाद इसको तब तक जारी रखना चाहिए जब तक पैसों से जुड़े सभी मामले हल नहीं हो जाते। इसमें आईटीआर दाखिल करना, खाते बंद करना या रिफंड के लिए अप्लाई करके सब सेटल हो जाने के बाद इसको बंद कराया जा सकता है। वहीं, पासपोर्ट की एक एक्पायरी डेट होती है, जिसके बाद वह अमान्य हो जाता है।
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