HIV Treatment : एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडिफिशियंसी वायरस से संक्रमित 60 साल के एक व्यक्ति को इस बीमारी से पूरी तरह राहत मिल सकने की उम्मीद है। डॉक्टर्स ने गुरुवार को बताया कि जर्मनी के इस शख्स का स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया गया है। यह प्रोजीसर उन लोगों के लिए बहुत खतरनाक माना जाता है जिन्हें एचआईवी और एग्रेसिव ल्यूकीमिया, दोनों बीमारियां हैं। इसलिए अधिकांश लोगों के लिए यह ट्रीटमेंट ऑप्शन नहीं होता। जर्मनी के इस शख्स ने अपनी पहचान गुप्त रखने की इच्छा जताई है। उसे ‘नेक्स्ट बर्लिन पेशंट’ कहा जा रहा है।
ओरिजिनल बर्लिन पेशंट का नाम टिमथी रे ब्राउन था। टिमथी पहला ऐसा व्यक्ति था जिसे साल 2008 में एचआईवी से मुक्त घोषित किया गया था। लेकिन, साल 2020 में टिमथी की कैंसर की वजह से मौत हो गई थी। अब जिस शख्स की बात हो रही है उसके एचआईवी से संक्रमित होने की बात साल 2009 में पता चली थी। इसके बाद साल 2015 में उसको ल्यूकीमिया के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट दिया गया था। बता दें कि इस ट्रीटमेंट में मौत होने का रिस्क 10 प्रतिशत तक रहता है। मूल रूप से यह ट्रीटमेंट इंसान के पूरे इम्यून सिस्टम को रिप्लेस करता है।
The Next Berlin Patient: another man cured of #HIV after stem cell transplant!
Unlike the other six cases, this man received stem cells from a donor with just one copy of a mutation that makes T cells resistant to HIV.https://t.co/yZDI4FEKiB#hivcure pic.twitter.com/eMktkapqJw
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मरीज के ठीक होने की पूरी उम्मीद
इसके बाद उसने एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं लेना बंद कर दिया। इससे उसके ब्लड में एचआईवी की मात्रा कम हुई। इसके करीब 6 साल बाद वह एचआईवी और कैंसर दोनों से मुक्त दिखाई दे रहा है। बर्लिन के चैरिटी यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में इस मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टर क्रिश्चियन गैबलर के अनुसार टीम अभी इस बात को लेकर पूरी तरह से श्योर नहीं है कि वायरस के हर ट्रेस को खत्म कर दिया गया है। हालांकि, इस बात की उम्मीद ज्यादा है कि इस व्यक्ति को एचआईवी से मुक्ति मिल जाएगी। बता दें कि इस बीमारी में ठीक होने की संभावना बहुत कम रहती है।
इंटरनेशनल एड्स सोसायटी की प्रेसीडेंट शैरन लेविन ने कहा कि 5 साल रीमिशन में रहने का मतलब है कि वह ठीक होने के बहुत करीब है। हालांकि, उन्होंने कहा कि रिसर्चर उसके पूरी तरह से ठीक होने की बात निश्चित तौर पर इसलिए नहीं कह पा रहे हैं क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसे मामलों का फॉलोअप लेने में उन्हें कितना समय लग सकता है। यह पहला ऐसा मरीज है जिसे ऐसे डोनर से स्टेम सेल मिली हैं जिसने म्यूटेटेड जीन की केवल एक कॉपी इनहेरिट की थी। यह म्यूटेशन एचआईवी को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है।
As you start the week, here’s a few tips you need to know and internalize about HIV. Knowing your status is important. Get tested today. #TestedApprovedTrustedUg#ObulamuUg @USAID pic.twitter.com/No82vlrgED
— 🌙 (@sharon_kiwanuka) December 4, 2023
अब तक कितने मरीज हो चुके ठीक?
उल्लेखनीय है कि अभी तक रिकॉर्ड्स के अनुसार एचआईवी की चपेट में आने वाले कुछ 6 लोग ही इस खतरनाक बीमारी से ठीक हुए हैं। अगर यह मरीज भी ठीक हो जाता है तो वह एचआईवी से पूरी तरह उबरने वाला सातवां शख्स होगा। रिसर्चर्स को उम्मीद है कि अगर यह केस सफल रहता है तो आने वाले समय में ज्यादा बड़ा और बेहतर डोनर पूल बन सकेगा। यह नया केस इसलिए भी प्रॉमिसिंग है क्योंकि इसने एचआईवी के इलाज की खोज को बड़ा दायरा दिया है जो इससे प्रभावित होने वाले सभी तरह के मरीजों के इलाज में प्रभावी साबित हो सकता है।
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