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क्या है ब्लैक और ग्रे लिस्ट? जिनमें ईरान समेत 26 बड़े देशों के नाम, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद से कनेक्शन

FATF Black Grey Lists: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स इंटरनेशनल लेवल पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को फंडिंग के खिलाफ काम करती है, देशों के खिलाफ एक्शन लेकर उन्हें ब्लैक और ग्रे लिस्ट में डालती है. यह संस्था मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को फंडिंग के खिलाफ काम करने के लिए एक्शन प्लान बनाकर देती है, जिसे देशों को लागू करना होता है.

Author Written By: News24 हिंदी Updated: Oct 25, 2025 09:20
FATF Black Grey Lists
FATF इंटरनेशनल लेवल पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को फंडिंग के खिलाफ काम करती है.

FATF Black Grey Lists: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को फंडिंग को रोकने के लिए काम करती है. इस संस्था ने एक एक्शन प्लान बनाकर देशों को दिया हुआ है. अगर देश एक्शन प्लान को लागू नहीं करते हैं तो संस्था उनके खिलाफ एक्शन लेते हुए उन्हें ब्लैक लिस्ट और ग्रे लिस्ट में डाल देती है. साल में 3 बार फरवरी, जून और अक्टूबर में संस्था दोनों लिस्टों को अपडेट करती है और ताजा अपडेट के अनुसार, ब्लैक लिस्ट में सिर्फ 3 देश हैं और ग्रे लिस्ट में 23 देश हैं, आइए इन लिस्टों के बारे में विस्तार से जानते हैं…

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क्या है ब्लैक लिस्ट?

बता दें कि ब्लैक लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है, एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और काउंटर-टेररिज्म फाइनेंसिंग के लिए निर्धारित मानकों का पालन नहीं करते हैं. ऐसा करने से इंटरनेशनल फाइनेंशियल सिस्टम के लिए खतरा पैदा होता है, इसलिए संस्था इन देशों को अपनी ब्लैक लिस्ट में डाल देती है. ताजा अपडेट के अनुसार, इस लिस्ट में सिर्फ 3 देश ईरान, म्यांमार और नॉर्थ कोरिया शामिल हैं. क्योंकि ये तीनों देश FATF के एक्शन प्लान को पूरा नहीं करने में असफल रहे हैं.

इन तीनों देशों में एक्शन प्लान को लागू करने की कोई इच्छा भी नहीं दिख रही है. नॉर्थ कोरिया में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के सबूत मिले हैं. विनाशकारी हथियार बनाने के लिए भी किम जोंग सरकार अप्रत्यक्ष तरीके से फंडिंग कर रही है. ईरान भी एक्शन प्लान को लागू नहीं कर पाया और उसकी समय अवधि साल 2018 में खत्म हो गई थी. म्यांमार के एक्शन प्लान की अवधि साल 2021 में खत्म हो गई थी और सैन्य तख्तापलट के बाद देश का कंट्रोल कमजोर हुआ है.

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बता दें कि ब्लैक लिस्ट में नाम आने के बाद देशों पर आर्थिक प्रतिबंध, व्यापार, बैंकिंग और वित्तीय लेन-देन पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाते हैं. वैश्विक बैंक इनके प्रस्ताव को टाल देते हैं. FATF अपने सदस्य देशों को ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों के खिलाफ काउंटर-मेजर्स अपनाने की सलाह देती है. जैसे नॉर्थ कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रतिबंध लगाए हैं. ईरान पर अमेरिका समेत कई देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं. म्यांमार भी कई प्रकार के आर्थिक प्रतिबंध झेल रहा है.

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क्या है ग्रे लिस्ट?

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है, जो एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (AML) और काउंटरिंग द फाइनेंसिंग ऑफ टेररिज्म (CFT) के लिए निर्धारित नियमों को लागू तो करते हैं, लेकिन उनमें कमजोरियां होती हैं, जिन्हें सुधारने के लिए वे क्या काम करते हैं, इस पर फोर्स की निगरानी होती है. वर्तमान में ग्रे लिस्ट में 23 देश हैं, जिनमें नेपाल भी शामिल है, लेकन ग्रे लिस्ट में शामिल देशों पर आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाए जाते, बल्कि निवेश, व्यापार और वित्तीय लेन-देन में मुश्किलें आती हैं.

पाकिस्तान साल 2022 में ग्रे लिस्ट से हट चुका है. फरवरी 2025 में ग्रे लिस्ट से फिलीपींस को और जून 2025 में क्रोएशिया को हटाया गया था. इनके अलावा ग्रे लिस्ट में अल्जीरिया, अंगोला, बोलिविया, बुर्किना फासो, कैमरून, कोटे डी’इवोयर, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, हैती, जमैका, लाओस, लेबनान, माली, मोनाको, मोजाम्बिक, नामीबिया, नेपाल, फिलिस्तीन, दक्षिण सूडान, सीरिया, तंजानिया, वेनेजुएला, वियतनाम और यमन शामिल हैं. इन देशों पर जहां FATF की नजर है, वहीं वैश्विक वित्तीय संस्थानों द्वारा इनकी जांच भी की जाती है.

First published on: Oct 25, 2025 08:37 AM

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