Nepal Gen-Z Protest: नेपाल की राजनीति इस समय एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे आगे माना जा रहा है। देश की सड़कों पर युवाओं का जबरदस्त प्रदर्शन हो रहा है। हालांकि, जेन-जी की पसंद और कई नामों पर भी टिकी है लेकिन सवाल यही है कि क्या केवल युवाओं की ताकत सत्ता तक पहुंचने के लिए काफी होगी? नेपाल के संविधान के मुताबिक, वहां अंतरिम सरकार बनाने के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति और मुख्य राजनीतिक दलों की सहमति जरूरी है। ऐसे में कार्की के लिए राह आसान नहीं हो सकती है।
सुशीला के लिए जेन-जी समर्थन
नेपाल में चल रहे जेन-जी प्रदर्शन में युवाओं की पहली पसंद काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह को माना जा रहा था लेकिन उन्होंने ट्वीट कर अपना समर्थन भी सुशीला को दिया है। दरअसल, उन्हें इस पीढ़ी में लोकप्रिय माना जा रहा था। इस वजह से सुशीला कार्की को पीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। जेन-जी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा था। बता दे कि उनके नाम की मंजूरी के लिए 1000 लिखित पत्र मांगे गए थे जबकि 2500 से ज्यादा लोगों का समर्थन उन्हें मिला है।
Nepal | Kathmandu Mayor Balen Shah tweets, "My request to dear Gen-Z and all Nepalis: The country is currently in an unprecedented situation. You are now taking steps towards a golden future. Please do not panic at this time; be patient. Now the country is going to get an interim… pic.twitter.com/xwA3af8aI4
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) September 11, 2025
रेस में शामिल कई नाम
हालांकि, नेपाल में पीएम पद के लिए और भी कई नाम चर्चाओं में हैं। इनमें काठमांडू के बालेंद्र शाह का नाम भी शामिल था, मगर उन्होंने अपना पूर्ण समर्थन सुशीला को दे दिया है। इसके अलावा, कुलमन घीसिंग, सागर ढकाल और हरका संपांग जैसे नामों की दावेदारी भी बताई जा रही है। एक नेपाली यूट्यूबर के नाम पर भी काफी वोट आए है लेकिन अब तक साफ नहीं हुआ है कि इस पद के लिए कौन तैयार है।
अंतरिम सरकार बनाने की प्रक्रिया
सबसे पहले सुशीला कार्की को राष्ट्रपति से मुलाकात कर और प्रस्ताव पत्र देना होगा, जिसमें उन्होंने अंतरिम सरकार बनाने के लिए मंजूरी दी हो। इसके बाद पार्टियों का समर्थन लेना जरूरी होगा। अगर मौजूदा संसद में बहुमत वाली कोई सरकार नहीं है, तब राष्ट्रपति संसद भंग कर सकते हैं। इसके बाद नई अंतरिम सरकार होगा, इस सरकार को सिर्फ चुनाव करवाने की अनुमति होती है। सहमति और राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा। यह सरकार सीमित कार्यकाल और अधिकारों वाली होगी, जिसका लक्ष्य चुनाव कराना और स्थिर सरकार के लिए जनादेश दिलाना होता है।










