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इस मंदिर में खुद का श्राद्ध करने पहुंचते हैं लाखों लोग, पितृ पक्ष में 15 दिनों तक लगता है मेला

Pitru Paksha 2023/Vishnupad Temple Gaya: इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से लेकर 14 अक्टूबर तक चलने वाला है। पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध और दान कर्म करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में पतरों के निमित्त ऐसा करने से पितृ देव खुश होते हैं। जिसके […]

Edited By : Dipesh Thakur | Updated: Sep 28, 2023 15:52
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Pitru Paksha 2023
Pitru Paksha 2023

Pitru Paksha 2023/Vishnupad Temple Gaya: इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से लेकर 14 अक्टूबर तक चलने वाला है। पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध और दान कर्म करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में पतरों के निमित्त ऐसा करने से पितृ देव खुश होते हैं। जिसके परिणामस्वरूप जीवन में पग-पग पर तरक्की मिलती है। वैसे तो पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं, लेकिन बिहार में एक ऐसा स्थान है, जहां जीते-जी लोग खुद का श्राद्ध करने पहुंचते हैं। कहते हैं बिहार के गया में इस कार्य के लिए लाखों लोग इकट्ठा होते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में।

विष्णुपद मंदिर, गया

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बिहार का गया जिला पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म के लिए बेहद शुभ है। गया में स्थित ‘विष्णुपद मंदिर’ में लोग ना सिर्फ अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने पहुंचते हैं, बल्कि यहां लोग खुद का श्राद्ध कराने भी पहुंचते हैं। बता दें कि यह मंदिर गया के भस्म कूट पर्वत पर स्थित है। खास बात ये है कि बिहार का गया पिंडदान के लिए समूचे विश्व में प्रसिद्ध है। इस पवित्र स्थल देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग पिंडदान के लिए पहुंचते हैं। वहीं गया से कुछ दूरी पर स्थित बोधगया शहर को बुद्ध की नगरी से संबोधित किया जाता है। पितृ पक्ष में लोग बोधगया में मौजूद फल्गु नदी के किनारे पूर्वजों के निमित्त पिंडदान और श्राद्ध कर्म संपन्न कराते हैं।

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यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने के लिए बेहद जरूरी हैं ये 3 चीजें, इनके बिना प्रसन्न नहीं होते पूर्वज

गया में माता सीता ने भी किया था पिंडदान

गया में पिंडदान का जिक्र रामायण में भी किया गया है। कहते हैं कि गयाजी में किए गए पिंडदान का गुणगान स्वयं भगवान श्रीराम ने भी किया है। पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, माता सीता ने राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए इसी स्थान पर पिंडदान किया था।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Written By

Dipesh Thakur

First published on: Sep 28, 2023 03:52 PM

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