इन चार कारणों के कारण द्रौपदी ने नहीं किया कर्ण से विवाह
- पहला कारण यह था कि कर्ण दुर्योधन का मित्र था अत: वह कभी भी द्रोणाचार्य का वध नहीं करता। इसी कारण द्रौपदी ने कर्ण से विवाह करने से मना कर दिया था।
- द्रौपदी के मना करने का दूसरा कारण यह था कि कर्ण की पहचान एक सूतपुत्र (रथ चलाने वाले सारथी के पुत्र) के रूप में थी। द्रौपदी को अनुभव हुआ कि कर्ण से विवाह करना उसके लिए अपयश का कारण बन सकता है। अत: उसने मना कर दिया।
- तीसरा कारण यह था कि भगवान कृष्ण ने ही द्रौपदी को कर्ण से विवाह करने से मना कर दिया था। द्रौपदी को कृष्ण की सखी माना जाता है, ऐसे में वह भगवान कृष्ण की बात कभी नहीं टालती थी। इसलिए भी उसने मना कर दिया।
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- चौथा कारण यह था कि द्रौपदी ने अपने पिछले जन्म में भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। वह चाहती थी कि उसका पति विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्म का ज्ञाता, गदाधर, धनुर्धर, भविष्यज्ञाता और अश्व चिकित्सक हो। उसके तप से प्रसन्न होकर भगवान महादेव ने उसे वरदान भी दे दिया था। कर्ण में इनमें से तीन ही गुण (धर्म का ज्ञान, धर्नुविद्या और गदा संचालन का ज्ञान) थे। जैसे ही द्रौपदी अर्जुन को वरमाला पहनाने के बाद उसके साथ घर पहुंची। कुंती ने अज्ञानतावश उसे पांचों पांडवों में बांटने का आदेश दिया। इस कारण उसके पांच पति हो गए। उसके ये पांचों पति भगवान शिव के वरदान के अनुरूप ही थे। युधिष्ठिर धर्म के ज्ञाता, भीम गदाधर, अर्जुन धनुर्धर, नकुल भविष्यज्ञाता और सहदेव अश्व चिकित्सक था। यदि वह कर्ण से विवाह करती तो भोलेनाथ का वरदान खंडित हो जाता।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
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