Violence Against Hindu And Minorities: बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यक समूहों पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। यह मामला ब्रिटेन की संसद में उठाया गया है। मसले को कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने दी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में गैर-मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और अत्याचार लगातार जारी हैं और ब्रिटेन की सरकार को बयान देने की जरूरत है कि उन्होंने इस बारे में अपनी तरफ से क्या प्रयास किए हैं। बता दें कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यक समूहों (बौद्ध, ईसाई, अहमदिया मुस्लिम) पर अत्याचार का मामला अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से गरमाया हुआ है। शेख हसीना और आवामी लीग के शासनकाल को हिंदुओं का समर्थक माना जाता था।
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शेख हसीना सरकार के पतन के बाद खराब हुए हालात
शेख हसीना के तख्तापलट, इस्तीफे और भारत में शरण लेने के बाद अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर बांग्लादेश में हमले आए। तब से अब तक हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और आपराधिक वारदातें अंजाम दी जा चुकी हैं। शेख हसीना की सरकार के पतन देश में राजनीतिक अस्थिरता आई, जिससे अराजक तत्वों को छूट मिली। उस समय हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ जो हिंसा हुई, उसे कंट्रोल करने में देश की पुलिस भी नाकाम साबित हुई। हालांकि अंतरिम सरकार ने हालातों पर काबू पाने के लिए कुछ कदम उठाए। गिरफ्तारियां और जांच तक कराई, लेकिन कानून व्यवस्था की कमी चुनौती बनी हुई है। भारत में हिंदू राष्ट्रवाद और बांग्लादेश में मुस्लिम कट्टरपंथ ने दोनों देशों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ तनाव बढ़ाया है।
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वर्तमान अंतरिम सरकार ने स्वीकार की हमलों की बात
नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की वर्तमान अंतरिम सरकार ने हमले होने की बात को स्वीकार किया है, लेकिन बता दें कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्संख्यकों के खिलाफ हिंसा नई बात नहीं है। वर्ष 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में हिंदुओं को खासतौर पर निशाना बनाया गया था। उस स्वतंत्रता संग्राम में 20-30 लाख लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर हिंदू थे। वर्ष 1992 में भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ। उसके बाद बांग्लादेश में 300 से अधिक हिंदू मंदिरों पर हमले किए गए। साल 2001 के चुनाव के बाद और साल 2013 में जमात-ए-इस्लामी के उपाध्यक्ष देलवर हुसैन सईदी की सजा के बाद भी बांगलादेश में हिंदुओं पर हमले हुए थे। साल 2013 से साल 2021 के बीच बांग्लादेश में हिंदू समुदायों पर 3600 से ज्यादा हमले हुए। 1600 से ज्यादा मंदिरों और पूजा स्थलों पर तोड़-फोड़ की गई।