---विज्ञापन---

Lord Vishnu Story: श्रीहरि को किसने मारा पांव? ये प्रसंग खोल देंगी आपके ज्ञान की आंखें

विष्णु जी शेषशय्या पर सोये हुए थे और श्री लक्ष्मी जी, विष्णु जी के दोनों चरणों की सेवा कर रही थीं। बिना किसी कारण के ऋषि भृगु क्रोधित हो गए और उन्होंने भगवान् के वक्षस्थल पर अपने चरण से ज़ोर से प्रहार कर दिया।

Edited By : Dipesh Thakur | Updated: Oct 13, 2023 19:06
Share :
Shri Hari
Shri Hari

रुचि गुप्ता

Lord Vishnu Story: ब्रह्मा, विष्णु और महादेव के भक्तों को मानने वालों के अपने-अपने मत हैं और सभी कहते हैं कि उनके आराध्य, बाकी दोनों से श्रेष्ठ हैं। कुछ ऐसा ही एक बार पूर्वकाल में भी हुआ। उस समय कैसे भगवान् की श्रेष्ठता को आँका गया, आइए जानते हैं, श्री पद्मपुराण की एक कथा से। एक बार स्वायम्भुव मनु ने मंदराचल पर्वत पर जा कर मुनियों द्वारा दीर्घकाल तक चलने वाले यज्ञ का अनुष्ठान किया। जब यह महायज्ञ शुरू हुआ तो मुनियों ने आपस में बातचीत की और पूछा कि वेदों का ज्ञान रखने वाले ब्राह्मणों के लिए कौन से देव पूजनीय हैं? किस देवता को भोग लगा कर प्रसाद खाना चाहिए? कौन हैं जो अविनाशी, परमधामरूप और सनातन परमात्मा हैं? अब इन प्रश्नों के अलग-अलग उत्तर मिलने लगे। किसी का मत था कि महर्षियों के लिए रूद्र सर्वश्रेष्ठ हैं, तो कोई कहता सूर्य ही सब जीवों के लिए पूजनीय हैं।

कुछ ब्राह्मणों ने अपना मत रखा कि उनके लिए भगवान् श्री विष्णु ही परमेश्वर हैं, क्योंकि वे आदि-अंत से परे हैं। अब ऐसे में मुनियों ने तपोनिधि भृगु जी से कहा कि वे ही इस समस्या का हल निकालें। मुनियों ने भृगु ऋषि से कहा कि वे तीनों देवों के पास जाएँ और उन सभी मुनियों का संदेह दूर करें। मुनियों की बात सुनकर ऋषि भृगु, सबसे पहले कैलाश धाम जाते हैं। वहाँ उन्हें द्वार पर खड़े शिवगणों के स्वामी नंदी जी मिलते हैं। ऋषि भृगु नंदी जी को बताते हैं कि वे देवश्रेष्ठ महादेव के दर्शन के लिए आए हैं, इसीलिए वे जल्दी जा कर महादेव को उनके आने की सूचना दें। नंदी जी ने कठोर शब्दों में ऋषि से कहा कि अभी वे महादेव से नहीं मिल सकते, क्योंकि महादेव अभी देवी पार्वती के साथ अपने कक्ष में हैं और अगर वे जीवित रहना चाहते हैं तो, उन्हें तुरंत लौट जाना चाहिए। नंदी जी की बात सुन कर ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने कहा कि महादेव अपने द्वार पर आए मुझ ब्राह्मण को नहीं जानते। इसलिए उन्हें दिया हुआ अन्न, जल, फूल आदि सभी खाने योग्य नहीं रहेगा।

यह भी पढ़ें: Surya Grahan 2023 Precautions: कल लगेगा सूर्य ग्रहण, गर्भवती महिलाएं भूलकर भी ना करें 5 काम

भगवान् शिव को शाप दे कर भृगु ऋषि ब्रह्मलोक की ओर बढ़ गए। ब्रह्मलोक में पहुँच कर ऋषि भृगु ने सभा में बैठे ब्रह्मा जी को प्रणाम किया और उनके सामने चुपचाप खड़े हो गए। लेकिन ब्रह्मा जी ने उन्हें आया हुआ जानकर भी उनका सत्कार न किया और न ही उनके प्रति कुछ वचन भी कहे। ब्रह्मा जी को कमलासन पर सुखपूर्वक बैठे हुए देख कर ऋषि को बहुत क्रोध हो आया। उन्हें ब्रह्मा जी से कहा कि ‘आपने मुझ ब्राह्मण को आया देख भी मेरी अवहेलना की है, इसलिए आज से आप समस्त संसार के लिए अपूज्य हो जाएँगे। फिर ब्रह्मलोक से ऋषि भृगु क्षीरसागर की ओर चल दिए, जहाँ श्री विष्णु का लोक है। भृगु जी ने वहाँ जा कर देखा कि, उनसे किसी ने भी रोक-टोक नहीं की, बल्कि उनका बहुत अच्छे से सत्कार किया। वे बहुत ही आराम से वहाँ तक चले गए, जहाँ श्रीहरि विश्राम कर रहे थे।

विष्णु जी शेषशय्या पर सोये हुए थे और श्री लक्ष्मी जी, विष्णु जी के दोनों चरणों की सेवा कर रही थीं। बिना किसी कारण के ऋषि भृगु क्रोधित हो गए और उन्होंने भगवान् के वक्षस्थल पर अपने चरण से ज़ोर से प्रहार कर दिया। भगवान् इस प्रहार के बाद तुरंत उठ गए और बोले, ‘आज तो मैं धन्य हो गया।’ और साथ ही वे अपने हाथों से ऋषि भृगु के दोनों चरण दबाने लगे। उन्होंने ऋषि से कहा कि आपके चरणों के स्पर्श से मेरा बहुत मंगल हो गया। जो ब्राह्मणदेव संसार के संपत्ति प्राप्त करने और संसाररूपी सागर को पार करने का कारण बनते हैं, वे सभी मुझे बहुत प्रिय हैं और उनकी चरणधूली मेरे लिए पवित्र है। इस प्रकार कह कर श्री विष्णु जी ने लक्ष्मी जी के साथ ऋषि भृगु का पूजन किया और उनके गले में दिव्य माला डाल दी। श्रीहरि का ऐसा रूप देख कर ऋषियों में श्रेष्ठ भृगु जी ने उठकर भगवान् को प्रणाम किया और कहा कि आपमें कितनी दया, कितना ज्ञान है। आपकी छवि बहुत निर्मल है, आप पावन सत्त्वगुण से भरे हैं। आप गुणों के सागर हैं। आप सच में ब्राह्मणों के हितैषी हैं और शरण में आने वालों के रक्षक हैं, इसलिए आपका चरणोदक पितरों, देवताओं और सभी ब्राह्मणों के सेवन के लिए उपयुक्त है। आप ही का भोग लगाया हुआ प्रसाद समस्त संसार के सेवन करने के लिए श्रेष्ठ है। इसलिए ब्राह्मणों के लिए आप ही पूजनीय हैं। आज से आप ही सभी देवों में सर्वश्रेष्ठ हैं।

यह भी पढ़ें: एक असुर कैसे बना पितरों के मोक्ष का कारण, पितृ पक्ष में हर किसी को पढ़नी चाहिए यह कथा

डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: Oct 13, 2023 07:04 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें