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टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन वाली कार खरीदने से पहले जानें इसके फायदे और नुकसान

टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन वाली कारें, आजकल भारत में खूब लोकप्रिय हो रही हैं। अगर आप भी इस इंजन वाली कार खरीदने की सोच रहे हैं तो यहां हम आपको इसके फायदे और नुकसान की जानकारी दे रहे हैं।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Bani Kalra Updated: Jun 17, 2025 07:18

टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन (Turbocharged Petrol Engine) के बारे में आपने सुना ही होगा। नॉर्मल पेट्रोल इंजन की तुलना में ये अलग होते हैं। यह एक ऐसा इंजन होता है जिसमें टर्बोचार्जर नाम की एक डिवाइस लगी होती है, जो इंजन की पावर  और परफॉर्मेंस को बढ़ाती है। यानी कम CC में ज्यादा पावर मिलती है। आजकल कार बाजार में हर दूसरी कंपनी अपनी कारों में टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन का इस्तेमाल कर रही हैं। अगर आप भी इसी इंजन वाली कार लेने की सोच रहे हैं तो यहां हम आपको इसके फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी दे रहे हैं…

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टर्बोचार्जर क्या करता है?

टर्बोचार्जर एक छोटा टरबाइन फैन होता है जो एग्जॉस्ट गैसों से घूमता है और इंजन में ज्यादा हवा भरता है। जब ज्यादा हवा जाती है, तो उसमें ज्यादा फ्यूल मिल सकता है और ज्यादा पावर बनती है।

टर्बो पेट्रोल इंजन के फायदे

कम CC का इंजन भी टर्बो के साथ ज़्यादा पावर देता है (जैसे 1.0L टर्बो ≈ 1.5L NA इंजन की ताकत) इसके अलावा बेहतर एक्सीलरेशन मिलता है, जिसकी वजह से गाड़ी तेज़ी से स्पीड पकड़ती है। छोटी गाड़ी में यह इंजन बढ़िया प्रदर्शन करता है और ज्यादा माइलेज मिलती है यह इंजन उत्सर्जन(emissions) कम करता है और  प्रदूषण भी कम होता है।

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टर्बो पेट्रोल इंजन के नुकसान

नॉर्मल इंजन के मुकाबले टर्बो पेट्रोल इंजन थोड़े महंगे होते हैं। ज्यादा तापमान और दबाव में काम करता है। इसलिए ध्यान से गाड़ी चलानी पड़ती है। कभी-कभी टर्बो चालू होने में थोड़ी देरी होती है । रेगुलर पेट्रोल से परफॉर्मेंस घट सकती है । कुछ टर्बो पेट्रोल इंजन में ऑक्टेन (91) रेटिंग ज़्यादा चाहिए होती है।

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भारत की हाई परफॉरमेंस टर्बो पेट्रोल इंजन कारें

Hyundai 1.0L Turbo GDi – i20, Venue

Tata 1.2L Revotron Turbo – Altroz, Nexon

Volkswagen 1.0 TSI – Virtus, Taigun

Mahindra mStallion 1.2L Turbo – XUV300

93 octane फ्यूल का करें इस्तेमाल

टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन वाली कार में हमेशा 93 octane वाला पेट्रोल ही डलवाना जरूरी है। इसी फ्यूल का इस्तेमाल आमतौर पर हाई-परफॉर्मेंस वाली कारों में किया जाता है। हाई परफॉर्मेंस कारों के निर्माता भी अपने वाहनों में हाई ऑक्टेन ईंधन भरवाने की सलाह देते हैं। नॉर्मल फ्यूल से टर्बो इंजन वाली कारों की परफॉरमेंस में काफी कमी आती है।

अगर आप कम साइज में ज्यादा पावर, स्पोर्टी ड्राइव और मॉडर्न टेक्नोलॉजी चाहते हैं, तो टर्बो पेट्रोल इंजन वाली कार आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती है। लेकिन ये कारें महंगी होती है। इस तरह की गाड़ी ड्राइव करने का मज़ा अलग ही होता है।

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First published on: Jun 17, 2025 07:07 AM

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