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क्यों खास है ट्रंप और पुतिन की ये महामुलाकात, जानिए इसका भारत पर क्या होगा असर?

Trump Putin Alaska meeting 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलास्का पहुंच चुके हैं। जल्द ही दोनों के बीच में मीटिंग होने जा रही है। ये मीटिंग बेहद खास होने वाली है। दरअसल इस मीटिंग का असर भारत समेत कई देशों पर पड़ेगा। इसके साथ ही इस मीटिंग को रूस-यूक्रेन युद्ध विराम के लिए अहम पड़ाव माना जा रहा है। आइए जानते हैं कि यह मीटिंग क्यों खास है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Aug 16, 2025 00:34
trump and putin

Trump Putin Alaska meeting 2025: आज का दिन इतिहास में दर्ज होने जा रहा है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलास्का के जॉइंट बेस एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन में आमने-सामने होंगे। यह मुलाकात को न केवल दो महाशक्तियों के नेताओं के बीच एक कूटनीतिक घटना है, बल्कि इसे रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी माना जा रहा है। पूरी दुनिया की नजरें इस बैठक पर टिकी हैं, क्योंकि इसका परिणाम वैश्विक शांति और भू-राजनीति को नया आकार दे सकता है।

क्यों महत्वपूर्ण है ये मुलाकात?

यह मुलाकात फरवरी 2022 से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक ठोस प्रयास के रूप में देखी जा रही है। ट्रंप ने इस बैठक को एक ‘बड़ा दांव’ करार दिया है, जबकि पुतिन ने इसे शांति की दिशा में एक संभावित कदम बताया है। अलास्का का चयन भी प्रतीकात्मक है, क्योंकि यह रूस और अमेरिका के बीच भौगोलिक रूप से सबसे करीबी बिंदु है, जिसे अमेरिका ने 1867 में रूस से खरीदा था। यह मुलाकात पुतिन की फरवरी 2022 के बाद पहली पश्चिमी देश की यात्रा है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है।

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ट्रंप ने इस मुलाकात से पहले कहा कि ‘मुझे लगता है कि पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की शांति चाहते हैं। हम देखेंगे कि क्या वे तालमेल बिता सकते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि उनका मकसद हर हफ्ते हजारों सैनिकों की जान बचाना है। दूसरी ओर, पुतिन ने ट्रंप की कोशिशों को ‘ईमानदार और सक्रिय’ बताते हुए परमाणु हथियार नियंत्रण पर भी बातचीत की संभावना जताई है।

क्या है मुलाकात का मुख्य एजेंडा?

इस बैठक में मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा होगी। ट्रंप ने संकेत दिया है कि वे युद्धविराम और शांति समझौते की दिशा में काम करना चाहते हैं। उन्होंने ‘जमीन की अदला-बदली’ का विचार भी पेश किया, जिसे यूक्रेन ने सख्ती से खारिज कर दिया है। रूस ने अपनी शर्तें रखी हैं, जिनमें यूक्रेन के चार क्षेत्रों (खेरसॉन, लुगांस्क, ज़ापोरिज़्ज़िया, और डोनेत्स्क) पर नियंत्रण, यूक्रेन का नाटो में शामिल न होना, और पश्चिमी हथियारों की आपूर्ति बंद करना शामिल है।

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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने साफ किया है कि बिना उनकी भागीदारी के कोई भी समझौता बेअसर होगा। उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन अपनी जमीन कब्जा करने वालों को तोहफे में नहीं देगा।’ यूक्रेन ने तत्काल युद्धविराम, युद्धबंदियों की रिहाई, और रूस द्वारा कथित तौर पर अगवा किए गए बच्चों की वापसी की मांग की है।

भारत पर क्या होगा असर?

भारत भी इस मुलाकात को करीब से देख रहा है, क्योंकि इसका असर रूस के साथ उसके ऊर्जा व्यापार और अमेरिका के साथ संबंधों पर पड़ सकता है। हाल ही में ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर टैरिफ बढ़ाया था, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मुलाकात को यूक्रेन में शांति की संभावनाओं को खोलने वाला कदम बताया है। यदि यह बैठक रूस पर प्रतिबंधों को कम करती है, तो भारत को रियायती रूसी तेल की आपूर्ति में सहूलियत हो सकती है।

कड़े हैं सुरक्षा के इंतजाम

अलास्का के एंकोरेज शहर में इस मुलाकात के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। अमेरिकी सीक्रेट सर्विस और रूसी सुरक्षा बलों ने ‘बॉडी फॉर बॉडी’ नीति के तहत समान संख्या में एजेंट तैनात किए हैं। बैठक सुबह 11:30 बजे (स्थानीय समय) शुरू होगी, जो भारतीय समय के अनुसार रात के लगभग 1 बजे होगा। जिसमें पहले ट्रंप और पुतिन की निजी बातचीत होगी, इसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता और एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। रूसी पक्ष में विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, जबकि ट्रंप के साथ विदेश मंत्री मार्को रुबियो और सीआईए निदेशक जॉन रैटक्लिफ जैसे महत्वपूर्ण लोग मौजूद होंगे।

इस वार्ता से बाहर रहेगा यूक्रेन

यूरोपीय नेता और जेलेंस्की इस बात से चिंतित हैं कि यूक्रेन को इस वार्ता से बाहर रखा गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा है कि यूक्रेन की भागीदारी के बिना कोई शांति समझौता संभव नहीं है। प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वे के अनुसार, 59% अमेरिकी ट्रंप की युद्ध से जुड़े फैसले लेने की क्षमता पर भरोसा नहीं करते हैं।

क्या हो सकता है नतीजा?

ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर पुतिन शांति के लिए तैयार नहीं हुए, तो रूस को ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शुरुआती दो मिनट में ही वे समझ जाएंगे कि बात बन सकती है या नहीं। दूसरी ओर, पुतिन ने स्थायी शांति समझौते की वकालत की है, जिसमें उनकी शर्तें शामिल हों। विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात तुरंत युद्धविराम की बजाय भविष्य की वार्ताओं का रास्ता खोल सकती है, जिसमें जेलेंस्की और यूरोपीय नेता भी शामिल हो सकते हैं।

यह मुलाकात न केवल रूस-यूक्रेन युद्ध, बल्कि वैश्विक आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों के लिए भी निर्णायक हो सकती है। दुनिया को उम्मीद है कि यह बर्फीला कोना शांति का पैगाम देगा, लेकिन क्या यह उम्मीद हकीकत बनेगी, यह आने वाला समय बताएगा।

ये भी पढ़ें- ट्रंप का यूक्रेन को बड़ा झटका, अलास्का में पुतिन संग मीटिंग से पहले NATO सदस्यता से किया इनकार

First published on: Aug 16, 2025 12:34 AM

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