Aaj Ka Panchang 20 April 2025: आज 20 अप्रैल, 2025 को वैशाख माह का सातवां दिन है और आज इस माह की सप्तमी तिथि है। आज दिनमान यानी दिन की लंबाई 12 घंटे 19 मिनट 18 सेकंड की है, जबकि रात्रिमान 10 घंटे 59 मिनट 42 सेकंड की होगी। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रीष्म ऋतु का पूर्वार्ध काल है और सूर्य वर्तमान में उत्तरायण में गोचर कर रहे हैं।
आइए जानते हैं, 20 अप्रैल के पंचांग के पांचों अंग यानी तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण की क्या स्थितियां हैं? आज का कौन-सा समय आपके लिए शुभ सिद्ध होने के योग दर्शा रहा है और आज के राहु काल का समय क्या है?
आज का पंचांग
तिथि: आज वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है, जो 07:00 PM तक व्याप्त रहेगी। इसके बाद वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। सप्तमी तिथि एक भद्रा तिथि है, जिसकी स्वामी भगवान सूर्य हैं और इस दिन का स्वभाव मित्रवत होता है। यह तिथि शुभ मुहूर्तों में स्वीकृत है।
नक्षत्र: आज पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 11:48 AM तक व्याप्त रहेगी है। यह एक शुभ नक्षत्र है। इसके बाद उत्तराषाढ़ा नक्षत्र शुरू होगी, यह भी एक शुभ नक्षत्र है।
दिन/वार: आज रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है, जिन्हें नवग्रहों का स्वामी माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं और नवग्रहों की पूजा करने से विशेष लाभ और फल की प्राप्ति होती है।
योग: आज दिन भर सिद्ध योग व्याप्त रहेगा, जो कि एक शुभ योग है और यह 21 अप्रैल की 12:13 AM तक व्याप्त रहेगी। इसके बाद साध्य योग की शुरुआत होगी, यह भी एक शुभ योग है।
इसके साथ ही, आज त्रिपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग जैसे विशेष योग बन रहे हैं। इससे यह दिन खास बन गया है। इन योगों की अवधि को आप नीचे की शुभ योग की कैटेगरी में देख सकते हैं?
करण: आज 06:46 AM तक विष्टि करण का प्रभाव रहेगा, इसके बाद बव करण की शुरुआत होगी, जो 07:00 PM तक व्याप्त रहेगी। इसके बाद बालव करण की शुरुआत होगी।
सूर्य-चंद्र गोचर
आज के पंचाग के उपर्युक्त इन पांच अंगों के साथ ही आज सूर्य और चंद्र गोचर की स्थिति इस प्रकार रहने के योग हैं:
सूर्य गोचर: सूर्य मेष राशि में गोचर कर रहे हैं, जिसके स्वामी मंगल हैं।
चन्द्र गोचर: चंद्रमा आज धनु राशि में गोचर कर रहे हैं, जिसके स्वामी बृहस्पति हैं। लेकिन इस राशि में वे 06:04 PM तक ही रहेंगे। इसके बाद वे मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
शुभ-अशुभ काल
आज शुभ मुहूर्तों की स्थितियां इस प्रकार रहने के योग हैं:
ब्रह्म मुहूर्त: 04:22 AM से 05:06 AM
प्रातः सन्ध्या: 04:44 AM से 05:51 AM
अभिजित मुहूर्त: 11:54 AM से 12:46 PM
विजय मुहूर्त: 02:30 PM से 03:22 PM
गोधूलि मुहूर्त: 06:49 PM से 07:11 PM
सायाह्न सन्ध्या: 06:50 PM से 07:56 PM
अमृत काल: 06:43 AM से 08:24 AM
निशिता मुहूर्त: 11:58 PM से 12:42 AM, अप्रैल 21
त्रिपुष्कर योग: 11:48 AM से 07:00 PM
सर्वार्थ सिद्धि योग: 11:48 AM से 05:50 AM, अप्रैल 21
रवि योग: 05:51 AM से 11:48 AM
आज अशुभ मुहूर्तों की स्थितियां इस प्रकार रहने के योग हैं:
राहुकाल: आज राहु काल 09:06 AM से 10:43 AM तक रहने का योग है। हिन्दू धर्म में इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य आरंभ करने की मनाही है।
राहुकाल: 05:12 PM से 06:50 PM
यमगण्ड: 12:20 PM से 01:58 PM
गुलिक काल: 03:35 PM से 05:12 PM
दुर्मुहूर्त काल: 05:06 PM से 05:58 PM
विष घटी/वर्ज्य काल: 08:04 PM से 09:44 PM
भद्रा काल : 05:51 AM से 06:46 AM
20 अप्रैल 2025 के पर्व और त्योहार
