Garuda Purana: गरुड़ पुराण एक ऐसा ग्रंथ हैं जिसमें व्यक्ति के जीवन से लेकर मृत्यु तक की सारी बातें बताई गई है। हर किसी के मन में यह सवाल जरूर आता है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद आत्मा का क्या हाल होता है। साथ ही आत्मा यमलोक तक कैसे यात्रा करती है। इन सभी के जवाब गरुड़ पुराण में बताए गए हैं। गरुड़ पुराण में पापी व्यक्ति की मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या-क्या किया जाता है इसके बारे में वर्णन किया गया है। यदि आप इसके बारे में जानेंगे तो आपकी रूह कांप जाएगी।
बता दें कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो 13 दिन बाद पिंड दान होता है। पिंड दान के बाद व्यक्ति का आत्मा सूक्ष्म शरीर धारण करती है और इसी शरीर में यमलोक तक का सफर तय करना पड़ता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि पापी व्यक्ति को मृत्यु के बाद यमलोक की यात्रा कैसे करनी पड़ती है साथ ही कितने किलोमीटर तक चलना पड़ता है।
आत्मा को यमलोक ले जाते हैं यमदूत
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो यमराज के दूत उस व्यक्ति को एक दिन के लिए यमलोक ले जाते हैं। वहां ले जाकर व्यक्ति के जीवन भर के कर्मों का लेखा-जोखा खोलते हैं। व्यक्ति के कर्म के हिसाब से स्वर्ग लोक और नरक लोक या पितृलोक का निर्णय करते हैं। निर्णय करने के बाद यमराज आत्मा को 13 दिन के लिए पृथ्वीलोक पर भेज देते हैं।
12 लाख किलोमीटर तक करनी पड़ती है यात्रा
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति के परिजन 13 दिन बाद पिंडदान करते हैं। उस पिंडदान में मृत व्यक्ति का सूक्ष्म शरीर तैयार हो जाता है। साथ ही उस सूक्ष्म शरीर में व्यक्ति की आत्मा प्रवेश करती हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो लोग पुण्य किए होते हैं उनकी आत्मा 13 दिन बाद स्वर्ग लोक में जाकर सुख भोगने लगती है। वहीं पापी व्यक्ति की आत्मा पृथ्वी लोक से यमलोक तक की यात्रा पैदल तय करती हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, पृथ्वी लोक से यमलोक की यात्रा करीब 12 लाख किलोमीटर तक करनी पड़ती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, इस दूरी को तय करने में करीब 1 साल का समय लग जाता है।
किन-किन कष्टों से गुजरती है आत्मा
गरुड़ पुराण के अनुसार, पापी व्यक्ति की आत्मा को कई शहर और गावों से होकर गुजरना पड़ता है। इस बीच आत्मा के साथ कई घटनाएं होती हैं साथ ही न तो इन्हें आराम करने के लिए कोई जगह मिलती है और न ही प्यास लगने पर पानी मिलता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यमलोक की यात्रा में रास्ते में एक असिपत्र नाम का एक वन पड़ता है। जहां पर भयानक आग से होकर गुजरना पड़ता है। उस वन में कौआ, गिद्ध, उल्लू, मधुमक्खी जैसे कई जीव-जंतु मिलते हैं। ये जीव-जंतु आत्मा को परेशान भी करते हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा को इन सभी जीवों से बचने के लिए कभी खून के कीचड़ तो कभी अंधेरे कुएं में गिरना पड़ता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि आप ऐसी भयानक यात्रा से बचना चाहते हैं तो आप धर्म के मार्ग पर चलें। तभी आपको स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो सकती है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी गरुड़ पुराण पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है