ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है। हमारी कुंडली के लग्न चार्ट, जिसको नेटल चार्ट या बर्थ चार्ट भी कहा जाता है। इसमें सूर्य की स्थिति हमारे जीवन के कई पहलुओं के बारे में बताती है। सूर्य का कुछ भावों में होना व्यक्ति को राजा बना देता है। वहीं, कुछ भावों में सूर्य का होना लाइफ में खराब असर भी डालता है।
सूर्य की स्थिति आपके करियर को भी डिसाइड कर सकती है अगर वह करियर भाव में हो या उसपर इंपैक्ट डाल रहा हो। सूर्य आपकी कुंडली में जहां मौजूद होता है, वहां पर आपको अच्छा फल मिलेगा या खराब ये सूर्य की स्थिति पर निर्भर करेगा। सूर्य मेष राशि में उच्च के और तुला राशि में नीच के होते हैं। सूर्य सिंह राशि के स्वामी होते हैं। आइए जानते हैं सूर्य का 12 अलग-अलग भावों में होना व्यक्ति की लाइफ पर क्या असर डालता है।
12 भावों में होता है अलग-अलग फल
कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं और हर भाव हमारी लाइफ के किसी न किसी पहलु से जुड़ा होता है। नीचे दी गई इमेज में आप देख सकते हैं कि कौन सा भाव या हाउस कहां होता है।आपकी कुंडली में इन भावों में जो भी नंबर लिखा हो, वह उस राशि का नंबर होता है जो उस भाव में मौजूद होती है।
जैसे 1 नंबर मेष राशि का 2 नंबर वृषभ राशि का ऐसे ही अन्य राशियों के नंबर भी होते हैं, जो नीचे दिए गए चार्ट से आप देख सकते हैं। अगर कहीं पर 5 नंबर लिखा है तो इसका मतलब है कि उस भाव में सिंह राशि मौजूद है। सिंह राशि के स्वामी खुद सूर्य हैं। वहीं, 1 नंबर मेष राशि में वे उच्च के होंगे। 7 नंबर तुला राशि में वे नीच के होंगे। जब नवमांश और लग्न कुंडली दोनों में ग्रह एक ही राशि में हो तो वो वर्गोतम हो जाता है।अब जानते हैं कि कुंडली के 12 भावों में सूर्य के होने का क्या असर होगा।
पहला भाव (लग्न) (सेल्फ, पर्सनैलिटी)
ब सूर्य आपकी कुंडली के पहले भाव यानी लग्न में होता है, तो व्यक्ति की पर्सनैलिटी खुद ही एक ब्रांड बन जाती है। व्यक्ति लीडरशिप क्वालिटी से भरपूर होता है, उसकी प्रेजेंस दमदार होती है और लोग उनको नोटिस करते हैं। अगर सूर्य यहां मेष राशि (1) मतलब उच्च राशि में हो तो व्यक्ति को सोशल लाइफ, प्रशासन या किसी लीडरशिप रोल में बेहतरीन सफलता मिल सकती है। मतलब ऐसा व्यक्ति IAS, IPS या कोई बड़ा राजनेता बनता है। वहीं, अगर सूर्य इसी भाव में अपनी नीच राशि तुला (6) में हो (नीच राशि), तो कभी-कभी आत्मविश्वास में गिरावट और पहचान को लेकर उलझन देखने को मिलती है। सूर्य इस भाव में हो तो आपका आत्मबल और इमेज दोनों लंबे समय तक टिकने वाले होते हैं, यानी लाइफ में जो आप बनते हैं, वो फिक्स होता है।
दूसरा भाव (धन)
दूसरा भाव धन का होता है। सूर्य अगर कुंडली के धन भाव में है तो आपकी वाणी में एक नैचुरल ऑथोरिटी होती है। जब आप बोलते हैं तो लोग सुनते हैं। इस पोजीशन के लोग फैमिली में फैसले लेने वाले होते हैं और पैसा संभालने में भी स्मार्ट होते हैं। अगर सूर्य उच्च स्थिति में है तो आपके शब्दों से ही पैसा आएगा जैसे पब्लिक स्पीकिंग, ट्रेनिंग, या लीडरशिप से जुड़ा काम करेंगे। अगर नीच स्थिति में हो तो फैमिली में टेंशन, और बोलचाल में रूखापन आ सकता है। सूर्य वर्गोत्तम हो तो आपकी बातों में दम और पैसे को लेकर स्थिरता रहती है। इसके साथ ही व्यक्ति करोड़पति बनता है।
