अमेरिका में दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप कई ऐसे फैसले ले चुके हैं, जिसने दुनिया में हड़कंप मच गया है। चाहे गाजा का पुननिर्माण हो या फिर चीन सहित दूसरे देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाना हो। इसी बीच अमेरिका में इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 अप्रैल को मार्शल लॉ लागू करने वाले हैं? दरअसल, 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद ट्रंप ने जो पहला कार्यकारी आदेश हस्ताक्षरित किया था, उसमें अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर नेशनल इमरजेंसी घोषित करना था। आदेश में कहा गया था कि ट्रंप 1807 के विद्रोह अधिनियम को लागू कर सकते हैं, जिसके जरिए 20 अप्रैल, 2025 को अमेरिकी धरती पर सैन्य तैनाती संभव है। ट्रंप के इस फैसले के बाद मार्शल लॉ लागू करने की चर्चा तेज हो गई है।
1807 का विद्रोह अधिनियम क्या है?
राष्ट्रपति ट्रंप के 20 जनवरी के आदेश में कुछ शर्तें रखी गई थीं। इसमें कहा गया था कि घोषणा की तारीख से 90 दिनों के भीतर रक्षा सचिव और होमलैंड सिक्योरिटी सचिव राष्ट्रपति को अमेरिका की दक्षिणी सीमा की स्थिति के बारे में रिपोर्ट देंगे। इसमें दक्षिणी सीमा पर पूर्ण नियंत्रण के लिए आवश्यक किसी भी अतिरिक्त कार्रवाई के संबंध में सिफारिशें शामिल होंगी, जिसमें 1807 के विद्रोह अधिनियम को लागू करना भी शामिल है। अमेरिका का विद्रोह अधिनियम 1807 राष्ट्रपति को घरेलू हिंसा, विद्रोह या अशांति को दबाने के लिए सैन्य बल तैनात करने की शक्ति देता है। इस कानून का प्रयोग साल 1950-1960 के बीच सिविल राइट्स मूवमेंट के दौरान स्कूल डिसएग्रीगेशन लागू करने और 1992 के लॉस एंजिल्स दंगों में किया गया था।
अमेरिकी सैनिकों को तैनात करने की छूट देता है ये अधिनियम
विद्रोह अधिनियम में पॉस कॉमिटेटस अधिनियम को रद्द करने की शक्तियां शामिल हैं, जो आम तौर पर हर समय लागू रहता है और अमेरिकी सेना को किसी भी नागरिक कानून प्रवर्तन में भाग लेने या हस्तक्षेप करने से रोकता है। यह अमेरिकी राष्ट्रपति, अमेरिकी सशस्त्र बलों के कमांडर और चीफ को यह तय करने की पूरी शक्ति देता है कि अमेरिका के भीतर अमेरिकी सैनिकों को कब, कहां और कैसे तैनात किया जाए।
संघीय अथॉरिटी को मजबूत करता है यह अधिनियम
1807 में लागू इस एक्ट का मकसद उन परिस्थितियों में संघीय अथॉरिटी को मजबूत करना था, जहां राज्य सरकारें कानून-व्यवस्था बनाए रखने में असमर्थ हों। अगर कोई विद्रोह या अवैध गतिविधियां संविधान, संघीय कानूनों या नागरिकों के अधिकारों को लागू करने में बाधा डालती हों तो इस अधिनियम के तहत राष्ट्रपति सैन्य बलों को तैनात कर सकते हैं। यह तब भी लागू हो सकता है, जब कोई राज्य सरकार इस तरह की अशांति को नियंत्रित करने में विफल हो और राष्ट्रपति से सहायता मांगे। हालांकि, राष्ट्रपति बिना राज्य की अपील के भी कार्रवाई कर सकते हैं, अगर उन्हें लगे कि स्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
क्या विद्रोह अधिनियम मार्शल लॉ के समान है?
हालांकि, विद्रोह अधिनियम मार्शल लॉ से कुछ अलग है। मार्शल लॉ के तहत प्रशासन और देश के मामलों का पूरा नियंत्रण सैन्य जनरल के पास होता है, जो आमतौर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ या आर्मी चीफ को दे दिया जाता है। वहीं, विद्रोह कानून में राज्य और प्रशासन की शक्तियां अमेरिकी राष्ट्रपति के पास रहती हैं, जो चुनिंदा तरीके से सैन्य शक्तियों का इस्तेमाल कानून और व्यवस्था लागू करने के लिए करते हैं। मार्शल लॉ इमरजेंसी में सेना को नागरिक सरकार की भूमिका पूरी तरह संभालने की इजाजत देता है, जबकि विद्रोह अधिनियम सेना को केवल नागरिक अधिकारियों की सहायता करने की इजाजत देता है, उनकी जगह लेने का नहीं।