India Canada tension latest update:भारत और कनाडा के बीच लगातार खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद तनाव बढ़ रहा है। इसी बीच फाइव आइज अलायंस की चर्चा तेज होने लगी है। लेकिन ये क्या अलायंस है, इसकी क्या अहमियत है…इसको लेकर विस्तार से जानने की जरूरत है। फाइव आइज अलायंस एक इंटेलिजेंस संगठन का नाम है, जिसकी काफी पुरानी अवधारणा है। इस संगठन में यूएसए, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। निज्जर की हत्या के लिए भारत को दोषी ठहराने के बाद फाइव आइज अलांयस ने कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो का पक्ष नहीं लिया है।
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सिर्फ अलायंस के मेंबर्स की ओर से कहा गया है कि सभी दावों की जांच होनी चाहिए। ये अलायंस सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान भी एक्टिव था। जब अमेरिका और यूके के कोड ब्रेकर्स आपस में बैठक किया करते थे। तब दोनों देशों का उद्देश्य था कि कैसे भी करके जंग को खत्म किया जाना चाहिए। इसके बाद 1948 में इसमें कनाडा की एंट्री हो गई। बाद में एक समझौता हुआ और 1956 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी इसके मेंबर बन गए। इसके बाद इस संगठन को फाइव आइज अलायंस कहा जाने लगा। आपको बता दें कि ये अलायंस सिर्फ पांच देशों के ही आपस में सीक्रेट शेयर करने को लेकर खासियत रखता है।
शीत युद्ध में अलायंस की रही अहम भूमिका
रूस से जब अमेरिका का शीत युद्ध चल रहा था तो फाइव आइज अलायंस ने काफी सक्रिय भूमिका निभाई थी। यह अलायंस सिर्फ अपने हित के मुद्दों के लिए काम करता है। खालिस्तानी आतंकी की मौत के मामले ट्रूडो ने सोचा था कि फाइव आइज अलायंस उनका पक्ष लेगा। लेकिन अलायंस की ओर से सीमित शब्दों में नपे तुले बयान ही दिए गए। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूके ने चिंता की बात कहते हुए ध्यान रखने की बात कही।
अलायंस का दायरा बढ़ाने की मांग तेज
वहीं, अमेरिकी संसद में अलायंस का दायरा बढ़ाने की बात भी उठ चुकी है। प्रस्ताव पेश किया जा चुका है कि मेंबर्स बढ़ाने होंगे। कहा जा रहा है कि अलायंस में भारत, जर्मनी, जापान और दक्षिण कोरिया का नाम शामिल किया जा सकता है। अमेरिका हर हाल में अब चीन और रूस से आगे रहना चाहता है। जिसके लिए वह दूसरे देशों से मिलकर चलने को जरूरी मानता है। हालांकि अभी आगे बातचीत सिरे नहीं चढ़ पाई है।