कर्नाटक बैंक में अगस्त 2023 में हुई एक ‘फैट फिंगर’ गलती अब लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है. इस चूक को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) के अधिकारी भी बैंक से सवाल कर रहे हैं. इस घटनाक्रम से अवगत उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ‘फैट फिंगर’ एरर उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जिसने चालू वर्ष के चल रहे वार्षिक पर्यवेक्षण में नियामक का ध्यान आकर्षित किया है.
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार बैंक से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि हालांकि यह घटना करीब दो साल पहले हुई थी, लेकिन इसमें शामिल मामलों की गंभीरता और अब तक इससे निपटने के तरीके को देखते हुए, इसमें काफी रुचि है.
क्या है सारा मामला ?
मनीकंट्रोल द्वारा प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, यह त्रुटि 1,00,000 करोड़ रुपये के एक ही लेनदेन से संबंधित है. एक डोरमेंट सेविंग बैंक खाते में 9 अगस्त, 2023 को शाम 5:17 बजे गलती से 1,00,000 करोड़ रुपये जमा कर दिए गए. यह प्रविष्टि उसी दिन रात 8:09 बजे, यानी घटना के लगभग तीन घंटे के भीतर, उलट दी गई.
क्योंकि धनराशि एक इनएक्टिव खाते में जमा की गई थी, इसलिए गलत ट्रांसफर के कारण कोई वित्तीय प्रभाव नहीं पड़ा. हालांकि, बैंक के जोखिम प्रबंधन विभाग ने इस त्रुटि को घटना के लगभग छह महीने बाद, 4 मार्च, 2024 को, बोर्ड की जोखिम प्रबंधन समिति के समक्ष उजागर किया.
समीक्षा के बाद, कथित तौर पर चार से पांच वरिष्ठ अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया गया और उनके पदों से हटा दिया गया. आरबीआई अब इस बात की जांच कर रहा है कि बिना तत्काल पता लगाए इतना बड़ा लेन-देन कैसे हो सकता है और क्या मौजूदा आंतरिक सुरक्षा उपाय पर्याप्त हैं.
बैंक ने क्या कहा
कर्नाटक बैंक ने एक बयान में कहा कि यह एक पुराना परिचालन संबंधी मुद्दा था जिसकी पहचान की गई और बिना किसी वित्तीय नुकसान के तुरंत सुधार किया गया. हमारी आंतरिक लेखा परीक्षा प्रक्रियाओं ने इसका पता लगाया और नियमित रिपोर्टिंग चक्रों के दौरान आरबीआई को सूचित किया गया.
बैंक ने जोर देकर कहा कि उसकी कोर बैंकिंग और जोखिम प्रणालियां मजबूत हैं और सभी आवश्यक सुधारात्मक उपाय लागू किए गए हैं.
अगर यह डोरमेंट आकउंट न होता तो क्या होता?
बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गलती से जमा हुआ खाता एक्टिव होता, तो इसका असर विनाशकारी हो सकता था. एक वरिष्ठ बैंकिंग विश्लेषक ने कहा कि अगर 1 लाख करोड़ रुपये किसी चालू खाते में जमा हो जाते, तो बैंक को तुरंत नकदी और अनुपालन संकट का सामना करना पड़ सकता था.










