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मां का इकलौता ऐसा शक्तिपीठ, जहां बलि देने की परंपरा, 9 दिन रथयात्रा चलती, जिसे खींचने वाले की हर मुराद पूरी होती

Maa Durga Mysterious Shaktipeeth: नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा के उस शक्तिपीठ के बारे में जानिए, जहां बलि देने की परंपरा है और जहां काफी अनोखी परंपराएं निभाई जाती हैं...

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Oct 16, 2023 15:27
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Biraja Temple Shakti Peeth
Biraja Temple Shakti Peeth

Navratri Special Mysterious Shaktipeeth: देशभर में मां के 52 शक्तिपीठ हैं, लेकिन इनमें एक शक्तिपीठ ऐसा है, जिसके पीछे की कहानी काफी अनोखी है। इसके बारे में ज्यादातार लोग जानते नहीं होंगे, लेकिन नवरात्रि के दिनों में इस शक्तिपीठ में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं, क्योंकि नवरात्रि के 9 दिनों में यहां रथ उत्सव चलता, जिसे खींचने वाले की हर मुराद पूरी होती है। यह मंदिर ओडिशा के जाजपुर में है, जिसे बिरजा देवी मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह देश का इकलौता ऐसा शक्तिपीठ है, जहां महिषासुर मर्दिनी रूप में 2 भुजाओं वाली देवी विराजमान हैं। वहीं यह देश का 18वां शक्तिपीठ, जहां देवी सती की नाभि गिरी थी।

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खास पीने के पदार्थ का भोग लगाया जाता

मंदिर के मुख्य पुजारी देवी प्रसाद पाणी बताते हैं कि देवी मां के रथ सिंहध्वज पर अष्टधातु की दक्षिण मुखी देवी प्रतिमा विराजती हैं। यह लाल, सफेद और काले कपड़े से डेकोरेट किया जाता है, तीनों रंगों के कपड़े देवी लक्ष्मी, सरस्वती और काली के प्रतीक हैं। इस रथ के सारथी ब्रह्मा जी होते हैं। नवरात्रि के आखिरी दिन अपराजिता जी की पूजा होती है। इसके बाद देवी महिषासुर को मारती हैं और देवी का रथ लखबिंधा मैदान में चला जाता है, जहां आधी रात को देवी की पूजा महामारी के रूप में होती है। इस पूजा में देवी को एक खास पीने वाले पदार्थ का भोग लगाया जाता है। पूजा खत्म होते ही देवी मंदिर में लौट जाती है।

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तंत्र पीठ होने से बलि देने की परंपरा भी है

पुजारी बताते हैं कि नवरात्रि के 9 दिन मां की अलग-अलग शृंगार होता है। भोग में दाल-सब्जी, खिचड़ी और खीर चढ़ाया जाता है। तंत्र पीठ होने से यहां बलि देने की परंपरा भी है। मां की पूजा एक रात पहले ही शुरू हो जाती है। इसलिए हर तारीख भी एक दिन पहले आती है। दशहरा भी एक दिन पहले मनाया जाएगा। शक्तिपीठ में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती तीनों रूपों में मां विराजमान हैं। मां बिरजा का जन्म पौष यानी त्रिवेणी अमावस्या के दिन हुआ। इस शक्तिपीठ पर दक्षिण भारत के लोग पितरों का श्राद्ध करने भी आते हैं। स्कंद, वायु, ब्रह्मांड, ब्रह्म पुराण और महाभारत में देवी के गिरिजा नाम का जिक्र मिलता है।

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डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी पौराणिक कथा पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। 

First published on: Oct 16, 2023 10:33 AM
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