Navratri 2022: नवरात्रि के चौथे आज देशभर में माता के चौथे स्वरुप माता कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जा रही है। माता कूष्मांडा को ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि जब सृष्टि की उतपत्ति नहीं हुई थी और चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है।
मंद हंसी द्वारा अण्ड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण ही, इन्हें मां कूष्मांडा नाम से जाना जाता है। कुम्हड़े को कूष्मांड कहा जाता है, इसलिए मां को कूष्मांडा कहा जाने लगा। शास्त्रों के अनुसार जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था। हर जगह अंधकार व्याप्त था। तब माता ने ही ब्रह्माण्ड की रचना की थी। इनकी आठ भुजाएं हैं। जिनमें ये कमंडल, धनुष-बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और जपमाला थामे रहती हैं।
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मां कुष्मांडा की कथा (Maa Kushmanda Katha)
शास्त्रों के अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब चारों ओर सिर्फ अंधकार ही अंधकार था। उस समय मां कुष्मांडा ने अपने मंद हास्य से सृष्टि की रचना की। कुष्मांडा मां के पास इतनी शक्ति है की वो सूरज के घेरे में भी आराम से रह सकती है। क्योंकि उनके पास ऐसी शक्ति विद्यमान है, जो असह्य गर्मी को भी सह सकती हैं। इस कारण मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्त के जीवन में हर तरह की शक्ति और ऊर्जा मिलती है।
यह केवल एक मात्र ऐसी माता है जो सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं। इनकी पूजा करके व्यक्ति अपने कष्टों और पापों को दूर कर सकता है।
पराणिक कथाओं के अनुसार माता कूष्मांडा का अवतार दैत्यों का संहार करने के लिए ही हुआ था। कूष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ा होता है। मां की वाहन सिंह है। जब तीनों लोकों पर असुरों का आतंक बढ़ गया था, तब उनको सबक सिखाने के लिए ही मां कूष्मांडा ने जन्म लिया था।
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मां कूष्मांडा पूजा विधि (Maa Kushmanda Puja Vidhi)
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद स्नान आदि करके पीले रंग के वस्त्र पहनें। उसके बाद सूर्य भगवान को जल अर्पण करके व्रत का संकल्प लें। अब सबसे पहले कलश की पूजा करें। साथ ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का आवाहन करें. अब देवी को फूल और माला चढ़ाएं। पूजा के बाद मां की कथा सुनें और मंत्रों का जाप करें। मां का भोग लगाकर आरती गाएं।
मां कूष्मांडा मंत्र (Maa Kushmanda Mantra)
बीज मंत्र- कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
पूजा मंत्र- ॐ कूष्माण्डायै नम:
ध्यान मंत्र- वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
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