India-Turkey Trade: बीते 22 अप्रैल को भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ की गई कार्रवाई के चलते दोनों देशों में तनाव बढ़ गया था। इस बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान द्वारा भारत पर कई प्रकार से हमला किया गया, जिसका मुंहतोड़ जवाब भारत ने पड़ोसी मुल्क को दिया। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक यह बात सामने आई है कि तुर्की भारत के खिलाफ किए जा रहे हमलों में पाकिस्तान का साथ दे रहा है। जबकि दूसरी ओर तुर्की और भारत के बीच बड़े स्तर पर ट्रेडिंग होती है।
साल 2024 में भारत और तुर्की के बीच व्यापार 10.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। भारत ने तुर्की को 6.65 बिलियन डॉलर का सामान बेचा और वहां से 3.78 बिलियन डॉलर का सामान खरीदा था। ये भारत के कुल वैश्विक व्यापार का छोटा हिस्सा है, लेकिन तुर्की भारत के लिए एक खास पार्टनर रहा है। अगर इसकी तुलना तुर्की और पाकिस्तान के व्यापार के साथ की जाए तो तुर्की-पाकिस्तान व्यापार सिर्फ लगभग 1 बिलियन डॉलर (अनुमानित) का था। यानी भारत तुर्की के लिए पाक से कहीं ज्यादा बड़ा मार्केट है।
दोनों देश 2030 तक व्यापार को संभावित रूप से 15 बिलियन डॉलर तक ले जाना चाहते हैं। इसके लिए एक कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (CEPA) पर बात चल रही है, लेकिन तुर्की का पाकिस्तान के प्रति सपोर्टिंग रवैया इस डील को मुश्किल भी बना सकता है। भारत के रूठने से तुर्की को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
तुर्की के साथ इन चीजों का होता है इंपोर्ट-एक्सपोर्ट
भारत तुर्की को कई तरह का सामान बेचता है। इसमें पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स जैसे डीजल और पेट्रोल (954 मिलियन डॉलर), इंजीनियरिंग गुड्स जैसे मशीनरी और ऑटो पार्ट्स (2.75 बिलियन डॉलर), इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे गैजेट्स (532 मिलियन डॉलर), इनऑर्गेनिक केमिकल्स (528 मिलियन डॉलर), टेक्सटाइल का सामान (378 मिलियन डॉलर), फार्मा प्रोडक्ट्स यानी दवाइयां (291 मिलियन डॉलर) शामिल हैं।
दूसरी तरफ, तुर्की से भारत मिनरल फ्यूल जैसे तेल और गैस (1.8 बिलियन डॉलर), मशीनरी (311 मिलियन डॉलर), मिनरल्स जैसे नमक और प्लास्टर (235 मिलियन डॉलर), इनऑर्गेनिक केमिकल्स (188 मिलियन डॉलर), कीमती धातुएं जैसे सोना-चांदी (132 मिलियन डॉलर), और पशु उत्पाद जैसे चमड़ा (149 मिलियन डॉलर) खरीदता है। ये व्यापार दोनों के लिए फायदेमंद है, लेकिन तुर्की भारत के बड़े मार्केट पर ज्यादा डिपेंड करता है।
पुराना है तुर्की और पाकिस्तान का रिश्ता
तुर्की और पाकिस्तान का सांस्कृतिक, धार्मिक और पॉलिटिकल रिश्ता पुराना और गहरा है। तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया था, जिसपर भारत ने ऐतराज भी जताया था। साल 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद तुर्की ने UN में कश्मीर का जिक्र किया, जिससे भारत-तुर्की रिश्तों में खटास आई थी।
साल 2025 में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि तुर्की ने पाकिस्तान को हथियार और छह सी-130 विमान दिए। हालांकि तुर्की ने इन खबरों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एक विमान सिर्फ ईंधन भरने रुका था। तुर्की पाकिस्तान को ड्रोन, युद्धपोत, और हथियार बेचता है, जिससे उसे 2024 में लगभग 500 मिलियन डॉलर की कमाई हुई थी।
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भारत ने दिया तुर्की को शानदार जवाब
तुर्की के पाकिस्तान के प्रति प्रेम के जवाब में भारत ने साल 2023 में तुर्की के साथ हुई 2.6 बिलियन डॉलर की नेवी डील को कैंसिल कर दिया और इसे इंडियन कंपनी को दे दिया। इससे तुर्की को भारी नुकसान हुआ और भारत की आत्मनिर्भरता को बूस्ट मिला।
इसके अलावा, भारत ने आर्मेनिया, ग्रीस, और साइप्रस जैसे देशों से दोस्ती बढ़ाकर तुर्की पर डिप्लोमैटिक प्रेशर बनाया, क्योंकि इन देशों का तुर्की के साथ टकराव है। भारत की 3.57 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी तुर्की की 1.1 ट्रिलियन डॉलर से कहीं बड़ी है और भारत तुर्की के लिए बड़ा मार्केट भी है। इस कारण भारत तुर्की पर हावी हो सकता है।
पाकिस्तान से कई गुना अधिक है भारत-तुर्की का व्यापार
तुर्की का भारत के साथ 10.4 बिलियन डॉलर का व्यापार पाकिस्तान के साथ लगभग 1 बिलियन डॉलर के व्यापार से कई गुना अधिक है। तुर्की भारत को 3.78 बिलियन डॉलर का सामान बेचता है और 6.65 बिलियन डॉलर का खरीदता है। वहीं, पाकिस्तान के साथ तुर्की का व्यापार डिफेंस, कॉटन, और लेदर पर केंद्रित है। तुर्की भारत पर ज्यादा डिपेंड करता है, जबकि पाकिस्तान के साथ उसका व्यापार सीमित है।
तुर्की के लिए आवश्यक हैं भारत के साथ अच्छे संबंध
भारत तुर्की के लिए कई मायनों में अहम है। 2024 में 275,000 भारतीय टूरिस्ट तुर्की गए, जिन्होंने औसतन 1,103 डॉलर खर्च किए। इससे तुर्की को 303 मिलियन डॉलर की कमाई हुई। टाटा, महिंद्रा जैसी इंडियन कंपनियां तुर्की में ऑटो और आईटी सेक्टर में इनवेस्ट कर रही हैं, और तुर्की की कंस्ट्रक्शन कंपनियां भारत में इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स पर काम करती हैं। तुर्की यूरोप और एशिया के बीच एक ब्रिज है, जो भारत के लिए चाबहार पोर्ट और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) जैसे प्रोजेक्ट्स में स्ट्रैटेजिकली इंपॉर्टेंट है।
भारत के साथ खराब हो सकता है तुर्की का संबंध
तुर्की का पाकिस्तान को सपोर्ट करना भारत-तुर्की व्यापार को प्रभावित कर सकता है। अगर भारत तुर्की पर ट्रेड बैन लगाए या टूरिज्म और डिफेंस जैसे सेक्टर्स में कटौती करे, तो तुर्की को बड़ा नुकसान हो सकता है। उदाहरण के लिए अगर भारतीय टूरिस्ट तुर्की जाना बंद करें, तो तुर्की का टूरिज्म सेक्टर डगमगा सकता है।
भारत अपने इम्पोर्ट्स को स्विट्जरलैंड या जर्मनी जैसे देशों से आसानी से ले सकता है, लेकिन तुर्की के लिए भारत जैसा मार्केट खोना बेहद घाटे का सौदा होगा। तुर्की का पाकिस्तान सपोर्ट CEPA जैसे डील्स को भी लटका सकता है, क्योंकि भारत ट्रेड में जियोपॉलिटिकल ट्रस्ट को प्रायोरिटी देता है।
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