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पंचामृत और चरणामृत में क्या है अंतर, सेवन मात्र से रग-रग में होगा सकारात्मक ऊर्जा का संचार

Panchamrit and Charnamrit: अक्सर आपने देखा होगा किसी भी धार्मिक स्थान या मंदिर में जाते हैं, तो पुजारी जी प्रसाद के साथ पवित्र अमृत पंचामृत और चरणामृत देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पंचामृत और चरणामृत दोनों बहुत ही पवित्र पदार्थ हैं। लेकिन क्या आपको पता है पंचामृत और चरणामृत में क्या अंतर होता है। […]

Edited By : Raghvendra Tiwari | Updated: Sep 27, 2023 17:48
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Panchamrit and Charnamrit
Panchamrit and Charnamrit

Panchamrit and Charnamrit: अक्सर आपने देखा होगा किसी भी धार्मिक स्थान या मंदिर में जाते हैं, तो पुजारी जी प्रसाद के साथ पवित्र अमृत पंचामृत और चरणामृत देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पंचामृत और चरणामृत दोनों बहुत ही पवित्र पदार्थ हैं। लेकिन क्या आपको पता है पंचामृत और चरणामृत में क्या अंतर होता है। अगर नहीं तो आज इस खबर में जानेंगे पंचामृत और चरणामृत में क्या अंतर होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चरणामृत का अर्थ भगवान के चरणों में चढ़ाए जाने वाला पेय जल होता है, वहीं पंचामृत का अर्थ पांच अमृत या पांच पवित्र चीजों से बना पदार्थ होता है। ऐसी मान्यता है कि दोनों पवित्र अमृत में से किसी एक का सेवन करने से मन में सकारात्मक भावनाओं उत्पन्न होती है। इसके साथ ही जीवन में सब अच्छा होता है। लेकिन क्या आप दोनों पवित्र पदार्थों के महत्वों के बारे में जानते हैं। यदि नहीं तो आइए विस्तार से जानते हैं।

चरणामृत क्या है

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो व्यक्ति चरणामृत का सेवन करते हैं, उन्हें पुनर्जन्म से नहीं गुजरना पड़ता है।

“अकालमृत्युहरणं सर्व व्याधि विनाशनम्।

विष्णु पादोदकम पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते”

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस मंत्र का अर्थ है कि भगवान विष्णु के चरणों का पवित्र जल अमृत के समान होता है। यह सभी पापों का नाश करने वाला होता है। ऐसी मान्यता है कि चरणामृत एक प्रकार की औषधि का काम करता है। चरणामृत का सेवन करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तांबे के बर्तन में रखा चरणामृत बहुत ही लाभकारी होता है। इसके साथ ही चरणामृत में तुलसी के पत्ते डाल देने से इसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। इस पवित्र अमृत का सेवन करने से सारी बीमारियां खत्म हो जाती है।

पंचामृत क्या है

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचामृत भी चरणामृत के समान होता है, लेकिन इस पवित्र अमृत में पांच पदार्थों को शामिल किया गया है। पंचामृत में पांच पदार्थ इस प्रकार है- दही, दूध, घी, शहद और चीनी। इन पांच पदार्थों का जो पेय पदार्थ बनता है वह पंचामृत कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो जातक पंचामृत का सेवन करता है, उसे मन को शांति मिलती है। इसके साथ ही कई सारे बीमारियों से मुक्ति भी मिलती है। शास्त्र के अनुसार, पंचामृत आत्मोत्रति और आत्मसंतुष्टि की पांच विधियों का प्रतीक होता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: Sep 27, 2023 04:48 PM

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