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क्यों खुद को 12 टुकड़ों में बांटना चाहता है पाकिस्तान? क्या है शहबाज सरकार का मकसद? जानिए- क्या कह रहे एक्सपर्ट

पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार अपने चार प्रांतों को 12 प्रांतों में बांटना चाहती है. हर प्रांत के तीन प्रांत बनाए जाएंगे.

Author Edited By : Arif Khan
Updated: Dec 11, 2025 12:18
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के इस कदम से दिक्कतें बढ़ने के आसार हैं.

पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार अपने देश को 12 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटने पर विचार कर रही है. पाकिस्तान के मंत्री अब्दुल अलीम खान ने इसको लेकर बयान देते हुए कहा था कि ऐसा करने से गवर्नेंस में सुधार होगा. इसके साथ ही उन्होंने इसके लिए अपने पड़ोसी देशों का भी हवाला दिया और कहा कि वहां भी छोटे-छोटे प्रांत हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम पाकिस्तान के लिए सही होगा? क्योंकि पहले भी ऐसा करने को लेकर विचार होते रहे हैं. क्या यह कदम, ज्यादा समस्या तो पैदा नहीं करेगा? इसको लेकर एक्सपर्ट्स की क्या राय है.

क्यों छोटे-छोटे प्रांत चाहता है पाकिस्तान

इस्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी के नेता अब्दुल अलीम खान शहबाज शरीफ सरकार में मंत्री हैं. उन्होंने छोटे-छोटे प्रांत बनाने को लेकर वजह भी बताई है. उनका कहना है कि अगर प्रांत छोटे-छोटे रहेंगे तो शासन अच्छे से चलाया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इससे नागरिकों को सरकारी सेवाएं ज्यादा अच्छे से मिल सकेंगी. उन्होंने अपने पड़ोसी देशों का भी उदाहरण दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिंध, पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा हर प्रांत से तीन-तीन प्रांत बनाए जाएंगे. इस तरह अब पाकिस्तान में चार की जगह 12 प्रांत होंगे.

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गले की फांस तो नहीं बन जाएगा

पाकिस्तान के लिए यह कदम गले की फांस भी साबित हो सकता है. पाकिस्तान सरकार यह कदम उस वक्त उठाने जा रही है, जब बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में आजादी के सुर मजबूती के साथ उठ रहे हैं. पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ वहां के लोगों में काफी गुस्सा है.

वहीं, बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से भी सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी भी सरकार की बड़ी सहयोगी पार्टी है. लेकिन यह पार्टी हमेशा सिंध का बंटवारा होने का विरोध करती रही है. नवंबर महीने में सिंध के मुख्यमंत्री और पीपीपी नेता मुराद अली शाह ने चेताया भी था कि उनकी पार्टी सिंध को ज्यादा हिस्सों में बांटने के किसी भी कदम को कभी कबूल नहीं करेगी.

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पहले भी पाकिस्तान में छोटे-छोटे प्रांत बनाने को लेकर विचार होता रहा है. लेकिन कामयाबी कभी नहीं मिली. इस बार पीएम शरीफ के गठबंधन को कई थिंक टैंकों और पार्टियों का समर्थन मिला हुआ है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान में प्रांतों की संख्या बढ़ाने से फायदे की जगह नुकसान होने के ज्यादा आसार दिख रहे हैं.

पाकिस्तान के वरिष्ठ नौकरशाह सैयद अख्तर अली शाह ने कहा कि इस पर फैसला लेते वक्त संवैधानिक, प्रशासनिक और ऐतिहासिक सभी पहलुओं पर सावधान रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में असली समस्या कमजोर कानून-व्यवस्था और खराब स्थानीय शासन है. अगर इनमें सुधार नहीं किया गया और प्रांतों की संख्या बढ़ा दी जाती है तो स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है.

पाकिस्तानी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ में सैयद अख्तर अली शाह ने एक लेख लिखा है. इस लेख में उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान में मुख्य समस्या प्रांतों की संख्या नहीं है, लेकिन शासन में मौजूद कमियां हैं. कमजोर संस्थाएं, कमजोर कानून-व्यवस्था, जवाबदेही की कमी है. केवल प्रांतों की संख्या में इजाफा करने से असली समस्याओं का खात्मा नहीं होगा, बल्कि ये समस्याएं और ज्यादा बढ़ सकती हैं.’

पाकिस्तान के थिंक टैंक पिलडैट के अध्यक्ष, अहमद बिलाल महबूब का कहना है, नए प्रांत बनाना महंगा, जटिल और राजनीतिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है. उन्होंने पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ में लिखे लेख में कहा है, ‘समस्या बड़े प्रांत नहीं हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर शक्तियों के विकेंद्रीकरण की कमी है.’

आजादी के वक्त थे 5 प्रांत

जब पाकिस्तान को साल 1947 में आजादी मिली थी. तब वहां पांच प्रांत थे – पूर्वी बंगाल, पश्चिमी पंजाब, सिंध, उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत और बलूचिस्तान. फिर साल 1971 में पूर्वी बंगाल अलग होकर स्वतंत्र देश बांग्लादेश बन गया. इसके साथ ही पश्चिमी पंजाब का नाम बदलकर ‘पंजाब’ और उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत का नाम बदलकर ‘खैबर पख्तूनख्वा’ कर दिया गया. हालांकि, सिंध और बलूचिस्तान का नाम नहीं बदला गया.

First published on: Dec 11, 2025 12:18 PM

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