ईरान की (Iran) में जेल में बंद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता (Nobel Peace Prize) नरगिस मोहम्मदी (Nargis Mohammadi) भूख हड़ताल पर चली गई हैं। वे हिजाब और कैद की शर्तों का विरोध कर रही हैं। उन्हें पिछले महीने ही शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया था। नरगिस एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। वे जेल से ही मानवाधिकारों को लेकर लगातार अभियान चलाती हैं। यह भूख हड़ताल वे ईरान में महिलाओं के अनिवार्य रूप से हिजाब पहनने के मुद्दे को लेकर कर रही हैं। वहीं ईरान की सरकारी मीडिया ने उनकी हड़ताल को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक मानवाधिकार कार्यकर्ता समाचार एजेंसी ने कहा कि अधिकारियों ने पिछले सप्ताह 51 वर्षीय महिला को हृदय और फेफड़ों के इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाने दिया था, क्योंकि उसने सिर पर स्कार्फ पहनने से इनकार कर दिया था।
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कहा गया है कि मोहम्मदी और उनके वकील कई सप्ताह से हृदय और फेफड़ों की देखभाल के लिए उन्हें स्पेशलिस्ट डॉक्टरों वाले एक अस्पताल में ले जाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि यह नहीं बताया गया कि उनको क्या परेशानियां थीं।
नरगिस के परिवार ने क्या कहा
वहीं नरगिस के परिवार ने बताया है कि उनको नसों में रुकावट और फेफड़ों में दिक्कत थी, लेकिन जब उन्होंने हिजाब पहनने से इनकार कर दिया तो जेल के अधिकारी उन्हें अस्पताल नहीं ले गए। नरगिस के परिवार ने कहा कि वे केवल पानी,चीनी और नमक का सेवन कर रही थी। इसके साथ ही उन्होंने अपनी दवाएं लेनी भी बंद कर दी थीं। परिवार उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। उनके परिवार ने यह बात एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कही।
हिजाब पहनना है अनिवार्य
गौरतलब है कि ईरान में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है। समय-समय पर महिलाएं इसका विरोध करती रही हैं। पिछले साल सितंबर में पुलिस की हिरासत में महसा अमीनी नाम की एक लड़की की मौत हो गई थी। इसके बाद पूरे ईरान में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था। पुलिस ने महसा को इसलिए गिरफ्तार किया था कि वह हिजाब नहीं पहनी थी।
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