अमेरिका और चीन के बीच शुरू हुआ ट्रेड वॉर अब बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच चीन ने अमेरिका के आगे झुकने के संकेत दिए हैं। अमेरिका की ओर से 104% टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन ने इस मसले को सुलझाने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत करने की पेशकश की है। इसे लेकर बीजिंग ने एक श्वेत पत्र भी जारी किया है। हालांकि, अपने श्वेत पत्र में चीन ने ये भी कहा है कि वो इस जंग को आखिर तक लड़ेगा। चीन ने कहा कि उसके पास अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए पर्याप्त साधन हैं।
चीन के श्वेत पत्र में क्या?
चीन के स्टेच काउंसिल इंफॉर्मेशन ऑफिस ने बुधवार (9 अप्रैल) को ‘चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार संबंधों से संबंधित कुछ मुद्दों पर चीन की स्थिति’ शीर्षक से एक श्वेत पत्र जारी किया। यह श्वेत पत्र व्हाइट हाउस द्वारा मंगलवार (स्थानीय समय) को बुधवार से चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद आया है। चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, चीन ने श्वेत पत्र में अमेरिका के साथ आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर अपना रुख स्पष्ट किया है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक सहयोग न केवल दोनों देशों के लिए फायदेमंद है बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास के लिए जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और अमेरिका दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। बीते 46 वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। 1979 में जहां यह व्यापार केवल 2.5 अरब डॉलर था, वहीं 2024 में यह बढ़कर 688.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
चीन ने अमेरिका के साथ बातचीत करने की पेशकश की
रिपोर्ट में श्वेत पत्र के हवाले से कहा गया है कि चीन ने अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए ‘बलपूर्वक’ जवाबी कदम उठाए हैं, लेकिन वह अमेरिका के साथ आपसी बातचीत के जरिए विवादों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। श्वेत पत्र में आगे कहा गया है कि दोनों देशों के बीच कारोबारी मतभेद होना ‘स्वाभाविक’ है। सीएनबीसी ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए गए बयान के हवाले से बताया कि चीन का मानना है कि अगर अमेरिका वास्तव में बातचीत के जरिए समस्या का समाधान करना चाहता है, तो उसे समानता, सम्मान और पारस्परिक फायदे का रवैया दिखाना चाहिए।
शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, श्वेत पत्र में उल्लेख किया गया है कि अमेरिका के कदमों के जवाब में चीन ने ‘अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए जोरदार और जवाबी कदम उठाए हैं। साथ ही द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापार संबंधों को स्थिर करने के लिए अमेरिकी पक्ष के साथ कई दौर के परामर्श के साथ, बातचीत और परामर्श के माध्यम से विवादों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।’
चीन ने श्वेत पत्र में लगाए ये आरोप
चीन ने श्वेत पत्र में आरोप लगाया है कि हाल के वर्षों में अमेरिका की एकतरफा और संरक्षणवादी नीतियों ने दोनों देशों के सामान्य व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचाया है। अमेरिका ने 2018 से अब तक 500 बिलियन डॉलर से अधिक के चीनी उत्पादों पर टैरिफ लगाए हैं। इसके जवाब में चीन ने अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए। चीन ने अमेरिका पर आर्थिक मोर्चे पर वादाखिलाफी और दबाव की राजनीति का आरोप लगाया है। चीन सरकार की ओर से जारी श्वेत पत्र में कहा गया है कि अमेरिका ने ‘फेज वन ट्रेड डील’ में किए गए अपने वादे नहीं निभाए, उल्टा चीन पर पाबंदियां लगाकर नुकसान पहुंचाया।
2020 में दोनों देशों के बीच ‘फेज वन ट्रेड डील’ हुई थी
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में दोनों देशों के बीच ‘फेज वन ट्रेड डील’ हुई थी, जिसमें चीन ने पूरी ईमानदारी से अपने वादों को निभाया। चीन ने बौद्धिक संपदा की रक्षा को मजबूत किया, कृषि और वित्तीय क्षेत्रों में अमेरिकी कंपनियों के लिए बाजार खोला और डॉलर में व्यापार बढ़ाया। चीन का आरोप है कि अमेरिका ने इस समझौते का सम्मान नहीं किया। उसने निर्यात पर नियंत्रण, चीनी कंपनियों पर पाबंदियां और निवेश में रुकावटें लगाई हैं, जिससे दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी आई है।
रिपोर्ट में आंकड़ों के साथ बताया गया है कि चीन और अमेरिका का व्यापार परस्पर लाभकारी रहा है। अमेरिका को चीन में कृषि, सेवाओं, शिक्षा, चिकित्सा और वित्तीय क्षेत्रों से बड़ा लाभ मिलता है। 2022 में चीन को निर्यात से अमेरिका में 9.3 लाख नौकरियां आईं, वहीं अमेरिकी कंपनियों को चीन में 490 अरब डॉलर से अधिक की बिक्री की।