India-Canada Row, नई दिल्ली: खालिस्तान के मुद्दे पर भारत और कनाडा के बीच बढ़ते राजनयिक संकट ने उन लाखों स्टूडेंट्स के लिए भी समस्या खड़ी कर दी है, जो स्टडी वीजा पर या तो कनाडा में हैं या जाने के लिए तैयार बैठे हैं। राजनयिक संकट का कनाडा की शिक्षा प्रणाली पर असर पड़ने की आशंका के चलते लाखों अभिभावकों को चिंता है कि अगर दोनों देशों के ताल्लुक और बिगड़ गए तो उनके बच्चों का क्या होगा। क्या उनका साल खराब हो जाएगा?
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मौजूदा स्थिति में कुल 2,09,930 भारतीय छात्र कनाडा के विभिन्न कॉलेजों में तो 80,270 यूनविर्सटीज में कर रहे हैं पढ़ाई, अगले साल के लिए 36 हजार और एनरोल्ड हुए
दरअसल, कनाडा कॉलेजों को डिप्लोमा देने वाले संस्थानों के रूप में परिभाषित करता है, जबकि विश्वविद्यालय स्नातक, मास्टर और डॉक्टरेट डिग्री प्रदान करते हैं। नागरिकता और अप्रवासन पर स्थायी समिति और शरणार्थी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार इस वक्त कुल 2,09,930 भारतीय छात्र कनाडा के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ रहे हैं, जबकि 80,270 यूनविर्सटीज में पढ़ रहे हैं। ये विद्यार्थी कनाडा की अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष 22.3 बिलियन कनेडियन डॉलर से अधिक का योगदान करते हैं। फीस और अन्य खर्चों के लिए भी भारतीय मुद्रा के करीब 65 हजार करोड़ रुपए कनाडा जा रहे हैं।
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कनाडा के आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता विभाग के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में वैध अध्ययन वीजा के साथ कनाडा में रहने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। 2018 में 1,71,505, 2019 में 2,18,540, 2020 में 1,79,510, 2021 में 2,16,500 और 2022 में 3,19,000 विद्यार्थी हो गए। इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विश्वविद्यालय की फीस, आवास और अन्य खर्चों के माध्यम से कनाडाई अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं और ओन्टारियो के कई कॉलेजों में कनाडा की तुलना में भारत से अधिक छात्र हैं। इससे पता चलता है कि नई दिल्ली और ओटावा के बीच संबंधों में और गिरावट गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है।
जनवरी और मई 2024 के इनटेक के लिए 70 फीसदी को वीजा मिल चुका
इसी के साथ अब पंजाब के 36 हजार और विद्यार्थी कनाडा के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में जनवरी और मई 2024 के इनटेक (कनाडा में चार माह के सेमेस्टर को इनटेक कहते हैं) के लिए दाखिला ले चुके हैं। 8 जनवरी से सत्र शुरू होने जा रहा है। इससे पहले 70 फीसदी को वीजा मिल चुका है और हवाई टिकट भी बुक हो चुके हैं, लेकिन कनाडा और भारत के बीच बिगड़ते रिश्तों ने छात्रों की चिंता बढ़ा दी है। अब न सिर्फ स्टूडेंट्स को, बल्कि उनके माता-पिता को भी इस बात की चिंता है कि दोनों देशों के बीच आया खटास कम होने की बजाय और बढ़ गया तो उनके भविष्य का क्या होगा। क्या उनका साल खराब हो जाएगा?
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कनाडा जाने के तैयार सरबजीत कौर का कहना है कि वैंकूवर में उसका एडमिशन हो चुका है। जनवरी से क्लास शुरू होनी है, टिकट भी बुक हो चुका है। कनाडा और भारत के बीच अचानक बिगड़े माहौल की वजह से परिवार के सभी सदस्य अब काफी तनाव में हैं। कई लोगों की राय है कि उन्हें कनाडा नहीं जाना चाहिए, लेकिन 25 लाख खर्च हो चुके हैं। कॉलेज की फीस भी चली गई है। टिकट बुक हो गया है। नहीं गई तो सब बेकार हो जाएगा और अगर चली गई तो वहां जाकर न जाने कितना मानसिक बोझ झेलना पड़ेगा।
कनाडा की अर्थव्यवस्था में भारतीय विद्यार्थियाें योगदान दो गुणा
ग्रे मैटर की एमडी सोनिया पवन का कहना है कि दोनों देशों के बीच बने अशांतिपूर्ण माहौल और कनाडा में अपने बच्चों की शिक्षा के लिए भारी निवेश करने वाले अभिभावकों की बढ़ती चिंता के बीच लगभग 68 हजार करोड़ रुपए की बड़ी पूंजी उड़ान भर रही है। हर साल हमारा शिक्षा उद्योग कनाडा की मजबूत अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहा है। वहीं वीज़ा विशेषज्ञ सुकांत के अनुसार वहां की अर्थव्यवस्था में कनाडाई विद्यार्थियाें की तुलना में भारतीय दो गुणा योगदान देते हैं। ऐसे में बढ़ते राजनयिक संकट का सबसे ज्यादा असर कनाडा की शिक्षा प्रणाली पर पड़ेगा, ऐसा माना जा रहा है।