Tyre Colour: कार में हमें कई कलर ऑप्शन मिलते हैं। लेकिन इन सभी कारों के टायरों का रंग काला होता है। कभी आपने सोचा है कि इन टायरों का रंग लाल या पीला क्यों नहीं रखा जाता। जबकि छोटे बच्चों की साइकिल में कलरफुल टायर देखने को मिल जाते हैं। आइए आपको बताते हैं कि टायरों का रंग आखिरकार काला ही क्यों होता है। जबकि जिस रबर से यह बनते हैं उसका रंग हल्के पीलेपन पर होता है।
और पढ़िए – 35 kmpl की माइलेज और कीमत 6 लाख से कम! जलवा बिखरने आ रहीं मारुति की यह दो कारें
पहले कच्चे रबर के रंग हल्के पीले रंग के ही टायर बनते थे
जानकारी के मुताबिक सालों पहले कच्चे रबर के रंग हल्के पीले रंग के ही टायर बनते थे। लेकिन इन टायरों की ड्यूरेबिलिटी कम होती थी। इनके जल्दी घिस जाने, बार-बार पंचर होने की शिकायत रहती थी। फिर रिसर्च के बाद इन्हें मजबूत करने के लिए कच्चे रबर में जिंक आक्साइड मिलाया गया। जिससे इसका रंग काला हुआ।
50 हजार किलोमीटर तक बड़ी बासानी से चल जाते है
समय के साथ रिसर्च की गई तो फिर टायर की मजबूती के लिए इसमें टायर निर्माता इसमें कार्बन मिलाने लगे। यह कार्बन क्रूड ऑइल से निकलता है। इसके बाद कार्बन के साथ इसमें सल्फर मिलाया जाने लगा। जिससे टायरों को काफी मजबूती मिली। अब सामान्य टायर 50 हजार किलोमीटर तक बड़ी बासानी से चल जाते हैं।
ओजोन और UV रेडिएशन से टायरों का बचाव
इसके अलावा सफेद रंग की बजाए कार्बन ब्लैक एक स्थिर पदार्थ है। इसकी ड्यूरेबिलिटी अधिक है। यह ओजोन और UV रेडिएशन से भी टायरों का बचाव करता है। आजकल तो टायर एक लाख किलोमीटर तक भी चलते हैं। छोटे बच्चों की साइकिल में रंगीन टायर इसलिए देखे जा सकते हैं क्योंकि इन साइकिलों पर ज्यादा बोझ नहीं होता। इन्हें लगातार ज्यादा दूरी के लिए नहीं चलाया जाता है। तकनीक में लगातार प्रयोग हो रहे हैं और हो सकता है कि भविष्य में कलरपुल टायर देखने को मिलें।
और पढ़िए – ऑटो से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें