Satyanarayan Katha: व्यक्ति अपने घर में सत्यनारायण भगवान की कथा कराते हैं, जिससे मन में श्रद्धा का भाव उत्पन्न होती है। सत्यनारायण भगवान को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सत्यनारायण कथा का अर्थ सत्य की नारायण के रूप में पूजा करना है। हालांकि हिंदू धर्म में जब भी कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि होता है, तो उस समय सत्यनारायण भगवान की पूजा व कथा कराई जाती है। तो आज इस खबर में जानेंगे सत्यनारायण भगवान की कथा व पूजा का क्या महत्व है साथ ही पूजा करने की विधि क्या है।
सत्यनारायण कथा का क्या है महत्व
स्कंद पुराण में सत्यनारायण भगवान का उल्लेख किया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार, सत्यनारायण कथा का महत्व भगवान विष्णु ने नारद जी को बताया था। मान्यता है कि जो जातक इस कथा को करता है उसे मन मुताबिक फल की प्राप्ति होती है। क्योंकि व्यक्ति सत्य को ईश्वर को मानकर पूरी निष्ठा के साथ ही कथा को सुनता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सत्यनारायण भगवान की कथा कराने से हजारों वर्ष में किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है।
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क्या है सत्यनारायण कथा का पूजन विधि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सत्यनारायण भगवान की कथा कराने के दौरान पूरे दिन व्रत रखना चाहिए।
व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए साथ ही साफ-सुथरा वस्त्र धारण करने चाहिए।
सत्यनारायण भगवान का कथा करते समय उत्तर दिशा में मुख करके पूजन करने चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शाम के समय पंडित जी को बुलाकर सत्यनारायण भगवान की कथा कराएं।
पंडित जी के अनुसार, पूजा करते समय चौकी पर कलश रखें साथ ही भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें और पूजा करें।
पूजा में चरणामृत, पान, तिल, रोली, कुमकुम, फल, फूल, सुपारी अर्पित करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सत्यनारायण भगवान की कथा पूरे परिवार के साथ सुनने चाहिए।
अंत में सत्यनारायण भगवान को भोग लगाकर सभी लोगों में प्रसाद बांटे।
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डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।