Pakistan Petrol Price Hike: पाकिस्तान में एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। नवनियुक्त कार्यवाहक प्रधानमंत्री के सत्ता संभालते ही पेट्रोल और डीजल की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। अनवारुल हक काकर के आने के 48 घंटे से भी कम समय में ईंधन की कीमतों में 20 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी कर दी गई है।
वित्त विभाग की अधिसूचना के मुताबिक, बुधवार से पेट्रोल की कीमतों में 17.50 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। अब पाकिस्तान के लोगों को एक लीटर पेट्रोल के लिए 290.45 पाकिस्तानी रुपये चुकाने होंगे। हाई-स्पीड पेट्रोल के लिए भी पाकिस्तानियों को अधिक कीमत चुकानी होगी। इसकी कीमत 20 रुपये बढ़कर 293.40 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है।
सोमवार को कार्यवाहक पीएम ने ली थी शपथ
कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर ने सोमवार को शपथ ली थी। उनकी मंजूरी के बाद वित्त मंत्रालय ने देर रात संशोधित कीमतें जारी कीं। पिछले दो हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम कीमतों में बढ़ोतरी को जिम्मेदार ठहराया गया है। हालांकि, सरकार की अधिसूचना में केरोसीन और हल्के डीजल तेल की कीमतों में किसी संशोधन का जिक्र नहीं किया गया है।
पाकिस्तान की कीमतों में एक अगस्त को भी बढ़ोतरी की गई थी। यानी पिछले 15 दिनों में पाकिस्तान में ईंधन की कीमतों में लगभग 40 प्रति लीटर पाकिस्तानी रुपये की वृद्धि हुई है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF से समझौते के बावजूद पाकिस्तान की आर्थिक गिरावट जारी है। आर्थिक गिरावट में बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता भी कारकों में शामिल है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के भविष्य पर भी सवाल बरकरार हैं। बता दें कि तोशखाना केस में उन्हें 3 साल की सजा सुनाई गई है।
पाकिस्तान में कंपनियों की भी हालत खस्ता, कई के शटर डाउन
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में सुजुकी वाहनों को असेंबल करने वाली कंपनी ने मोटरसाइकिल प्लांट को अगस्त के मध्य तक 16 दिनों की अवधि के लिए निलंबित कर दिया है। रसायन का निर्माण करने वाली सितारा पेरोक्साइड लिमिटेड ने पिछले महीने चार सप्ताह के लिए अपने कारखाने का संचालन बंद कर दिया था। इसी तरह, टोयोटा कारों के निर्माता को भी अपने प्लांट में दो सप्ताह के शटडाउन का सामना करना पड़ा है।
पिछले साल पाकिस्तान के संकट में आने के बाद से डॉलर की मौजूदा कमी ने कारखानों को लंबे समय तक बंद रहने के लिए मजबूर कर दिया है। डॉलर की इस कमी ने महत्वपूर्ण कच्चे माल के आयात को बाधित कर दिया है, जिससे स्टील और ऑटोमोबाइल सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन पूरी तरह से रुक गया है।
जुलाई में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और अन्य ऋणदाताओं से पर्याप्त धनराशि प्राप्त करने के बाद, पाकिस्तान वर्तमान में मुद्रा स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है क्योंकि वह अपने ऋण संकट से उबरने का प्रयास कर रहा है।