New Culture Movement: चीन से निकली कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया में लाखों-करोड़ों लोगों की जान गई। चूंकि ये घातक वायरस चीन से निकला था तो यहां बड़े स्तर पर तबाही दिखी। कई मीडिया रिपोर्ट्स का तो कहना है कि चीन ने मौतों के आंकड़ों को छिपाया था। इसके साथ ही चीन को भारी स्तर पर आर्थिक नुकसान भी हुआ, जिससे वहां के लोग अभी तक उभर नहीं पा रहा है। कोरोना की मार से जूझ रहे चीन को लेकर आई एक रिपोर्ट ने वहां के युवाओं के होश उड़ा दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 35 साल के युवाओं की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार ने जॉब के लिए एज लिमिट तय कर दी है। मतलब साफ है कि एक निश्चित उम्र वाले लोगों को ही नौकरी मिलेगी।
रिपोर्ट में हुआ ये खुलासा
न्यू साइट सीएनएन की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में एक महिला ने अपनी पहचान छिपाते हुए बताया है कि किन्हीं कारणों से उसकी नौकरी छूट गई। वह पिछले 10 साल से नौकरी कर रही थी। उसने दूसरी नौकरी के कई बार आवेदन किए, लेकिन सिर्फ चार जगहों से इंटरव्यू का कॉल आया। इनमें भी उसका काम नहीं बना। इसके बाद उसने फूड डिलीवरी का काम किया। इसके एवज में उसे एक दिन में 20 युआन (2.8 डॉलर) की कमाई हुई, लेकिन कुछ समय बाद वो भी छोड़ दी।
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सोशल मीडिया पर फैली ये ये खबरें
उनका मानना है कि उनकी उम्र इसकी मुख्य वजह है, क्योंकि वह 34 साल की हैं। सीएनएन को अपनी गोपनीयता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि वे चीन के कई सहस्राब्दी श्रमिकों में से हैं, जिन्हें डर है कि वे 35 के अभिशाप के शिकार हो गए हैं। यह शब्द मूल रूप से सोशल मीडिया पर प्रमुख तकनीकी कंपनियों की ओर से पुराने कर्मचारियों की छंटनी की अफवाह के बाद सामने आया है। इसका संदर्भ चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सलाहकारों की ओर से भी किया जाता है।
लोगों ने ’35 का अभिशाप’ नाम दिया
रिपोर्ट में कहा गया है कि जो कोई भी अभिशाप की क्षमता पर संदेह करता है, उसे केवल अनगिनत ऑनलाइन नौकरी लिस्टिंग और भर्ती साइटों को देखना होगा जो स्पष्ट रूप से बताते हैं कि उम्मीदवारों की उम्र उस आयु से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, जिसे कई विशेषज्ञ मध्यम आयु भी नहीं मानते हैं। इसी साल जून में एक यात्री की शिकायत थी कि बीजिंग में हॉस्टल आमतौर पर 35 वर्ष से ज्यादा उम्र के ग्राहकों को स्वीकार नहीं करते हैं। इस पर देश में बहस छिड़ी हुई है। इतना ही नहीं, जून में एक ताओवादी मंदिर की ओर से भर्ती अभियान के दौरान कहा गया था कि नए भिक्षुओं की उम्र 35 वर्ष से कम होनी चाहिए।
सरकार भी कर देती है आवेदन खारिज
यहां तक कि चीनी सरकार भी अपने कई सिविल सेवक पदों के लिए 35 से ऊपर के उम्मीदवारों को खारिज कर देती है। इस नीति को पिछले साल चीन की संसद और शीर्ष राजनीतिक सलाहकार निकाय की वार्षिक सभा में एक विधायक ने चुनौती दी थी। सरकारी चाइना यूथ डेली की रिपोर्ट के अनुसार, कानूनविद् जियांग शेंगनान ने सभा को बताया था कि कार्यस्थल पर 35 साल के लोगों के लिए भेदभाव हमेशा से मौजूद रहा है। उम्र के आधार पर उम्मीदवारों को अस्वीकार करना प्रतिभा की बहुत बड़ी बर्बादी है।