तीसरा भाव (पराक्रम)
तीसरे भाव में सूर्य होना व्यक्ति को एक बोल्ड और एक्सपेरिमेंटल सोच वाला इंसान बनाता है। ये लोग रिस्क लेने से डरते नहीं हैं और अपने दम पर कुछ नया करने का जज्बा रखते हैं। अगर सूर्य उच्च हो तो ऐसी पोजिशन मिलती है व्यक्ति कम्युनिकेशन, मीडिया, डिफेंस या पॉलिटिक्स में नाम कमाता है। नीच सूर्य आत्मबल थोड़ा कम कर सकता है और भाई-बहनों से दूरी भी ला सकता है। सूर्य वर्गोत्तम हो तो आपको एक ऐसा स्टेबल माइंडसेट देता है, जिससे व्यक्ति हर सिचुएशन में पॉजिटिव तरीके से सोच सकता है और लगातार मेहनत करता है।
चौथा भाव (घर, मां, सुख)
जब सूर्य चौथे भाव में होता है तो ये आपके होम एनवायरनमेंट और इमोशनल वर्ल्ड को हाइलाइट करता है। ऐसे लोग अपने घर को बहुत सीरियसली लेते हैं यानी घर में डिसिप्लिन और स्ट्रक्चर रखते हैं। अगर सूर्य उच्च है, तो घर, गाड़ी आदि सबकुछ लाभ मिलते हैं और मां से रिलेशन भी स्ट्रॉन्ग रहते हैं। नीच सूर्य कभी-कभी घर में तनाव ला सकता है, और इमोशनल कनेक्ट वीक हो सकता है। सूर्य इस भाव में वर्गोत्तम हो तो पर्सनल लाइफ स्टेबल रहती है और फैमिली लाइफ में क्लैरिटी रहती है।
पांचवां भाव (क्रिएटिविटी, संतान, रोमांस)
सूर्य अगर पांचवें भाव में है, तो आप नैचुरली क्रिएटिव होते हैं और आपकी थिंकिंग में यूनिकनेस होती है। सूर्य का इस भाव में होना व्यक्ति फिल्म, आर्ट, डिजाइन या मैनेजमेंट जैसे फील्ड्स में काम दिलाता है। उच्च सूर्य आपको एक गाइड, टीचर या लीडर बना सकता है। नीच सूर्य कभी-कभी बच्चों से डिस्टेंस या अपने आइडियाज पर कन्फ्यूजन ला सकता है। अगर सूर्य वर्गोत्तम हो तो आपकी सोच न केवल अलग होगी बल्कि समय के साथ मैच करती हुई और प्रभावशाली भी रहेगी।
छठा भाव (रोग, रूटीन, कॉम्पिटिशन)
जब सूर्य इस भाव में होता है तो ये आपको एक वॉरियर माइंडसेट देता है। आप कॉम्पिटिशन में अच्छा परफॉर्म करते हैं और हेल्थ को लेकर अवेयर रहते हैं। अगर सूर्य उच्च हो, तो आप हेल्थ और फिटनेस में आगे रहते हैं और लाइफ में आने वाले चैलेंजेस को बहुत पॉजिटिवली हैंडल करते हैं। नीच सूर्य रूटीन में डिसबैलेंस, लो एनर्जी या स्ट्रेस ला सकता है। सूर्य यहां वर्गोत्तम हो तो आपके पास एक स्ट्रॉन्ग वर्क-एथिक और स्ट्रेस हैंडलिंग कैपेसिटी होती है, जो आपको आगे बढ़ाती है।
सातवां भाव (रिलेशनशिप्स और पार्टनरशिप)
अगर सूर्य आपकी कुंडली के सातवें भाव में है, तो रिलेशनशिप आपके लिए सिर्फ इमोशन नहीं बल्कि एक पावर इक्वेशन होती है। ऐसे में आप चाहते हैं कि पार्टनर भी उतना ही स्ट्रॉन्ग हो जितना आप खुद हैं, लेकिन कभी-कभी ये चीज रिश्तों में इगो क्लैश भी पैदा कर सकती है। उच्च सूर्य यहां पार्टनर को स्टेटस और रिस्पेक्ट से जोड़ता है, जबकि नीच सूर्य कम्युनिकेशन गैप या रिलेशनशिप में दूरियां ला सकता है। सूर्य इस भाव में वर्गोत्तम हो तो पार्टनरशिप्स बैलेंस्ड, क्लियर और लॉन्ग-लास्टिंग होती हैं।
