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Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष के दौरान जरूर कर लें ये 5 काम, मिलेगी पितरों की असीम कृपा; 7 पीढ़ियां रहेंगी खुशहाल

Pitru Paksha 2023: सनातन धर्म में श्राद्धकर्म या पितृपक्ष की एक अलग ही महत्ता है । शास्त्रों के अनुसार अश्विन माह की कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पितृपक्ष मनाया जाता है । इन दिनों हम सभी के पित्र , पितृलोक से मृतुलोक पर अपने वंशजों के घर इस आशा से आते हैं कि उनके […]

Edited By : Dipesh Thakur | Updated: Sep 22, 2023 09:10
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Pitru Paksha 2023
Pitru Paksha 2023

Pitru Paksha 2023: सनातन धर्म में श्राद्धकर्म या पितृपक्ष की एक अलग ही महत्ता है । शास्त्रों के अनुसार अश्विन माह की कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पितृपक्ष मनाया जाता है । इन दिनों हम सभी के पित्र , पितृलोक से मृतुलोक पर अपने वंशजों के घर इस आशा से आते हैं कि उनके परिवार वाले उनके सम्मान में अपनी सामर्थ्यानुसार उनका स्वागत व मान सम्मान करेंगे । परिणामस्वरूप सभी पित्र अपनी पसंद का भोज व सम्मान पाकर अतिप्रसन्न व संतुष्ट होकर सभी परिवार के सदस्यों को स्वास्थय, दीर्घायु , वंशवृद्धि व अनेक प्रकार के आशीर्वाद देकर पितृलोक लौट जाते हैं।

मृतुलोक के ऊपर दक्षिण में 86000 योजन की दूरी पर पित्र लोक 1 लाख वर्ग योजन में फैला हुआ है। गरुड़ पुराण के कठोपनिषद मे इसका उल्लेख मिलता है । पाठकों को बता दें कि 1 योजन में 13 किलोमीटर होते है । पित्र पक्ष में लोग अपनी सामर्थ्य के अनुरूप अपने पितरों की तृप्ति के लिए भोजन का प्रबंधन करते है । वैसे श्राद्ध पक्ष मे रोजाना 4 – 4 पूड़ी सब्जी व मिष्ठान गाय , कुत्ते व कौवे को दे और अपने पितरों को याद करे तो भी हमारे पित्र बहुत प्रसन्न होते है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ. संजीव कुमार शर्मा के अनुसार जानते हैं कि पितृ पक्ष में किन कर्यों को करना शुभ है।

पितृ पक्ष मे होता है असीम लाभ 

पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से मनुष्य को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी सही रहता है। उसको स्वास्थ्य के साथ बल, श्रेय , धन, आदि की कमी नहीं रहती और पितरों के आशीर्वाद से परिवार की वंशवृद्धि होती है । विष्णुपुराण के अनुसार श्राद्धकर्म करने से केवल पित्र ही तृप्त नहीं होते बल्कि ब्रह्मा , इंद्र, रुद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु पक्षी और सरीसृप आदि समस्त भूत जीव भी तृप्त हो जाते है। शास्त्रों में उल्लेख है कि पितरों मे अर्यमा श्रेस्ठ है, वह पितरो के देव है। श्राद्धकर्म करने से वो भी तृप्त हो जाते हैं। श्राध करने वाला व्यक्ति शांति व सन्तोष प्राप्त करता है। श्राद्धकर्म करने से गृहक्लेश समाप्त होता है , परिवार के सदस्यों में प्रेम रहता है व परिवार अकालमृत्यु के भय से मुक्त होता है ।

श्राद्ध के तार्किक मत 

कहते हैं प्रेम व भगवान के अस्तित्व का कोई प्रमाण नहीं । ये तो आस्था का विषय हैं । कुछ ऐसी ही धारणा पितरों की सेवा से मुक्ति पाने को लोगों ने वनाई है। ऐसा माना जाता है कि भारत में 7 जगह है जैसे :

उत्तरप्रदेश में काशी व प्रयागराज, बिहार मे गया, उत्तराखंड में शांतिकुंज व बद्रीनाथ, मध्यप्रदेश मे उज्जैन व गुजरात में द्वारिका के पास पिंडराक। अगर यहां किसी भी जगह पिंड दान करें तो पितरों के श्राद्ध करने की कोई जरूरत नहीं हैं। ये परस्पर विवाद का विषय हो सकता हैं । परंतु हम सभी को अपने पितरों की पितृपक्ष में हर वर्ष सेवा करनी चाहिए ।

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पितृपक्ष में ख़रीददारी करें या नहीं

पितृपक्ष मैं हमारे पित्र हमारे घर मेहमान बनकर आते है अतः हमको उनको साक्षी मानकर अच्छे समान खरीदने चाहिये व उनको भी साक्षी बनाना चाहिये | पितृपक्ष में हमे कुछ सावधानियां रखनी चाहिए । जैसे गृहप्रवेश , कोई भी सांस्कृतिक कार्य जैसे विवाह आदि, या बाहर की यात्रा या घर पर ताला लगाकर नही जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से पितरों का अपमान होता है और वो रुष्ट हो सकते हैं ।

पितृपक्ष में किये जाने वाले पुनीत कर्म 

1. पितृपक्ष में बेल , पीपल, तुलसी, बरगद, केला, वटवृक्ष, या शमी कोई भी पौधा लगाना चाहिये

2. पितृपक्ष मैं कौआ, हंस या गरुड़ को खाना देना चाहिए

3. पितृपक्ष में कुत्ता , गाय, व हाथी को भोजन कराना शुभ होता है
4. पितृपक्ष मैं मछ्ली, नाग व कछुवे को खाना देना शुभ होता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है और जानकारी केवल सूचना के लिए दी गई है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

First published on: Sep 22, 2023 08:35 AM

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