Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष हिंदू धर्म में 16 दिनों की एक पवित्र अवधि है, जो भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक चलती है। यह समय पूर्वजों मतलब पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म करने का होता है। शास्त्रों में इस अवधि को अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह मृत्यु और पितरों से जुड़े संस्कारों से संबंधित होती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, पितृपक्ष में तर्पण और दान से पितरों को मोक्ष मिलता है और वंशजों को आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस दौरान कुछ चीजों की खरीदारी से बचना चाहिए, क्योंकि ये पितरों की शांति में बाधा डाल सकती हैं और पितृ दोष का कारण बन सकती हैं। साल 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है और ये 21 सितंबर तक चलेंगे। आइए इस समय के दौरान किन चीजों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए?
शुभ और मांगलिक वस्तुओं की न करें खरीदारी
पितृपक्ष में शुभ कार्यों से जुड़ी चीजें, जैसे सोने-चांदी के आभूषण, नए कपड़े, वाहन, या घरेलू सामान (जैसे फर्नीचर, टीवी, फ्रिज) खरीदने से बचना चाहिए। शास्त्रों में इस समय को शोक और संयम का माना गया है, जहां सांसारिक वैभव और सुख की वस्तुएं खरीदना अनुचित है।
गरुड़ पुराण में मृत्यु से जुड़े समय में शुभ कार्यों को न करने की सलाह दी गई है, क्योंकि यह पितरों की आत्मा को अशांत कर सकता है। अगर गलती से ऐसी चीजें खरीद लें तो उन्हें पितृपक्ष के बाद ही इस्तेमाल करें और पितरों के लिए गाय को हरा चारा दान करें।
घर और संपत्ति से जुड़ी खरीदारी न करें
पितृपक्ष में घर, जमीन, या प्रॉपर्टी खरीदने जैसे बड़े निवेश से बचना चाहिए। इस दौरान गृह प्रवेश या नए घर में शिफ्ट होना भी वर्जित है। शास्त्रों के अनुसार, यह समय पितरों के कर्ज चुकाने और उनकी आत्मा की शांति के लिए है, न कि सांसारिक स्थायित्व या समृद्धि के लिए है।
संपत्ति खरीदने जैसे बड़े फाइनेंशियल डिसीजन लेने से पितृ दोष का खतरा बढ़ सकता है, जिससे भविष्य में आर्थिक या पारिवारिक परेशानियां आ सकती हैं। पितृपक्ष में ऐसी खरीदारी से पितरों की ऊर्जा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि यह समय आध्यात्मिक कार्यों को प्राथमिकता देने का है। अगर प्रॉपर्टी डील पहले से पक्की हो चुकी है, तो अमावस्या के बाद रजिस्ट्री करें और पितरों के लिए काले तिल के साथ जल तर्पण करें।
लोहे और तामसिक वस्तुओं की खरीदारी से बचें
पितृपक्ष में लोहे से बनी चीजें, जैसे बर्तन, चाकू, या औजार, खरीदना नहीं चाहिए। शास्त्रों में लोहा तमोगुणी माना जाता है, जबकि श्राद्ध और पितर पूजा के लिए सात्विक सामग्री जैसे पीतल, तांबा, या चांदी का इस्तेमाल होता है। लोहे की वस्तुएं खरीदने से पितरों की शांति में बाधा आ सकती है। इसके अलावा, चमड़े की चीजें जैसे जूते, बेल्ट, बैग या तामसिक गुणों से जुड़े सामान जैसे शराब, तंबाकू भी नहीं खरीदने चाहिए। अगर गलती से लोहे की चीज खरीद ली, तो उसे मंदिर में दान करें और पितरों के लिए काले तिल से हवन करें।
न खरीदें सजावटी और वैभवपूर्ण सामान
पितृपक्ष में रंगीन कपड़े, सजावटी सामान जैसे पर्दे, डेकोर आइटम, बेडशीट या घर को सजाने वाली चीजें खरीदने से बचना चाहिए। यह समय शोक और सादगी का है, जहां सजावट और वैभव से जुड़ी चीजें अनुपयुक्त मानी जाती हैं। शास्त्रों में इस दौरान सात्विक और संयमित जीवनशैली की सलाह दी जाती है। अगर सजावटी सामान खरीद लिया हो, तो उसे पितृपक्ष के बाद इस्तेमाल करें और पितरों के लिए खीर या दूध का दान करें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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