नई दिल्ली: नितिन गडकरी के नेतृत्व में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय कई महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स पर काम कर कर रहा है। इस लिस्ट में अब एक और मिशन जुड़ गया है। यह मिशन ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित है। हाल ही में इंजीनियरों और पेशेवरों के राष्ट्रीय सम्मेलन में गडकरी ने वैकल्पिक ईंधन यानी ग्रीन हाइड्रोजन पर अपना जोर दोहराया था।
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गडकरी ने कहा कि पेट्रोलियम, बायोमास, जैविक कचरे और सीवेज से ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग विमानन (विमान), रेलवे और मोटर वाहन उद्योग सहित कई क्षेत्रों में किया जा सकता है।
वैकल्पिक ईंधन को लेकर सरकार के रुख को देखते हुए कई वाहन निर्माता कंपनियां भी ऐसे उत्पाद तैयार कर रही हैं, जिन्हें ग्रीन हाइड्रोजन से चलाया जा सके। जापानी कंपनी टोयोटा की सेडान मिराई ऐसी ही एक कार है। इस कार को नितिन गडकरी खुद भी इस्तेमाल करते हैं। वे इसी कार से कई बार संसद में भी दाखिल हुए हैं। एक बार फुल टैंक होने के बाद यह कार 650 किमी तक की दूरी तय करने में सक्षम है।
हाइड्रोजन कार कैसे काम करती है?
हाइड्रोजन से चलने वाली कार एक प्रकार की इलेक्ट्रिक कार होती है। लेकिन इसकी बैटरी को चार्ज करने के लिए हाइड्रोजन फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन हाइड्रोजन ईंधन खत्म होने की स्थिति में आप कार को कार को पारंपरिक तरीके से बिजली से चार्ज कर सकते हैं।
हाइड्रोजन से बिजली पैदा करते समय ये कारें रासायनिक प्रक्रिया के बाद धुएं के स्थान पर पानी यानि H2O का उत्सर्जन करती हैं।
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इथेनॉल को लेकर भी हुई चर्चा
इस सम्मेलन के दौरान, गडकरी ने वैकल्पिक ईंधन के रूप में इथेनॉल का भी उल्लेख किया। गडकरी ने कहा कि इथेनॉल की कीमत 62 रुपये प्रति लीटर है। ऊर्जा के लिहाज से बात करें तो 1 लीटर पेट्रोल 1.3 लीटर इथेनॉल के बराबर होता है।
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