अगर आपको भी लगता है कि दिन पहले से ज्यादा लंबे हो गए हैं तो ऐसा महसूस करने वाले आप अकेले नहीं हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार धरती पर दिन की अवधि तेज रफ्तार से बढ़ रही है। हालांकि, आम जनजीवन पर फिलहाल इसका कुछ असर खास नहीं पड़ने वाला है लेकिन भविष्य की लंबी दूरी वाली स्पेस यात्राओं के लिए मुश्किल हो जाएगी। इस खास रिपोर्ट में जानिए ऐसा क्यों हो रहा है और इस समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है।
स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख के रिसर्चर्स के अनुसार ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में ध्रुवीय बर्फ पिघलने से धरती का सेंटर ऑफ ग्रेविटी इक्वेटर की ओर शिफ्ट हो रहा है। इससे धीरे-धीरे धरती के घूमने की रफ्तार धीमी हो रही है। अगर इस स्तर को कम नहीं किया गया तो यह बदलाव साल 2100 के अंत तक एक दिन की अवधि में 2.62 मिली सेकंड जोड़ सकता है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण क्लाइमेट चेंज को बताया जा रहा है।
@Ed_Miliband You are complicit in wasting tax money on this crap. People die of cold Days really are dragging! Length of days on Earth is increasing at an ‘unprecedented’ rate – and scientists say climate change is to blame | Daily Mail Online https://t.co/kYwwRfwyTK
— Hans Down (@Itoldyouitwasso) July 16, 2024
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चांद भी बढ़ा रहा है दिन की अवधि!
धरती की स्पीड पर चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल का असर भी पड़ता है। धरती के इतिहास को देखें तो दिन की अवधि पर सबसे बड़ा असर टाइडल फ्रिक्शन (ज्वार से होने वाला घर्षण) का रहता है। यह समुद्र पर चंद्रमा की ग्रेविटी पुलिंग की वजह से होता है। रिसर्चर्स के अनुसार टाइडल फ्रिक्शन की वजह से बीते करोड़ों साल से हर 100 साल पर दिन की अवधि में 2.5 मिली सेकंड बढ़त होती आ रही है। जो आने वाले समय में और भी बढ़ सकती है।
The gravitational interaction of theMoon and the Earth gradually slows down the rotation of our planet.Because of this, our days are becoming longer by0.002 seconds every century or one second every50,000 years.When dinosaurs appeared on Earth,the length of the day was 22 h, 25 m pic.twitter.com/WDZ4YPLWFT
— Анна Дарьюш 🌏 (@Us48434Anna) April 9, 2024
धरती के घूमने की रफ्तार भी वजह
बता दें कि धरती के अपने एक्सिस पर घूमने की रफ्तार अलग-अलग समय पर अलग-अलग रही है। ऐसा इसके इनर कोर के घुमाव में बदलाव की वजह से होता है। जब इसमें कमी आती है तो मैंटल पर ग्रेविटेशनवल पुल बढ़ता है। इससे धरती का रोटेशन धीमा हो जाता है और दिन की अवधि बढ़ जाती है। आम तौर पर धरती पर दिन की अवधि हर साल एक सेकंड के 74 हजारवें हिस्से के बराबर बढ़ रही है। यह स्थिति भविष्य में और गंभीर होगी।
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