आज वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है और दिन रविवार है। यह दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे ग्रहों के स्वामी और धरती पर ऊर्जा और प्रकाश में महान स्रोत भगवान सूर्य को समर्पित माना जाता है। रविवार के दिन सूर्यदेव की उपासना करने से मान-सम्मान, स्वास्थ्य और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
रविवार के दिन सूर्यदेव के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं और नवग्रहों की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। रविवार का व्रत रखने से आत्मसंयम और आंतरिक शुद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन दान करने से पुण्य फल मिलता है और सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सुख-समृद्धि तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है।
भानु सप्तमी: भानु सप्तमी, जिसे सूर्य सप्तमी या रथ सप्तमी भी कहा जाता है, सूर्य देव को समर्पित एक विशेष तिथि है जिसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह तिथि हर महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को पड़ती है, और जब यह रविवार के दिन होती है, तो इसे भानु सप्तमी कहा जाता है।
कालाष्टमी: कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित एक महत्वपूर्ण तिथि है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी: मासिक कृष्ण जन्माष्टमी हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है और इसे भगवान कृष्ण के जन्म के मासिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने और भगवान कृष्ण की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
आज की यात्रा टिप्स: आज पश्चिम दिशा में दिशाशूल होने के कारण, आपातकाल को छोड़कर आज इस दिशा में यात्रा करना शुभ नहीं है।
पंचांग का महत्व
पंचांग केवल तिथियों और त्योहारों का कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह जीवन को सफलता और समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करने वाला एक महत्वपूर्ण साधन है। यह ब्रह्मांड की प्राकृतिक लय और खगोलीय घटनाओं के अनुरूप चलने की प्रेरणा देता है, जिससे समय और परिस्थितियां अनुकूल बनाई जा सकती हैं।
पंचांग के पांच प्रमुख अंग
पंचांग के पांच मुख्य घटक होते हैं, जिनका ध्यान रखकर किए गए कार्यों में सफलता और समृद्धि की संभावना बढ़ जाती है। पंचांग एक ये घटक हैं:
वार: यह सप्ताह के सातों दिनों का महत्व और उनका प्रभाव को बतलाता है।
तिथि: इसके अनुसार चंद्र मास के अनुसार दिन की गणना का पता चलता है।
नक्षत्र: यह विशिष्ट नक्षत्रों की स्थिति और उनके प्रभाव बतलाता है।
योग: इससे विशेष खगोलीय संयोगों का महत्व का पता चलता है।
करण: आधे तिथि का सूचक को करण कहा जाता है, जो कार्यों की शुभता को प्रभावित करता है।
शुभ कार्यों में पंचांग का महत्व: हिंदू संस्कृति में पंचांग के आधार पर शुभ कार्य किए जाते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और इच्छित फल की प्राप्ति होती है। ये कार्य मुख्य रूप से हैं: विवाह, गृह प्रवेश, व्यवसाय की शुरुआत, यात्रा और अन्य मांगलिक कार्य।
पंचांग की जीवन में भूमिका: पंचांग केवल शुभ मुहूर्त जानने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की निर्णय क्षमता को भी सुदृढ़ करता है। यह प्रकृति और ब्रह्मांड की ऊर्जा के साथ संतुलन स्थापित करने में सहायक होता है, जिससे जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता का संचार होता है। अतः पंचांग का अनुसरण करके हम अपने जीवन को अधिक सफल और समृद्ध बना सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।