आठवां भाव (रहस्य, परिवर्तन और गहराई)
सूर्य अगर इस भाव में है तो आप हर चीज को सतह से नीचे जाकर समझना पसंद करते हैं। आपकी लाइफ में कई फेज ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन आते हैं, जिससे आप हर बार और ज्यादा स्ट्रॉन्ग बनकर निकलते हैं। उच्च सूर्य यहां आपको रिसर्च, साइकोलॉजी या इंवेस्टिगेशन जैसी फील्ड में एक्सपर्ट बना सकता है। नीच सूर्य इमोशनल उतार-चढ़ाव या अचानक बदलाव ला सकता है। सूर्य यहां वर्गोत्तम हो तो आप अपनी लाइफ को बार-बार रीइनवेंट करने की गहरी क्षमता रखते हैं।
नौवां भाव (धर्म, दर्शन और दूरगामी सोच)
जब सूर्य नवम भाव में होता है, तो आपकी सोच बड़ी होती है। आप दुनिया को एक बड़े नजरिए से देखते हैं। उच्च सूर्य यहां स्पिरिचुअल ग्रोथ और लॉन्ग टर्म विजन देता है। आप धार्मिक, फिलॉसॉफिकल या एजुकेशनल फील्ड में नाम कमा सकते हैं। नीच सूर्य कभी-कभी आपको अपने विश्वास से अलग कर सकता है या गुरु से मतभेद ला सकता है। वर्गोत्तम सूर्य आपकी सोच को गहराई, परिपक्वता और ग्लोबल विजन से जोड़ता है। जो आपको जीवन में सही दिशा में आगे ले जाता है।
दसवां भाव (कैरियर और समाज में स्टेटस)
सूर्य अगर दशम भाव में है तो यह आपके करियर को चार चांद लगाता है। आप ऐसे व्यक्ति होते हैं जो अपने काम से पहचाने जाते हैं। उच्च सूर्य आपको पब्लिक स्टेटस, गवर्नमेंट जॉब या हाई पोजीशन तक पहुंचा सकता है। नीच सूर्य शुरुआत में पहचान बनाने में समय ले सकता है, लेकिन अगर मेहनत बनी रहे तो सफलता निश्चित है। वर्गोत्तम सूर्य आपको एक ऐसी प्रोफेशनल इमेज देता है, जो लंबे समय तक कायम रहती है और लोग आपकी सलाह को सीरियसली लेते हैं। व्यक्ति के पास करोड़ों रुपये की आमदनी होती है।
ग्यारहवां भाव (गोल्स, नेटवर्क और इनकम)
अगर सूर्य इस भाव में हो तो आप बड़े सपने देखने वाले होते हैं और उन्हें पूरा करने की काबिलियत रखते हैं। उच्च सूर्य से आप एक स्ट्रॉन्ग सोशल सर्कल बनाते हैं और आपकी नेटवर्किंग से इनकम और मौके दोनों बढ़ते हैं। नीच सूर्य से कभी-कभी गलत लोगों से जुड़ाव या धोखा होने की संभावना होती है। अगर सूर्य वर्गोत्तम हो तो आपका गोल्स के प्रति फोकस, नेटवर्क की गुणवत्ता और प्रैक्टिकल माइंडसेट होता है। ये तीनों मिलकर आपकी सक्सेस को मजबूत करते हैं।
बारहवां भाव (मोक्ष, विदेश, आत्म-खोज)
सूर्य अगर बारहवें भाव में हो तो आपकी सोच दुनिया से अलग और गहरी होती है। आप इनर वर्ल्ड को एक्सप्लोर करना पसंद करते हैं चाहे वो मेडिटेशन हो, आर्ट हो या इंटरनेशनल एक्सपीरियंस हो। उच्च सूर्य आत्म-जागरूकता और विदेशों में सफलता दिलाता है। नीच का सूर्य आपको कभी-कभी अकेलेपन या कन्फ्यूजन की स्थिति में ला सकता है। अगर सूर्य वर्गोत्तम हो तो आपकी आत्मिक यात्रा स्थिर, गहन और उद्देश्यपूर्ण होती है, और आप लाइफ को एक विजन के साथ जीते हैं।
भाव | सूर्य की स्थिति | उच्च स्थिति का प्रभाव | नीच स्थिति का प्रभाव |
