Japan Work Culture : कई देश ऐसे हैं, जहां नौकरी के लिए समय सीमा निर्धारित है। अगर कंपनी किसी कर्मचारी से 8 या 9 घंटे से ज्यादा काम कराती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। कर्मचारियों को पर्याप्त छुट्टियां भी मिलती हैं, लेकिन जापान में ऐसा वर्क कल्चर नहीं है। वहां ज्यादा काम करने वाले लोगों को इज्जत की नजर से देखा जाता है। न तो कर्मचारियों को छुट्टी मिलती है और न ही इस्तीफा देकर नौकरी छोड़ने दिया जाता है। जापान में काम के दबाव से हर साल 54 लोगों की मौत हो जाती है। आइए जानते हैं कि जापान में नौकरी का क्या कल्चर है?
क्या है जापान का वर्क कल्चर?
जापान में लोगों को 12 घंटे ऑफिस में काम करना पड़ता है। 24 साल के एक युवक ने बताया कि वह सुबह 11 बजे से लेकर रात 11 बजे तक कार्य करता है, जबकि वह जापान की जानी मानी टेलीकॉम कंपनी में काम करता है। उसने कहा कि लगातार काम करने से उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगीं। उसके पैर कांपने लगे और पेट संबंधित परेशानी होने लगी। वह चाहकर भी नौकरी नहीं छोड़ पा रहा है। कुछ समय के लिए छुट्टी लेना काफी मुश्किल है। इससे भी मुश्किल है इस्तीफा देना, जिसे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बुरा माना जाता है। उन्होंने कहा कि उसने कई बार इस्तीफा दिया, लेकिन बॉस उसके त्यागपत्र को फाड़ देते हैं। कर्मचारियों को रुकने के लिए मजबूर और परेशान किया जाता है।
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नौकरी छोड़ने के लिए दूसरी एजेंसी की लेनी पड़ती है मदद
जापान की एक महिला ने बताया कि वह अपनी पुरानी कंपनी में काम नहीं करना चाहती थी, क्योंकि सुपरवाइजर अक्सर उसे नजरअंदाज करते थे। बुरा लगने के बाद भी उन्होंने इस्तीफा देने की हिम्मत नहीं की। इस पर उसने कंपनी छोड़ने का एक तरीका ढूंढा और मोमुरी नामक एक इस्तीफा एजेंसी से संपर्क किया। यह एजेंसी कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने में मदद करती है।
कोरोना काल में अस्तित्व में आई थी इस्तीफा एजेंसी
कोरोना काल में जापान में यह कंपनी अस्तित्व में आई थी और महामारी के बाद इसकी डिमांड बढ़ गई। सालों तक घर से काम करने के बाद अब कर्मचारी आगे बढ़ने के लिए अपनी कंपनी छोड़ना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने भी ऐसी कंपनियों से संपर्क किया और फिर उन्हें अपनी पुरानी कंपनी से मुक्ति मिली। अब जापान में इस्तीफा में मदद करने वाली कई कंपनियां खुल गई हैं।
पिछले साल 11,000 कर्मियों ने साधा था संपर्क
कंपनी मोमुरी के ऑपरेशन मैनेजर शिओरी कवामाता ने बताया कि पिछले साल 11,000 कर्मचारी कंपनी के पास आए थे। इस कंपनी का काम कर्मचारियों को इस्तीफा देने में मदद करना, कंपनियों के साथ बातचीत करना और कानूनी विवाद पर कानूनी सलाह मुहैया करना है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उनके पास तब आते हैं, जब उनका इस्तीफा तीन बार फाड़ दिया जाता है। उन्हें नौकरी छोड़ने नहीं देते।
रोते हुए लोग करते हैं फोन
कवामाता ने आगे कहा कि कभी-कभी रोते हुए लोगों के फोन आते हैं, जो पूछते हैं कि वे कैसे नौकरी छोड़ सकते हैं। इस पर वे उन्हें बताते हैं कि नौकरी छोड़ना उनका श्रमिक अधिकार है। उन्होंने बताया कि कुछ कर्मचारियों की शिकायत है कि अगर वे इस्तीफा देने का प्रयास करते हैं तो बॉस उन्हें परेशान करते हैं।
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काम के दबाव में सुसाइड कर लेते हैं कर्मी
एक इंटर्न डॉक्टर शिंगो ताकाशिमा ने काम के दबाव में आकर आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड से पहले उसे 3 महीने तक कोई छुट्टी नहीं मिली थी। उन्होंने प्रति माह 207 घंटे ओवरटाइम काम किया था, जो सरकार के मानक से कहीं ज्यादा था। पीड़ित परिवार का कहना है कि एक महीने में 200 घंटे ओवरटाइम काम करने के बाद युवा डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली। स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 2022 में काम के प्रेशर और हार्ट से संबंधी बीमारियों से 54 लोगों की मौत हुई थी।