हार्ट अटैक के केस आजकल काफी बढ़ गए हैं। युवाओं में भी हार्ट अटैक देखने को मिल रहा है। यहां तक कि कई योग गुरु भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। दरअसल हार्ट अटैक का कारण जितना हमारी हेल्थ से जुड़ा हुआ है, उतना ही ज्योतिष भी इस पर इफेक्ट डालता है। ज्योतिष के अनुसार कुछ ऐसे योग बताए गए हैं, जो अगर कुंडली में बनते हैं तो व्यक्ति को हार्ट अटैक का खतरा रहता है।
इसी प्रकार कुछ ग्रहों का अशुभ प्रभाव भी हार्ट अटैक का कारण बनता है। ज्योतिष शास्त्र में शरीर के रोगों के कारण बताए गए हैं। ज्योतिष के अनुसार, हार्ट के रोगों का संबंध सूर्य और चंद्रमा से होता है और जब ये ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं तो व्यक्ति हृदय संबंधी रोगों से घिर जाता है।
सूर्य का कमजोर होना
बृहत् पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार हृदय का प्रतिनिधि ग्रह सूर्य है, अगर यह राहु, केतु, शनि या मंगल से पीड़ित होता है तो व्यक्ति को हार्ट संबंधी परेशानियां होने का खतरा बना रहता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य नीच मतलब तुला राशि में हो या फिर अशुभ ग्रहों की दृष्टि उसपर पड़े तो हार्ट संबंधी बीमारियों की संभावना बढ़ जाएगी। लग्न कुंडली के चौथे भाव में कमजोर सूर्य या राहु-केतु के प्रभाव में सूर्य व्यक्ति का हार्ट रिलेटेड समस्याएं दे सकता है।
चंद्रमा का अशुभ प्रभाव
चंद्रमा मन का कारक होता है। चंद्रमा अगर अपनी नीच राशि वृश्चिक में हो या शनि, राहु अथवा केतु से पीड़ित हो तो हार्ट संबंधी रोगों की संभावना बढ़ जाती है। चंद्रमा और राहु की युति या ग्रहण योग होने पर व्यक्ति को ब्लड प्रेशर या हार्ट संबंधी समस्या होने का खतरा बनता है।
चौथे भाव का अशुभ होना
कुंडली में चौथे भाव को हार्ट का स्थान कहा जाता है। बृहत् पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार अगर यहां पापी ग्रह शनि, मंगल, राहु और केतु हों तो वह व्यक्ति हृदय रोगी हो सकता है। अगर यह भाव इन ग्रहों से पीड़ित भी हो तो भी हार्ट डिजीज का खतरा रहता है। चौथे भाव का स्वामी नीच राशि में मौजूद हो या पापी ग्रहों से प्रभावित हो तो भी व्यक्ति को दिल संबंधी समस्या हो सकती है।
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मंगल और शनि व राहु-केतु का नेगेटिव इंपैक्ट
मंगल खून और धमनियों का कारक है। फलदीपिकी के अनुसार अगर मंगल कमजोर हो या शनि-राहु से प्रभावित हो तो ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या होती है। वहीं, शनि वेसेल्स को कंप्रेस्ड करता है और यह चौथे भाव में सूर्य या मंगल के साथ अशुभ संबंध बनाता है तो भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है। मंगल-शनि का दु्ष्प्रभाव ही ब्लॉकेज का कारण बनता है।
जातक परिजात के अनुसार अगर राहु, सूर्य या चंद्रमा के साथ हो या फिर चतुर्थ भाव में मौजूद हो तो अचानक से हार्ट संबंधी परेशानी हो सकती है। केतु अगर चौथे भाव में हो और सूर्य कमजोर हो तो भी हार्ट से जुड़ीं समस्याएं हो सकती हैं। केतु का प्रभाव हार्ट की नसों में कमजोरी लाता है, जिससे हार्टबीट इररेगुलर हो सकती है।
हार्ट की बीमारियां देते हैं ये योग
- सूर्य + राहु या सूर्य + शनि का अशुभ संबंध – हार्ट प्रॉब्लम, ब्लॉकेज, हार्ट अटैक
- चतुर्थ भाव में शनि, राहु या मंगल- हृदय रोग, ब्लड प्रेशर की समस्या
- चौथे भाव का स्वामी नीच राशि में हो और पाप ग्रहों से पीड़ित हो या आठवें भाव में अशुभ ग्रह हो तो अचानक से हार्ट की बीमारियां या सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
- मंगल + शनि का अशुभ योग- ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हार्ट की समस्या
- चंद्रमा + राहु का ग्रहण योग – ब्लड सर्कुलेशन से जुड़ी समस्याएं और हार्ट वीकनेस
हार्ट समस्या से बचाएंगे ये उपाय
- सूर्य को जल दें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- रोज सुबह उगते सूर्य को देखें और सूर्य मंत्र पढ़ें।
चौथे भाव को करें मजबूत
- चतुर्थ भाव के स्वामी ग्रह की शांति के लिए उपाय करें।
- राहु-केतु से प्रभावित हों तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- चतुर्थ भाव में शनि या राहु हो तो हनुमान चालीसा का पाठ करें।
मंगल और शनि का हो दोष
- मंगल कमजोर हो तो हनुमान चालीसा पढ़ें और मंगलवार का व्रत करें।
- शनि से पीड़ित हों तो शनिदेव को तेल चढ़ाएं और शनिवार को दान करें।
- राहु-केतु के लिए करें ये उपाय
- राहु-केतु से प्रभावित हों तो “ॐ राहवे नमः” और “ॐ केतवे नमः” मंत्र का जाप करें।
- सफेद तिल, नारियल और काले उड़द का दान करें।
लाइफस्टाइल सुधारें
- मंत्र और दान के साथ-साथ हार्ट हेल्दी डाइट अपनाएं।
- रोजाना प्राणायाम और योग करें, विशेषकर अनुलोम-विलोम और कपालभाति।
- ऑयली और जंक फूड से बचें, नियमित व्यायाम करें।
- जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर और मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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