1. पहला भाव (लग्न) | लोगों में लीडरशिप की भावना, आत्मविश्वास, पब्लिक लाइफ में सफलता | बड़े आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व क्षमता और समाज में प्रभाव | आत्मविश्वास में कमी, पहचान में उलझन, अहंकार में वृद्धि |
2. दूसरा भाव (धन) | वाणी में ताकत, परिवार में प्रमुखता, धन के मामलों में समझदारी | वाणी से पैसा और मान्यता मिलती है, परिवार में स्थिरता | परिवार में संघर्ष, वाणी में कठोरता, धन में कमी |
3. तीसरा भाव (पराक्रम) | बोल्ड और जोखिम लेने वाला, मीडिया, राजनीति या सैन्य में सफलता | मीडिया और राजनीति में सफलता, अपनी टीम का नेतृत्व करते हैं | अच्छा नहीं सोचते, भाई-बहन से दूर, नकारात्मकता |
4. चौथा भाव (घर, मां, सुख) | घर में संरचना और अनुशासन, माँ से संबंधित समस्याएँ या फायदें | घर-गाड़ी से लाभ, मां से मजबूत रिश्ते | घर में तनाव, इमोशनल कनेक्शन में कमी, माँ से दूर |
5. पांचवां भाव (क्रिएटिविटी, संतान, रोमांस) | क्रिएटिविटी, नए आइडियाज, कला और डिजाइन के क्षेत्र में सफलता | शिक्षा, कला और डिजाइन में गाइड और लीडर बनना | बच्चों से दूर, मानसिक भ्रम, अपने आइडियाज में उलझन |
6. छठा भाव (रोग, रूटीन, कॉम्पिटिशन) | स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, प्रतिस्पर्धा में सफलता | स्वास्थ्य और फिटनेस में शानदार, जीवन के संघर्षों में सफलता | स्वास्थ्य में गड़बड़ी, रूटीन में असंतुलन |
7. सातवां भाव (विवाह, पार्टनरशिप) | साझेदारी और रिश्तों में इगो क्लैश, अच्छे जीवनसाथी की तलाश | प्रभावशाली पार्टनर मिलता है, रिश्ते मजबूत होते हैं | कम्युनिकेशन गैप, अहंकार की समस्या |
8. आठवां भाव (गोपनता, रिसर्च, परिवर्तन) | गहरे विचार, रिसर्च और ट्रांसफॉर्मेशन में महारत, रहस्य उजागर | गहरे शोध और शोध के क्षेत्र में सफलता | भावनात्मक उतार-चढ़ाव, अचानक बदलाव, रिसर्च में मुश्किलें |
9. नौवां भाव (धर्म, विदेश, भाग्य) | धर्म और दर्शन में रुचि, विदेश यात्रा या उच्च शिक्षा से लाभ | धार्मिक क्षेत्र में बढ़िया सफलता और दृषटिकोन में व्यापकता | विश्वास में संकोच, धार्मिक या शिक्षा से दूरी |
10. दसवां भाव (कैरियर, समाज में स्थान) | समाज में उच्च स्थान, पब्लिक लाइफ में प्रभाव, करियर में सफलता | करियर में तेज़ी से वृद्धि, समाज में सम्मान प्राप्त होता है | समाज में संघर्ष, पहचान में विलंब, करियर में रुकावट |
11. ग्यारहवां भाव (दोस्त, नेटवर्क, इनकम) | सोशल सर्कल और नेटवर्किंग, नए अवसर प्राप्त करने में सक्षम | बड़े गोल्स प्राप्त करने के लिए सोशल नेटवर्किंग से मदद | गलत कनेक्शन्स, गलत लोगों से मुलाकात |
12. बारहवां भाव (विदेश, मोक्ष, खर्च) | आध्यात्मिक गहराई, मानसिक शांति, विदेश यात्रा का लाभ | आध्यात्मिक विकास और मानसिक शांति प्राप्त होती है | थकावट, मानसिक असंतुलन, कन्फ्यूजन |
कुंडली के भावों में लिखे नंबर | राशि |
1 | मेष |
2 | वृषभ |
3 | मिथुन |
4 | कर्क |
5 | सिंह |
6 | कन्या |
7 | तुला |
8 | वृश्चिक |
9 | धनु |
10 | मकर |
11 | कुम्भ |
12 | मीन |
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