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हनुमानजी की कृपा से मिलती हैं अष्ट सिद्धियां और नव निधियां, इन्हें पा कर आप भी बन सकते हैं भाग्यशाली

Hanuman Jayanti: हनुमानचालिसा में एक पंक्ति आती है, ‘अष्ट सिद्धि, नव निधि के दाता, अर बर दीन जानकी माता।’ बजरंग बली जिस पर भी प्रसन्न होते हैं, उसे सहज ही अष्ट सिद्धियां और नव निधियां प्रदान कर देते हैं। ये ऐसी सिद्धियां हैं जिन्हें पाने के बाद पूरे ब्रह्माण्ड की धन-संपदा भी कम पड़ जाती […]

Author Edited By : Sunil Sharma Updated: Aug 23, 2023 15:56
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Hanuman Jayanti: हनुमानचालिसा में एक पंक्ति आती है, ‘अष्ट सिद्धि, नव निधि के दाता, अर बर दीन जानकी माता।’ बजरंग बली जिस पर भी प्रसन्न होते हैं, उसे सहज ही अष्ट सिद्धियां और नव निधियां प्रदान कर देते हैं। ये ऐसी सिद्धियां हैं जिन्हें पाने के बाद पूरे ब्रह्माण्ड की धन-संपदा भी कम पड़ जाती है। यही कारण है कि बड़े-बड़े लोग कड़ी तपस्या करके इन्हें पाने का प्रयास करते हैं। हालांकि बहुत कम लोगों को पता है कि अष्ट सिद्धियां और नव निधियां क्या होती हैं। जानिए इनके बारे में

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क्या होती हैं अष्ट सिद्धियां

योग शास्त्र और तंत्र शास्त्र में अष्ट सिद्धियों का वर्णन किया गया है। जिस भी व्यक्ति के पास ये सिद्धियां होती हैं, वह साक्षात ईश्वर के ही समान हो जाता है। इन्हें पाने के लिए रामनवमी, हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti), होली या दीवाली जैसे अवसरों पर साधना की जाती है। उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं रह जाता है। कहा जाता है कि रावण के पास भी अष्ट सिद्धियां थी। आदि शंकराचार्य सहित अन्य कई भक्तों और साधकों के पास को भी ये सिद्धियां प्रदान की गई थीं। शास्त्रों में अष्ट सिद्धियों का वर्णन निम्न प्रकार किया गया है।

  1. अणिमा – अपने शरीर को एक अणु के समान छोटा कर लेने की क्षमता।
  2. महिमा – शरीर का आकार अत्यन्त बड़ा करने की क्षमता।
  3. गरिमा – शरीर को अत्यन्त भारी बना देने की क्षमता।
  4. लघिमा – शरीर को भार रहित करने की क्षमता।
  5. प्राप्ति – बिना रोक टोक के किसी भी स्थान को जाने की क्षमता।
  6. प्राकाम्य – अपनी प्रत्येक इच्छा को पूर्ण करने की क्षमता।
  7. ईशित्व – प्रत्येक वस्तु और प्राणी पर पूर्ण अधिकार की क्षमता। यह सिद्धि ईश्वर के समान बना देती है।
  8. वशित्व – सृष्टि के प्रत्येक प्राणी को वश में करने की क्षमता।

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क्या है नव निधियां

वैदिक ग्रंथों में खजाने को ही निधि कहा जाता है। इन्हें नौ अलग-अलग प्रकार की श्रेणियों में बांटा गया है जिन्हें 1. पद्म निधि, 2. महापद्म निधि, 3. नील निधि, 4. मुकुंद निधि, 5. नंद निधि, 6. मकर निधि, 7. कच्छप निधि, 8. शंख निधि और 9. खर्व या मिश्र निधि कहा जाता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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First published on: Apr 04, 2023 11:26 AM

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