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Gen-Z Protest के आगे झुकी नेपाल सरकार, सोशल मीडिया से हटाया बैन; हिंसा में हुई थी 20 की मौत

Nepal GenZ Protests: नेपाल में हिंसा और विरोध प्रदर्शन के बाद सोशल मीडिया पर लगा बैन हटा लिया गया है। देररात सरकार ने कैबिनेट की आपात मीटिंग बुलाकर सर्वसम्मति से बैन वापस लेने का फैसला किया, क्योंकि GenZ के विरोध प्रदर्शन और हिंसा ने हालात खराब कर दिए थे। हिंसा में 20 लोगों की मौत हुई और 300 से ज्यादा घायल हुए।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Sep 9, 2025 07:07
Nepal Protests | Social Media | GenZ Revolution
नेपाल में बीते दिन युवाओं ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था।

Nepal Protests Update: नेपाल में जनरेशन जेड (Gen-Z) के विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर लगा बैन हटा दिया गया है। नेपाल के संचार, सूचना और प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने बैन हटाने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि हिंसा और विरोध प्रदर्शन को देखते हुए नेपाल कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई गई थी, जिसमें सर्वसम्मति से सोशल मीडिया पर लगा बैना हटाने का फैसला करके उसे तुरंत लागू कर दिया गया।

20 लोगों ने गंवाई हिंसा में जान

संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने बताया कि अब नेपाल में सभी सोशल नेटवर्किंग साइट्स व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स (ट्विटर) और अन्य 26 प्लेटफॉर्म्स एक्टिव हो गए हैं। अब GenZ प्रदर्शनकारी अपना आंदोलन भी वापस लें और अपने घरों को लौट जाएंगे। बीते दिन हुई हिंसा और विरोध प्रदर्शन में 20 लोगों ने जान गंवाई और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए। गृह मंत्री रमेश लेखक को भी अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

जांच के लिए न्यायिक समिति गठित

बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हिंसा और विरोध प्रदर्शन के लिए बाहरी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने नेपाल में माहौल खराब करने की साजिश रची। प्रधानमंत्री ने हिंसा और विरोध प्रदर्शन की जांच के लिए एक न्यायिक समिति गठित कर दी है, जिसे 15 दिन में जांच रिपोर्ट सौंपनी हैं। साथ ही उन्होंने मृतकों के परिजनों को मुआवजा और घायलों को मुफ्त इलाज देने की घोषणा भी की।

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इंटरनेशनल लेवल पर हिंसा की निंदा

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार कार्यालय ने नेपाल में हिंसा और विरोध प्रदर्शन की जांच कराने की मांग की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई हिंसा और उन पर किए गए बल प्रयोग को अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। ह्यूमन राइट्स वॉच, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई देशों ने हिंसा और बल प्रयोग की निंदा करते हुए जांच की मांग की। भारत ने भी धरने और हिंसा पर शोक जताया।

क्यों बैन हुआ था सोशल मीडिया?

बता दें कि नेपाल सरकार ने 4 सितंबर 2025 को सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया था। बैन लगाने की वजह नियमों के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं कराना था। बैन लगाने के बाद नेपाल में फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, एक्स (ट्विटर) और अन्य 26 प्लेटफॉर्म्स ब्लॉक हो गए थे। फेक न्यूज, घृणित भाषा वाले कंटेट और ऑनलाइन क्राइम को रोकने के लिए सोशल मीडिया बैन करने का रीजन सरकार ने जनता को दिया था, लेकिन युवाओं ने बैन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानकर अपने हक की लड़ाई लड़ने का फैसला किया।

संसद भवन तक पहुंचे प्रदर्शनकारी

बता दें कि 8 सितंबर को हामी नेपाल नामक संगठन के बैनर तले GenZ प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे। राजधानी काठमांडू के मैतीघर मंडला से नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन करते हुए संसद भवन तक पहुंचे। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पहले से ही बैरिकेड लगा रखे थे, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिए। उन्होंने संसद भवन में घुसने की कोशिश की। रोकने पर उन्होंने एंबुलेंस को आग लगा दी और पुलिस पर पथराव किया। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया।

आंसू गैस के गोले पुलिस ने छोड़े

प्रदर्शनकारी उग्र हो गए तो उन्होंने रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल करना पड़ा, लेकिन प्रदर्शनकारियों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि पुलिस को लाइव फायरिंग करनी पड़ी। गोलीबारी में करीब 20 युवाओं की मौत हो गई, जिनमें से 17 काठमांडू में मारे गए और 2 नौजवान पूर्वी शहर इटहारी में मारे गए। 300 से ज्यादा लोग घायल हैं, जिनमें 28 पुलिसकर्मी शामिल हैं। हालातों को देखते हुए नेपाल सरकार ने सेना तैनात करके काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया। परीक्षाएं स्थगित करके स्कूल-कॉलेज 2 दिन के लिए बंद किए हैं।

First published on: Sep 09, 2025 06:04 AM

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