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1975 में लड़की से रेप में शख्स को हुई थी सजा, 47 साल बाद अब ऐसे हुआ बरी

US man Innocent  Declared 50 Years: में एक शख्स को डीएनए साक्ष्य के कारण गलत दुष्कर्म की सजा से 47 साल बाद बरी कर दिया गया। दोषमुक्ति का यह एक ऐतिहासिक मामला है। अधिकारियों ने इस मामले में पिछले दिनों बताया कि एक अमेरिकी व्यक्ति जिसने दुष्कर्म के आरोप में साढ़े सात साल जेल की […]

Edited By : jp Yadav | Updated: Sep 7, 2023 14:35
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US man Innocent 
US man Innocent 

US man Innocent  Declared 50 Years: में एक शख्स को डीएनए साक्ष्य के कारण गलत दुष्कर्म की सजा से 47 साल बाद बरी कर दिया गया। दोषमुक्ति का यह एक ऐतिहासिक मामला है। अधिकारियों ने इस मामले में पिछले दिनों बताया कि एक अमेरिकी व्यक्ति जिसने दुष्कर्म के आरोप में साढ़े सात साल जेल की सजा काट ली थी।  अब लगभग पांच दशक बाद नए डीएनए सबूतों की बदौलत उसे बरी कर दिया गया है।

इस शख्स का नाम लियोनार्ड मैक, जो अब 72 वर्ष के हैं। दरअसल, इनोसेंस प्रोजेक्ट के एक अभियान के दौरान अन्य शख्स ने आरोप कबूल लिया, जिसके बाद मैक को बरी कर दिया गया। मैक को इस बात की खुशी है कि वह बरी हो गया, लेकिन उसे इस बात दुख भी है कि बिना कसूर उसने इतने साल तक सजा काटी।

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यहां पर बता दें कि वर्ष 1975 में लियोनार्ड मैक को न्यूयॉर्क राज्य के ग्रीनबर्ग में एक किशोरी लड़की के दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि दुष्कर्म की वारदात को तब अंजाम दिया गया जब वह एक अन्य लड़की के साथ स्कूल से घर जा रही थी। जांच के दौरान पुलिस ने ज्यादातर श्वेत पड़ोसियों के साथ रहने वाले एक श्याम शख्स पर शक जताया, जिसके बाद लियोनार्ड मैक को गिरफ्तार कर लिया। लियोनार्ड मैक दरअसल, अफ्रीकी अमेरिकी है।

वेस्टचेस्टर काउंटी अभियोजक के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि इनोसेंस प्रोजेक्ट के एक अभियान के बाद उस समय उपलब्ध नहीं होने वाले डीएनए साक्ष्य ने 72 वर्षीय श्री मैक को अपराधी के रूप में खारिज कर दिया और एक दोषी यौन अपराधी की पहचान की, जिसने अब दुष्कर्म की बात कबूल कर ली है। बताया जा रहा है कि यह अमेरिकी इतिहास में इनोसेंस प्रोजेक्ट के लिए डीएनए साक्ष्य द्वारा पलट दी गई सबसे लंबी गलत सजा है।

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उधर, नेशनल रजिस्ट्री ऑफ एक्सोनरेशन के अनुसार, वर्ष 1989 से अब तक 575 गलत तरीके से दोषी ठहराए गए लोगों को नए डीएनए परीक्षणों के आधार पर बरी कर दिया गया है। इनमें से 35 फांसी की प्रतीक्षा कर रहे थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि गोरे लोगों की तुलना में काले संदिग्धों के गलत सजा का शिकार होने की संभावना कहीं अधिक है।

HISTORY

Written By

jp Yadav

First published on: Sep 07, 2023 02:11 PM

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