पेट्रोल और डीजल इंजन वाली कारों में सबसे ज्यादा माइलेज डीजल कारों से मिलती है। शुरुआत में कमाल की माइलेज मिलती है लेकिन जैसे-जैसे गाड़ी पुरानी होती जाती है तो इंजन की परफॉरमेंस भी डाउन होने के साथ फ्यूल की खपत भी कम होने लगती है। डीजल कारों की देखभाल अगर सही तरीके से ना हो तब ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं अगर आप रेगुलर सर्विस पर ध्यान दें तो डीजल कार लम्बे समय तक नई जैसी रह सकती है। अगर आपकी डीजल कार भी कम माइलेज देने लगी है तो यहां हम आपको डीजल इंजन कारों की बेहतर देखभाल के लिए कुछ टिप्स देने जा रहे हैं। जिन्हें आप फॉलो कर सकते हैं।
बेहद जरूरी है एयर फिल्टर की सफाई
अगर समय पर एयर फिल्टर की सफाई ना हो तो इंजन को काफी नुकसान होता है और साथ ही माइलेज में भी गिरावट देखने को मिलती है। एयर फिल्टर का इस्तेमाल सभी इंटर्नल कंबशन इंजन वाली कारों में यूज होता है और यह फिल्टर इंजन की सेफ्टी के लिए भी बेहद जरूरी भी होता है। इसलिए समय-समय पर इसकी सफाई जरूरी है। इसके ज्यादा गंदे होने पर इंजन के परफॉर्मेंस खराब होने लगती है।
कूलेंट समय पर बदलें
डीजल इंजन कारें, पेट्रोल इंजन कारों की तुलना में जल्दी हीट होती हैं। इसलिए समय-समय पर डीजल इंजन वाली कारों में कूलेंट की मात्रा चेक करते रहना चाहिए। अगर कूलेंट की मात्रा कम हो जाये, तो टॉप-अप करें, ताकि इंजन ओवर हीटिंग से बच जाये और आपकी कार बेहतर परफॉर्मेंस देती रहे। आपको बता दें कि कूलेंट का काम इंजन को ठंडा रखने का होता है।
फ्यूल फिल्टर की करें चेक
डीजल इंजन की सफाई के लिए फ्यूल फिल्टर लगाया जाता है। अगर आप ऐसी जगह पर गाड़ी ज्यादा चलाते हैं जहां धूल-मिट्टी ज्यादा होती है तो वहां पर गाड़ी में लगे फ्यूल फिल्टर को समय-समय पर चेक करते रहना जरूरी बनता है। इसकी अनदेखी करने पर कचरा इंजन तक पहुंच सकता है जिसकी वजह से इंजन में परेशानी आ सकती है।
इंजन ऑयल टाइम पर बदलें
डीजल कार में इंजन ऑयल को हर 5,000 से 7,500 किलोमीटर के बीच बदलवाना चाहिए। अगर कार में सिंथेटिक इंजन ऑयल है, तो इसे 10,000 से 15,000 किलोमीटर के बीच बदलवाना चाहिए। लेकिन अगर समय से पहले ऑयल कम हो गया हो या काला पड़ गया हो तो टॉप-अप भी करवा सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें, कि ऑयल चेंज करवाने के साथ ही आयल फिल्टर भी चेंज करें।
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