डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
Surya 3 Rajyog: सूर्य जब कुंडली में राजयोग देता है या जब सूर्य जीवन में शुभ स्थितियां बनाता है तो व्यक्ति एकदम से बड़ी उंचाइयों पर पहुंच जाता है। सूर्य को ज्योतिष में व्यक्ति की आत्मा कहा गया है। इसका खराब होना सारे जीवन को अस्त-व्यक्त कर देता है सूर्य अगर मजबूत हो तो जीवन में वैभव और संवृद्धि मिलती है। वहीं अगर कुंडली में सूर्य कमजोर है तो दरिद्रता और खराब स्वास्थ्य का सामना करना पड़ता है। सूर्य से मुख्य रूप से तीन तरह के राजयोग बनते हैं, जो व्यक्ति को जीवन में अपार प्रतिष्ठा देते हैं। वैसे तो सूर्य से कई राजयोग बनते हैं, लेकिन 3 राजयोग सूर्य पर सीधा प्रभाव डालते हैं। आइए जानते हैं सूर्य के 3 बड़े राजयोग के बारे में।
सूर्य का पहला राजयोग- वेशि
कुंडली में सूर्य जिस खाने में बैठा है और अगर उसके अगले भाव में कोई ग्रह बैठा हो तो वेशि योग बनता है। लेकिन ये ग्रह चंद्रमा, राहु या केतु नहीं होने चाहिए। कुंडली में इस योग के होने पर व्यक्ति अच्छा वक्ता और धनवान होता है। ऐसे लोगों का शुरुआती समय काफी कठिनाई में बीतता है। हालांकि आगे चलकर ये जातक खूब धन-संपत्ति और यश अर्जित करते हैं। ऐसे लोगों को अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए और गुड़ का सेवन जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से वेशि को मजबूती मिलती है।
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सूर्य का दूसरा राजयोग-वाशि
कुंडली में अगर सूर्य के पिछले भाव (घर) में किसी ग्रह के होने से वाशि नामक राजयोग का निर्णाम होता है। हालांकि ये ग्रह चंद्रमा, राहु और केतु नहीं होने चाहिए। तभी जातक वाशि राजयोग का शुभ फल जीवन में प्राप्त होगा। यह राजयोग व्यक्ति को बुद्धिमान, ज्ञानी और धनवान बनाता है। साथ ही इसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति शान-ओ-शौकत से रहता है। इसके अलावा इस राजयोग की वजह से व्यक्ति बहुत सारी विदेश यात्राएं करता है। साथ ही व्यक्ति घर से दूर जाकर जीवन में खूब सफलता अर्जित करता है। ऐसे में इस योग के कुंडली में होने पर जातक सूर्य देव को जल जरूर चढ़ाएं। साथ ही सोने के लिए लकड़ी के पलंग का इस्तेमाल करना चाहिए।
सूर्य का तीसरा राजयोग- उभयचारी
कुंडली में उभयचारी राजयोग सूर्य के पहले और पिछले भाव को मिलाकर बनता है। लेकिन इस योग में सूर्य के आगे और पीछे चंद्रमा, राहु और केतु नहीं होने चाहिए। इस राजयोग से व्यक्ति छोटी जगह से बहुत उंचाई पर पहुंचता है। इसके कारण व्यक्ति अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्धि प्राप्त करता है। साथ ही इस राजयोग की वजह से जातक हर समस्या से बहुत जल्द बाहर निकल जाता है। इसके अलावा इस राजयोग की वजह से व्यक्ति राजनीति और प्रशासन में बड़े पद को प्राप्त करता है। ऐसे में अगर कुंडली में उभयचारी योग है तो जातक को रविवार का उपवास जरूर रखना चाहिए।
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