Lajwanti Shri Yantra, Lapis lazuli: मां लक्ष्मी को धन, समृद्धि सुख, वैभव तथा भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली देवी के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसके चलते वैदिक ज्योतिष हजारों सालों से लैपिस लजुली लाजवंती श्रीयंत्र का प्रयोग मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तथा अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त करने के लिए करता रहा है तथा आज भी अनेक व्यक्ति लैपिस लजुली श्रीयंत्र के नित्य पूजन से अनेक प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण कर रहे हैं।
यह श्रीयंत्र शनि ग्रह के अर्द्धकीमती रत्न लैपिस लजुली से निर्मित होने के कारण अद्वितीय हो गया है। गहरे नीले रंग की इसकी विशिष्ट छाया जीवन में विस्तार का सूचक है। लैपिस लजुली श्रीयंत्र के माध्यम से भी मां लक्ष्मी के साथ प्रगाढ़ संबंध स्थापित हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप लक्ष्मी जी की कृपा सहज प्राप्त होने लगती है।
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लैपिस लजुली श्रीयंत्र के विधिवत प्रयोग के साथ कुछ अन्य विशेष प्रकार के उपाय करने से अनेक व्यक्तियों के विभिन्न प्रकार के दोषों एवं कष्टों का निवारण हो सकता है तथा उन्हें अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्र में अनेक प्रकार के शुभ फल तथा लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
लाजवन्ती रत्न का प्रयोग धन, संपत्ति, सुख, वैभव, व्यापार में फलता एवं अन्य भौतिक सुखों तथा बहुत सी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। इस यंत्र को विधिवत स्थापित करने वाले तथा इसकी विधिवत पूजा करने वाले अनेक व्यक्ति अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्र में अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त कर पाने में सफल हो रहे हैं।
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यह शनि ग्रह से संबंधित होने के कारण यह श्रीयंत्र मानसिक शांति देता है और अच्छे निर्णय लेने में मदद करता है। इसके प्रयोग से असुरक्षा और असफलता का डर कम करने में मदद मिलती है। लैपिस लजुली श्रीयंत्र धन-संपत्ति देने के अलावा बुद्धि, अच्छे निर्णय सच्चाई और समझ को प्रोत्साहित करने का कार्य भी करती है। छात्रों के द्वारा इसकी पूजा करना स्मृति आधारित गुणों को बढ़ाने और सीखने की प्रक्रिया में भी सहायक होती है।
विशेष मंत्रों से प्राण प्रतिष्ठा अभिमंत्रित
शास्त्रों के अनुसार किसी भी श्रीयंत्र की वास्तविक लक्ष्मी किसी भी यंत्र में श्रीलक्ष्मी मंत्रों द्वारा प्रदान की गई शक्ति के अनुपात में ही होती है। तथा इस प्रकार जितने अधिक मंत्रों की शक्ति के साथ किसी “भी यंत्र को ऊर्जा प्रदान की गई हो उतना ही वह श्रीयंत्र शक्तिशाली हो जाता है। इस लैपिस लजुली श्रीयंत्र को श्री लक्ष्मी मंत्रों की सहायता से एक विशेष विधि के माध्यम से ऊर्जा प्रदान की गई है जिसके प्रभाव से मां लक्ष्मी की शुभता ऊर्जा के रूप में इस यंत्र में संग्रहित हो गई है।
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लेपिस लजुली लाजवन्ती श्रीयंत्र की पूजन विधि (Lapis lazuli Shri Yantra)
लेपिस लजुली श्रीयंत्र प्राप्त करने के पश्चात् आपको इसे अपने घर अथवा व्यापारिक प्रतिष्ठान के पूजा घर में रख कर नित्य दर्शन पूजन करना होगा। प्रातःकाल अपने ईष्ट देव का पूजन करने के पश्चात् इसकी भी पूजा करनी होगी। श्रीयंत्र की स्थापना के दिन नहाने के पश्चात् अपने यंत्र को सामने रखकर 11 या 21 बार श्री लक्ष्मी मंत्र का जाप करें।
तत्पश्चात् अपने श्रीयंत्र पर थोड़े से गंगाजल अथवा कच्चे दूध के छोटे दे, मां लक्ष्मी से इस श्रीयंत्र के माध्यम से अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करने की प्रार्थना करें तथा तत्पश्चात् इस यंत्र को निश्चित किये गये स्थान पर स्थापित कर दें। आपका श्रीयंत्र अब स्थापित हो चुका है।
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इस यंत्र से निरंतर शुभ फल प्राप्त करते रहने के लिए आपका इस यंत्र की नियमित रूप से पूजा होगी। प्रतिदिन स्नान करने के पश्चात् अपने श्रीयंत्र की स्थापना वाले स्थान पर जाएं तथा इस यंत्र को नमन करके 11 या 21 बार श्री लक्ष्मी बीज मंत्रों के उच्चारण के पश्चात् अपने इच्छित फल इस यंत्र से मांगे। श्रीयंत्र की नियमित रूप से पूजा करने से आपके और आपके श्रीयंत्र के मध्य करनी एक शक्तिशाली संबंध स्थापित हो जाता है जिसके कारण यह यंत्र आपको अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने में सहयोग करेगा।
– डॉ. के. पी. द्विवेदी, ‘शास्त्री’ (अन्वेषक)
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।