Hastrekha Prediction: हस्तरेखा शास्त्र में हथेली पर स्थित उभारों को ‘पर्वत’ कहा जाता है। ये पर्वत हमारे जीवन में ग्रहों के प्रभाव को दर्शाते हैं और हमारे व्यक्तित्व, स्वभाव, सोच, करियर, संबंधों और भाग्य के बारे में महत्वपूर्ण संकेत देते हैं। आइए जानते हैं, हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली पर कौन-कौन से पर्वत होते हैं, हथेली पर पर्वतों की पहचान कैसे करें और इन पर्वतों से अपना भाग्य कैसे जानें?
हथेली पर कौन-कौन से पर्वत होते हैं?
हथेली में कुल आठ मुख्य पर्वत माने जाते हैं। ये हैं: सूर्य पर्वत, शनि पर्वत, गुरु पर्वत, बुध पर्वत, चंद्र पर्वत, मंगल पर्वत, शुक्र पर्वत, राहु-केतु पर्वत। इन पर्वतों की हथेली पर स्थिति इस प्रकार होती है:
सूर्य पर्वत: यह रिंग फिंगर यानी अनामिका के नीचे होता है।
शनि पर्वत: यह मिडिल फिंगर यानी मध्यमा के नीचे होता है।
गुरु पर्वत: यह इंडेक्स फिंगर यानी तर्जनी के नीचे होता है।
बुध पर्वत: यह कनिष्ठ यानी छोटी उंगली के नीचे होता है।
चंद्र पर्वत: हथेली के नीचे की ओर, छोटी उंगली के पास
मंगल पर्वत: यह दो स्थानों पर पाया जाता है, अंगूठे के पास और चंद्र पर्वत के सामने।
शुक्र पर्वत: यह अंगूठे के नीचे होता है।
राहु-केतु पर्वत: ये हथेली के मध्य भाग और कुछ विशेष स्थितियों में देखे जाते हैं।
शुभ या अशुभ पर्वतों को कैसे जानें
यदि कोई पर्वत उभरा हुआ होता है, तो वह उस क्षेत्र की शक्ति और शुभता को दर्शाता है। समतल या सामान्य पर्वत जीवन के उस क्षेत्र में संतुलन को दिखाता है। दबे हुए पर्वत से यह संकेत मिलता है कि उस गुण में कमजोरी या संघर्ष हो सकता है। वहीं, अगर कोई पर्वत अत्यधिक उभरा हुआ है, तो यह दर्शाता है कि उस विशेष गुण का अति प्रयोग या दुरुपयोग हो रहा है।
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हथेली के पर्वतों से जानें अपना भाग्य
गुरु पर्वत: यह नेतृत्व, आत्मविश्वास और सम्मान देता है। जब यह उभरा हो तो व्यक्ति आदरणीय होता है, वहीं दबा हो तो आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है।
शनि पर्वत: यह गंभीरता और कर्म का प्रतीक है। जब य संतुलित हो तो व्यक्ति मेहनती और स्थिर जीवन वाला होता है, वहीं ज्यादा उभरा हो तो यह अकेलापन देता है।
सूर्य पर्वत: यह प्रसिद्धि और कला से जुड़ा होता है। गुलाबी और उभरा हो तो व्यक्ति नाम और शोहरत मिलता है, वहीं अधिक उभरा हो तो अहंकार बढ़ाता है।
बुध पर्वत: यह बुद्धिमत्ता और वाणी का संकेत देता है। जब यह मध्यम उभार हो तो बोलचाल में कुशलता लाता है, वहीं दबा हो तो भ्रम और झूठ की प्रवृत्ति को विकसित करता है।
शुक्र पर्वत: यह प्रेम, आकर्षण और विलासिता दर्शाता है। जब यह भरा हो तो सुख-संपन्नता देता है, वहीं बहुत मोटा हो तो भोग-विलास में अधिकता लाता है।
मंगल पर्वत: यह साहस और आत्मबल का प्रतीक है। जब यह संतुलित होता है, तो दृढ़ निश्चय देता है, वहीं ज्यादा उभरा हो तो यह व्यक्ति को क्रोधी स्वभाव का बनाता है।
चंद्र पर्वत: यह कल्पनाशक्ति और भावुकता से जुड़ा पर्वत है। जब यह उभरा हो तो रचनात्मकता और विदेश यात्रा के योग बनाता है, वहीं दबा हो तो नकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है।
राहु-केतु पर्वत: ये छाया ग्रहों से संबंधित पर्वत हैं। इनके अशुभ प्रभाव से भ्रम, रुकावटें और मानसिक अस्थिरता आ सकती है, शुभ हों तो अचानक लाभ या गुप्त ज्ञान की प्राप्ति संभव है।
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