Donald Trump: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने फैसलों और नीतियों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने एक स्वतंत्र निगरानी एजेंसी के प्रमुख हैम्पटन डेलिंगर को बर्खास्त कर दिया, लेकिन अब एक संघीय न्यायाधीश ने इस फैसले को गैरकानूनी करार दिया है। जज एमी बर्मन जैक्सन के इस फैसले ने ट्रंप की कार्यकारी शक्तियों पर सवाल खड़ा कर दिया है। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है, जहां ट्रंप के समर्थन में तीन न्यायाधीश पहले से मौजूद हैं। क्या यह ट्रंप की नीतियों के लिए बड़ा झटका साबित होगा? आइए जानते हैं पूरा मामला।
जज ने ट्रंप के फैसले को गैरकानूनी बताया
अमेरिका में एक संघीय जज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले को गलत ठहराया है। ट्रंप ने एक स्वतंत्र निगरानी एजेंसी के प्रमुख हैम्पटन डेलिंगर को हटा दिया था, लेकिन जज एमी बर्मन जैक्सन ने कहा कि ऐसा करना गैरकानूनी था। उन्होंने बताया कि इस पद से हटाने के लिए कुछ कानूनी नियम होते हैं, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने बिना कोई कारण बताए बस एक छोटा सा ईमेल भेजकर डेलिंगर को हटा दिया। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है, जहां ट्रंप के कार्यकाल में नियुक्त तीन जज भी हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने डेलिंगर की अस्थायी बहाली को रोकने से मना कर दिया था और कहा था कि वे अंतिम फैसले का इंतजार करेंगे।
Judge rules Trump’s firing of federal workforce watchdog was illegal https://t.co/xXCLfJl4oI
— #TuckFrump (@realTuckFrumper) March 2, 2025
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अदालत का फैसला और राष्ट्रपति की सीमाएं
डेलिंगर जिस एजेंसी के प्रमुख थे, वह सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने और गड़बड़ियों की शिकायतों की जांच करने का काम करती है। यह एजेंसी ट्रंप और टेस्ला के CEO एलन मस्क की उन योजनाओं के खिलाफ खड़ी हो सकती थी, जिनका मकसद सरकारी विभागों को कमजोर करना था। ट्रंप ने जनवरी में राष्ट्रपति बनते ही सरकार को छोटा करने और कुछ विभागों को बंद करने का अभियान शुरू किया था। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया कि राष्ट्रपति की शक्तियों की भी कुछ सीमाएं होनी चाहिए और किसी स्वतंत्र एजेंसी के प्रमुख को बिना किसी कारण के नहीं हटाया जाना चाहिए।
एजेंसी की स्वतंत्रता पर न्यायालय का फैसला
न्यायाधीश जैक्सन ने कहा कि यह एजेंसी अपनी स्वतंत्रता के कारण बनाई गई थी और इसके प्रमुख को हटाने की कानूनी शर्तें कांग्रेस द्वारा तय की गई थीं। अगर राष्ट्रपति को बिना किसी कारण के बर्खास्त करने की छूट दी जाती है, तो इस एजेंसी की स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी। व्हाइट हाउस ने तर्क दिया था कि राष्ट्रपति को किसी भी एजेंसी प्रमुख को हटाने की पूरी आजादी होनी चाहिए, लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया। इस मामले में ट्रंप प्रशासन को अब ऊपरी अदालतों में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
ट्रंप की नीतियों पर बढ़ता कानूनी संकट
यह मामला अब एक बड़े संवैधानिक संकट की ओर बढ़ सकता है, क्योंकि ट्रंप अपनी कार्यकारी शक्तियों की सीमाओं को लांघने की कोशिश कर रहे हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट को ट्रंप की सरकारी संस्थानों को कमजोर करने की नीतियों पर अहम फैसले लेने होंगे। कई अन्य मामलों में भी ट्रंप के फैसलों को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो आने वाले महीनों में अदालतों में सुर्खियां बन सकते हैं।